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'''पुरंदरगढ़''' पूना ज़िला, [[महाराष्ट्र]] में स्थित एक ऐतिहासिक क़िला है। इस क़िले का सम्पूर्ण [[मराठा]] [[इतिहास]] में बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। यह दुर्ग पहाड़ी के शिखर पर बना हुआ है। [[छत्रपति शिवाजी]] की रणनीतिक कुशलता अधिकांशत: सुदृढ़ दुर्गों पर आधारित रही थी। | '''पुरंदरगढ़''' पूना ज़िला, [[महाराष्ट्र]] में स्थित एक ऐतिहासिक क़िला है। इस क़िले का सम्पूर्ण [[मराठा]] [[इतिहास]] में बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। यह दुर्ग पहाड़ी के शिखर पर बना हुआ है। [[छत्रपति शिवाजी]] की रणनीतिक कुशलता अधिकांशत: सुदृढ़ दुर्गों पर आधारित रही थी। | ||
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09:49, 3 जून 2012 का अवतरण
पुरंदरगढ़ पूना ज़िला, महाराष्ट्र में स्थित एक ऐतिहासिक क़िला है। इस क़िले का सम्पूर्ण मराठा इतिहास में बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। यह दुर्ग पहाड़ी के शिखर पर बना हुआ है। छत्रपति शिवाजी की रणनीतिक कुशलता अधिकांशत: सुदृढ़ दुर्गों पर आधारित रही थी।
- शिवाजी की सुरक्षा व्यवस्था
पूना में शिवाजी के निवास स्थान की सुरक्षा जिन दो मज़बूत क़िलों से होती थी, उनमें से एक पुरंदरगढ़ तथा दूसरा दक्षिण-पश्चिम में सिहंगढ़ का क़िला था। पूना से 7 मील (लगभग 11.2 कि.मी.) की दूरी पर सासवड़ रोड स्टेशन से सासवड़ नामक ग्राम 11 मील (लगभग 17.6 कि.मी.) पर है। सासवड़ से 6 मील (लगभग 17.6 कि.मी.) की दूरी पर शिवाजी के समय का प्रसिद्ध क़िला पुरंदरगढ़ स्थित है। पहाड़ी की तलहटी में 'पूर' नामक ग्राम बसा हुआ है, जहाँ 'नारायणेश्वर' भगवान शिव का अति प्राचीन देवालय स्थित है।[1]
इन्हें भी देखें: पुरन्दर क़िला
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 564 |
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