"सपूत और कपूत -शिवदीन राम जोशी": अवतरणों में अंतर
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धर्म कर्म रहित दुष्ट पेट भरे आपका। | धर्म कर्म रहित दुष्ट पेट भरे आपका। | ||
कहता शिवदीन राम ऐसे निकाम पूत, | कहता शिवदीन राम ऐसे निकाम पूत, | ||
गुरू का न गोविन्द का मां का न बाप का। | गुरू का न गोविन्द का मां का न बाप का। | ||
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06:10, 13 मार्च 2012 का अवतरण
पूत सपूत जने जननी, पितु मात की बात को शीश चढावे। पूत सपूत निहाल करे, पर हेतु करे नित्त और भलाई। पूत सपूत जने जननी, जननी का जोबन हरन, करन अनेक कुचाल, काहूँ के न जनमें उतडा कपूत पूत, बहुत से कपूत पूत भूत सा भयंकर रूप, |
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