"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Sanchi-Stupa.jpg|right|100px|बुद्ध स्तूप, साँची]]'स्तूप' एक गुम्दाकार भवन होता था, जो [[महात्मा बुद्ध]] से संबंधित सामग्री या स्मारक के रूप में स्थापित किया जाता था। [[स्तूप]] का शाब्दिक अर्थ है- 'किसी वस्तु का ढेर'। स्तूप का विकास ही संभवतः [[मिट्टी]] के ऐसे चबूतरे से हुआ, जिसका निर्माण मृतक की चिता के ऊपर अथवा मृतक की चुनी हुई अस्थियों को रखने के लिए किया जाता था। महात्मा गौतम बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाओं- जन्म, सम्बोधि, धर्मचक्र प्रवर्तन तथा [[निर्वाण]] से सम्बन्धित स्थानों पर भी स्तूपों का निर्माण किया गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्तूप]] | |||
{गायन के क्षेत्र में [[संयुक्त राष्ट्र]] में गायन का गौरव निम्न में से किसे प्राप्त है? | {गायन के क्षेत्र में [[संयुक्त राष्ट्र]] में गायन का गौरव निम्न में से किसे प्राप्त है? | ||
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||[[चित्र:Rigveda.jpg|right|100px|ऋग्वेद का आवरण पृष्ठ]]'ऋग्वेद' सनातन धर्म अथवा [[हिन्दू धर्म]] का स्रोत है। इसमें 1028 सूक्त हैं, जिनमें [[देवता|देवताओं]] की स्तुति की गयी है। इस [[ग्रंथ]] में देवताओं का [[यज्ञ]] में आह्वान करने के लिये [[मन्त्र]] हैं। यही सर्वप्रथम [[वेद]] है। [[ऋग्वेद]] को दुनिया के सभी इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा | ||[[चित्र:Rigveda.jpg|right|100px|ऋग्वेद का आवरण पृष्ठ]]'ऋग्वेद' सनातन धर्म अथवा [[हिन्दू धर्म]] का स्रोत है। इसमें 1028 सूक्त हैं, जिनमें [[देवता|देवताओं]] की स्तुति की गयी है। इस [[ग्रंथ]] में देवताओं का [[यज्ञ]] में आह्वान करने के लिये [[मन्त्र]] हैं। यही सर्वप्रथम [[वेद]] है। [[ऋग्वेद]] को दुनिया के सभी इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार की सबसे पहली रचना मानते हैं। ये दुनिया के सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है। ऋक् संहिता में 10 मंडल, बालखिल्य सहित 1028 सूक्त हैं। वेद मंत्रों के समूह को 'सूक्त' कहा जाता है, जिसमें एकदैवत्व तथा एकार्थ का ही प्रतिपादन रहता है। ऋग्वेद के सूक्त विविध देवताओं की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋग्वेद]] | ||
{[[मुग़ल चित्रकला]] किसके राज्य काल में अपनी पराकाष्ठा पर पहुँची? | {[[मुग़ल चित्रकला]] किसके राज्य काल में अपनी पराकाष्ठा पर पहुँची? | ||
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-[[अकबर]] | -[[अकबर]] | ||
-[[शाहजहाँ]] | -[[शाहजहाँ]] | ||
||[[चित्र:Jahangir-Tomb-Lahore.jpg|right|100px|जहाँगीर का मक़बरा, लाहौर]][[मुग़ल]] बादशाह होने के साथ-साथ [[जहाँगीर]] के चरित्र में एक अच्छा लक्षण था | ||[[चित्र:Jahangir-Tomb-Lahore.jpg|right|100px|जहाँगीर का मक़बरा, लाहौर]][[मुग़ल]] बादशाह होने के साथ-साथ [[जहाँगीर]] के चरित्र में एक अच्छा लक्षण यह भी था कि 'प्रकृति का [[हृदय]] से आनंद लेना तथा [[फूल|फूलों]] को प्यार करना, उत्तम सौन्दर्य, बोधात्मक रुचि से सम्पन्न।' स्वयं चित्रकार होने के कारण जहाँगीर [[कला]] एवं [[साहित्य]] का पोषक था। 'किराना घराने' की उत्पत्ति का मुख्य श्रेय जहाँगीर को ही दिया जाता है। उसका 'तुजूके-जहाँगीरी' संस्मरण उसकी साहित्यिक योग्यता का प्रमाण है। जहाँगीर ने एक आदर्श प्रेमी की तरह 1615 ई. में [[लाहौर]] में संगमरमर की एक सुन्दर क़ब्र बनवायी, जिस पर एक प्रेमपूर्ण [[अभिलेख]] था, "यदि मै अपनी प्रेयसी का चेहरा पुनः देख पाता, तो क़यामत के दिन तक अल्लाह को धन्यवाद देता रहता।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]] | ||
{[[महाभारत]] का मौलिक नाम क्या था? | {[[महाभारत]] का मौलिक नाम क्या था? |
05:28, 6 अगस्त 2012 का अवतरण
कला और संस्कृति
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