"रंग बरसत ब्रज में होरी का -शिवदीन राम जोशी": अवतरणों में अंतर
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मारत हैं पिचकारी कान्हा, धूम माचवे और दीवाना। | मारत हैं पिचकारी कान्हा, धूम माचवे और दीवाना। | ||
चंग बजा कर रंग उडावे, काम करें बरजोरी का।। | चंग बजा कर रंग उडावे, काम करें बरजोरी का।। | ||
ब्रज जन मस्त मस्त मस्ताना, नांचे कूदे गावे गाना । | ब्रज जन मस्त मस्त मस्ताना, नांचे कूदे गावे गाना । | ||
नन्द महर घर आनंद छाया, खुल गए फाटक मोरी का ।। | नन्द महर घर आनंद छाया, खुल गए फाटक मोरी का ।। | ||
कहे शिवदीन सगुण सोही निरगुण, परमानन्द होगया सुण-सुण। | कहे शिवदीन सगुण सोही निरगुण, परमानन्द होगया सुण-सुण। |
08:51, 27 जून 2012 के समय का अवतरण
रंग बरसत ब्रज में होरी का। |
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