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सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

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ज्ञान का हिन्दी-महासागर

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आज का दिन - 29 जुलाई 2024 (भारतीय समयानुसार)


एक आलेख

        संसद भवन नई दिल्ली में स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है। राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने ज़रूर आते हैं जैसा कि संसद के दोनों सभाएं लोक सभा और राज्य सभा इसी भवन के अहाते में स्थित हैं। संसद भवन संपदा के अंतर्गत संसद भवन, स्वागत कार्यालय भवन, संसदीय ज्ञानपीठ (संसद ग्रंथालय भवन) संसदीय सौध और इसके आस-पास के विस्तृत लॉन, जहां फ़व्वारे वाले तालाब हैं, शामिल हैं। संसद भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों - सर एडविन लुटय़न्स और सर हर्बर्ट बेकर ने तैयार की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे। संसद भवन की आधारशिला 12 फ़रवरी, 1921 को महामहिम द डय़ूक ऑफ कनाट ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में छह वर्ष लगे और इसका उद्घाटन समारोह भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी, 1927 को आयोजित किया। इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई। ... और पढ़ें

पिछले आलेख राष्ट्रपति रसखान की भाषा मौर्य काल


एक पर्यटन स्थल

डल झील
डल झील

        डल झील का प्रमुख आकर्षण केन्द्र तैरते हुए बग़ीचे हैं। पौराणिक मुग़ल किलों में यहाँ की संस्कृति तथा इतिहास के दर्शन होते हैं। डल झील के पास ही मुग़लों के सुंदर एवं प्रसिद्ध पुष्प वाटिका से डल झील की आकृति और उभरकर सामने आती है। कश्मीर के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय झील के तट पर स्थित है। शिकारे के माध्यम से सैलानी नेहरू पार्क, कानुटुर खाना, चारचीनारी, कुछ द्वीप जो यहाँ पर स्थित हैं, उन्हें देख सकते हैं। श्रद्घालुओं के लिए हज़रतबल तीर्थस्थल के दर्शन करे बिना उनकी यात्रा अधूरी रह जाती है। शिकारे के माध्यम से श्रद्धालु इस तीर्थस्थल के दर्शन कर सकते हैं। दुनिया भर में यह झील विशेष रूप से शिकारों या हाऊस बोट के लिए जानी जाती है। डल झील के आस-पास की प्राकृतिक सुंदरता अधिक संख्या में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। ... और पढ़ें

पिछले पर्यटन स्थल लक्षद्वीप चंडीगढ़ लाल क़िला


ऐसा भी हुआ !


भूला-बिसरा भारत
  • 'टेसू' को साथ लेकर बच्चे घर-घर जाकर पैसे मांगते थे चाहे वे अमीर घर के हों या ग़रीब ...और पढ़ें

  • भारतीय शिक्षा परंपरा में 'टोल' का प्रचलन लगभग पूरे भारत में था ...और पढ़ें

  • घर-घर में पायी जाने वाली 'रहल' अब दुर्लभ हो गयी है ... और पढ़ें

  • भारत में पहले छोटी मुद्रा के रूप में भी प्रयोग होती थी 'कौड़ी' ? ... और पढ़ें

भारतकोश हलचल

प्रदोष व्रत (30 जुलाई) पद्मिनी एकादशी (29 जुलाई) विश्व बाघ दिवस (29 जुलाई) विश्व हेपेटाइटिस दिवस (28 जुलाई) विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस (28 जुलाई) केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल स्थापना दिवस (27 जुलाई) दुर्गाष्टमी (26 जुलाई) कारगिल विजय दिवस (26 जुलाई) राष्ट्रीय प्रसारण दिवस (23 जुलाई) राष्ट्रीय आम दिवस (22 जुलाई) राष्ट्रीय झण्डा अंगीकरण दिवस (22 जुलाई) विनायक चतुर्थी (21 जुलाई) हिजरी संवत प्रारम्भ (20 जुलाई) मोहर्रम, ताज़िया (20 जुलाई) अधिक मास प्रारम्भ (18 जुलाई) श्रावण अमावस्या (17 जुलाई) द्वितीय श्रावण सोमवार व्रत (17 जुलाई) सोमवती अमावस्या (17 जुलाई) कर्क संक्रान्ति (16 जुलाई) प्रदोष व्रत (15 जुलाई) मासिक शिवरात्रि (15 जुलाई) रोहिणी व्रत (14 जुलाई) कामिदा एकादशी (13 जुलाई) विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) प्रथम श्रावण सोमवार व्रत (10 जुलाई) भानु सप्तमी (09 जुलाई) कालाष्टमी (09 जुलाई) गणेश चतुर्थी (06 जुलाई) श्रावण माह प्रारम्भ (04 जुलाई) गोवर्धन परिक्रमा पूर्ण (03 जुलाई) आषाढ़ पूर्णिमा (03 जुलाई) गुरु पूर्णिमा (03 जुलाई) वन महोत्सव (सप्ताह) (01 जुलाई) भारतीय स्टेट बैंक स्थापना दिवस (01 जुलाई) राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (01 जुलाई)


जन्म
प्रेमचंद (31 जुलाई) मोहन लाल सुखाड़िया (31 जुलाई) दामोदर धर्मानंद कोसांबी (31 जुलाई) मुमताज़ (31 जुलाई) माधवसिंह सोलंकी (30 जुलाई) गोविन्द चन्द्र पाण्डे (30 जुलाई) नवीन चावला (30 जुलाई) जे. आर. डी. टाटा (29 जुलाई) बाबासाहेब पुरंदरे (29 जुलाई) सी. नारायण रेड्डी (29 जुलाई) उत्पल कुमार सिंह (29 जुलाई)
मृत्यु
ऊधम सिंह (31 जुलाई) मुहम्मद रफ़ी (31 जुलाई) मान कौर (31 जुलाई) आर. डी. प्रधान (31 जुलाई) श्रीपाद दामोदर सातवलेकर (31 जुलाई) ह्यूम, ए. ओ. (31 जुलाई) आशुतोष दास (31 जुलाई) सुबीर गोकर्ण (30 जुलाई) ईश्वर चन्द्र विद्यासागर (29 जुलाई) जॉनी वॉकर (29 जुलाई) गायत्री देवी (29 जुलाई) अरुणा आसफ़ अली (29 जुलाई) स्नेहमयी चौधरी (29 जुलाई) वसुंधरा कोमकली (29 जुलाई)


महत्त्वपूर्ण आकर्षण


समाचार

एक व्यक्तित्व

        महापण्डित राहुल सांकृत्यायन को हिन्दी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। बौद्ध धर्म की ओर जब झुकाव हुआ तो पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, एवं सिंहली भाषाओं की जानकारी लेते हुए सम्पूर्ण बौद्ध ग्रन्थों का मनन किया और सर्वश्रेष्ठ उपाधि 'त्रिपिटिका चार्य' की पदवी पायी। साम्यवाद के क्रोड़ में जब राहुल जी गये तो कार्ल मार्क्स, लेनिन तथा स्तालिन के दर्शन से पूर्ण परिचय हुआ। प्रकारान्तर से राहुल जी इतिहास, पुरातत्त्व, स्थापत्य, भाषाशास्त्र एवं राजनीति शास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे। ... और पढ़ें

पिछले लेख पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर जे. आर. डी. टाटा आर. के. लक्ष्मण


चयनित चित्र

वाराणसी के एक घाट का संध्याकालीन दृश्य
वाराणसी के एक घाट का संध्याकालीन दृश्य

वाराणसी, उत्तर प्रदेश