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[[चित्र:Smraakak.jpg|thumb|right|महाकवि [[नरोत्तमदास]] जन्मस्थली परिसर 2011]]
'''सीतापुर''' नगर [[उत्तर प्रदेश]] राज्य में [[लखनऊ]] एवं [[शाहजहाँपुर]] मार्ग के मध्य में सरायान नदी के किनारे पर स्थित है। यह ज़िले का प्रशासनिक केंद्र है। सीतापुर नगर में [[भारत]] प्रसिद्ध नेत्र अस्पताल है। नगर में प्लाइउड का निर्माण का एक कारख़ाना भी है। [[कुषाण काल]] की संध्या में प्राय: संपूर्ण ज़िला भारशिव काल की इमारतों और [[गुप्त]] तथा गुप्त प्रभावित मूर्तियों तथा इमारतों से भरा हुआ था। मनवाँ, [[हरगाँव]], बड़ा गाँव, नसीराबाद आदि पुरातात्विक महत्व के स्थान हैं। '[[नैमिषारण्य|नैमिष]]' और 'मिसरिख' पवित्र तीर्थ स्थल हैं।
'''सीतापुर''' नगर [[उत्तर प्रदेश]] राज्य में [[लखनऊ]] एवं [[शाहजहाँपुर]] मार्ग के मध्य में सरायान नदी के किनारे पर स्थित है। यह ज़िले का प्रशासनिक केंद्र है। सीतापुर नगर में [[भारत]] प्रसिद्ध नेत्र अस्पताल है। नगर में प्लाइउड का निर्माण का एक कारख़ाना भी है। [[कुषाण काल]] की संध्या में प्राय: संपूर्ण ज़िला भारशिव काल की इमारतों और [[गुप्त]] तथा गुप्त प्रभावित मूर्तियों तथा इमारतों से भरा हुआ था। मनवाँ, [[हरगाँव]], बड़ा गाँव, नसीराबाद आदि पुरातात्विक महत्व के स्थान हैं। '[[नैमिषारण्य|नैमिष]]' और 'मिसरिख' पवित्र तीर्थ स्थल हैं।
==इतिहास==
==इतिहास==
[[चित्र:Murtee.jpg|thumb|right|[[नरोत्तमदास]] जन्मस्थली परिसर में स्थापित महाकवि की मूर्तिं]]
प्रारंभिक मुस्लिम काल के लक्षण केवल भग्न हिन्दू मंदिरों और मूर्तियों के रूप में ही उपलब्ध हैं। इस युग के ऐतिहासिक प्रमाण [[शेरशाह]] द्वारा निर्मित [[कुआँ|कुओं]] और सड़कों के रूप में दिखाई देते हैं। उस युग की मुख्य घटनाओं में से एक तो खैराबाद के निकट [[हुमायूँ]] और शेरशाह के बीच और दूसरी सुहेलदेव और सैयद सालार के बीच [[बिसवाँ]] और तंबौर के युद्ध हैं। सीतापुर के निकट स्थित खैराबाद मूलत: प्राचीन हिन्दू तीर्थ मानसछत्र था। मुस्लिम काल में खैराबाद बाड़ी, बिसवाँ इत्यादि इस ज़िले के प्रमुख नगर थे। ब्रिटिश काल (1856) में खैराबाद छोड़कर ज़िले का केंद्र सीतापुर नगर में बनाया गया। सीतापुर का तरीनपुर मोहल्ला प्राचीन स्थान है। [[नरोत्तमदास]] की जन्म स्थली के रूप में प्रसिद्ध है
प्रारंभिक मुस्लिम काल के लक्षण केवल भग्न हिन्दू मंदिरों और मूर्तियों के रूप में ही उपलब्ध हैं। इस युग के ऐतिहासिक प्रमाण [[शेरशाह]] द्वारा निर्मित [[कुआँ|कुओं]] और सड़कों के रूप में दिखाई देते हैं। उस युग की मुख्य घटनाओं में से एक तो खैराबाद के निकट [[हुमायूँ]] और शेरशाह के बीच और दूसरी सुहेलदेव और सैयद सालार के बीच [[बिसवाँ]] और तंबौर के युद्ध हैं। सीतापुर के निकट स्थित खैराबाद मूलत: प्राचीन हिन्दू तीर्थ मानसछत्र था। मुस्लिम काल में खैराबाद बाड़ी, बिसवाँ इत्यादि इस ज़िले के प्रमुख नगर थे। ब्रिटिश काल (1856) में खैराबाद छोड़कर ज़िले का केंद्र सीतापुर नगर में बनाया गया। सीतापुर का तरीनपुर मोहल्ला प्राचीन स्थान है। [[नरोत्तमदास]] की जन्म स्थली के रूप में प्रसिद्ध है



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महाकवि नरोत्तमदास जन्मस्थली परिसर 2011

सीतापुर नगर उत्तर प्रदेश राज्य में लखनऊ एवं शाहजहाँपुर मार्ग के मध्य में सरायान नदी के किनारे पर स्थित है। यह ज़िले का प्रशासनिक केंद्र है। सीतापुर नगर में भारत प्रसिद्ध नेत्र अस्पताल है। नगर में प्लाइउड का निर्माण का एक कारख़ाना भी है। कुषाण काल की संध्या में प्राय: संपूर्ण ज़िला भारशिव काल की इमारतों और गुप्त तथा गुप्त प्रभावित मूर्तियों तथा इमारतों से भरा हुआ था। मनवाँ, हरगाँव, बड़ा गाँव, नसीराबाद आदि पुरातात्विक महत्व के स्थान हैं। 'नैमिष' और 'मिसरिख' पवित्र तीर्थ स्थल हैं।

इतिहास

नरोत्तमदास जन्मस्थली परिसर में स्थापित महाकवि की मूर्तिं

प्रारंभिक मुस्लिम काल के लक्षण केवल भग्न हिन्दू मंदिरों और मूर्तियों के रूप में ही उपलब्ध हैं। इस युग के ऐतिहासिक प्रमाण शेरशाह द्वारा निर्मित कुओं और सड़कों के रूप में दिखाई देते हैं। उस युग की मुख्य घटनाओं में से एक तो खैराबाद के निकट हुमायूँ और शेरशाह के बीच और दूसरी सुहेलदेव और सैयद सालार के बीच बिसवाँ और तंबौर के युद्ध हैं। सीतापुर के निकट स्थित खैराबाद मूलत: प्राचीन हिन्दू तीर्थ मानसछत्र था। मुस्लिम काल में खैराबाद बाड़ी, बिसवाँ इत्यादि इस ज़िले के प्रमुख नगर थे। ब्रिटिश काल (1856) में खैराबाद छोड़कर ज़िले का केंद्र सीतापुर नगर में बनाया गया। सीतापुर का तरीनपुर मोहल्ला प्राचीन स्थान है। नरोत्तमदास की जन्म स्थली के रूप में प्रसिद्ध है

सीतापुर का प्रथम उल्लेख राजा टोडरमल के बंदोबस्त में छितियापुर के नाम से आता है। बहुत दिन तक इसे छीतापुर कहा जाता रहा, जो गाँवों में अब भी प्रचलित हैं। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में सीतापुर का प्रमुख हाथ था। बाड़ी के निकट सर हीपग्रांट तथा फैजाबाद के मौलवी के बीच निर्णंयात्मक युद्ध हुआ था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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