"कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 24": अवतरणों में अंतर
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-[[कजरी]] - [[उत्तर प्रदेश]] | -[[कजरी]] - [[उत्तर प्रदेश]] | ||
-[[गिद्दा नृत्य|गिद्दा]] - [[पंजाब]] | -[[गिद्दा नृत्य|गिद्दा]] - [[पंजाब]] | ||
||[[चित्र:Ghoomar-Dance.jpg|right| | ||[[चित्र:Ghoomar-Dance.jpg|right|100px|घूमर नृत्य करती महिलाएँ]]'घूमर नृत्य' [[राजस्थान]] के प्रसिद्ध [[लोक नृत्य|लोक नृत्यों]] में से एक है। यह नृत्य राजस्थान में प्रचलित अत्यंत लोकप्रिय नृत्य है, जिसमें केवल स्त्रियाँ ही भाग लेती हैं। इसमें लहँगा पहने हुए स्त्रियाँ गोल घेरे में लोकगीत गाती हुई नृत्य करती हैं। जब ये महिलाएँ विशिष्ट शैली में नाचती हैं तो उनके लहँगे का घेर एवं हाथों का संचालन अत्यंत आकर्षक होता है। [[घूमर नृत्य]] तीज-त्योहारों, जैसे- [[होली]], दुर्गापूजा, [[नवरात्रि]] तथा [[गणगौर]] एवं विभिन्न देवियों की [[पूजा]] के अवसर पर आयोजित होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[घूमर नृत्य]] | ||
{[[भीमबेटका गुफ़ाएँ भोपाल|भीमबेटका गुफ़ाएँ]] किसके लिए प्रसिद्ध है? | {[[भीमबेटका गुफ़ाएँ भोपाल|भीमबेटका गुफ़ाएँ]] किसके लिए प्रसिद्ध है? | ||
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-[[कथासरित्सागर]] | -[[कथासरित्सागर]] | ||
+[[जयसंहिता]] | +[[जयसंहिता]] | ||
|| महाभारत में मूलतः 8800 श्लोक थे तथा इसका नाम 'जयसंहिता' (विजय संबंधी ग्रंथ) था। बाद में श्लोकों की संख्या 24000 होने के पश्चात यह वैदिक जन भरत के वंशजों की कथा होने के कारण | ||[[हिन्दू|हिन्दुओं]] के प्रमुख धार्मिक ग्रंथों में से एक [[महाभारत]] में मूलतः 8800 [[श्लोक]] थे तथा इसका नाम '[[जयसंहिता]]' (विजय संबंधी ग्रंथ) था। बाद में इसके श्लोकों की संख्या 24000 होने के पश्चात यह वैदिक जन [[भरत (दुष्यंत पुत्र)|भरत]] के वंशजों की कथा होने के कारण 'भारत' कहलाया। कालान्तर में [[गुप्त काल]] में श्लोकों की संख्या बढ़कर एक लाख तक होने पर यह 'शतसाहस्त्री संहिता' या 'महाभारत' कहलाया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयसंहिता]] | ||
{'भातखण्डे संगीत महाविद्यालय' कहाँ स्थित है? | {'भातखण्डे संगीत महाविद्यालय' कहाँ स्थित है? | ||
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-[[चण्डीगढ़]] | -[[चण्डीगढ़]] | ||
-[[इलाहाबाद]] | -[[इलाहाबाद]] | ||
||[[चित्र:Chota-Imambara-Lucknow.jpg|right|120px|छोटा इमामबाड़ा, लखनऊ]] | ||[[चित्र:Chota-Imambara-Lucknow.jpg|right|120px|छोटा इमामबाड़ा, लखनऊ]]लखनऊ को ऐतिहासिक रूप से 'अवध क्षेत्र' के नाम से जाना जाता था। पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार इसका प्राचीन नाम 'लक्ष्मणपुर' था। [[राम]] के छोटे भाई [[लक्ष्मण]] ने इसे बसाया था। [[लखनऊ]] को 'नवाबों का शहर' भी कहा जाता था। इस शहर को 'पूर्व का स्वर्णनगर' और 'शिराज-ए-हिन्द' के रूप में भी जाना जाता था। [[कला]] और [[संस्कृति]] के संरक्षक [[अवध]] के नवाबों के शासनकाल में की गई [[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल चित्रकारी]] आज भी कई संग्रहालयों में सुरक्षित है। यहाँ [[बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ|बड़ा इमामबाड़ा]], [[छोटा इमामबाड़ा लखनऊ|छोटा इमामबाड़ा]] तथा [[रूमी दरवाज़ा लखनऊ|रूमी दरवाज़ा]], [[मुग़ल कालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल वास्तुकला]] के अद्भुत उदाहरण हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लखनऊ]] | ||
{[[यहूदी|यहूदियों]] का पूजा स्थल क्या कहलाता है? | {[[यहूदी|यहूदियों]] का पूजा स्थल क्या कहलाता है? | ||
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-अग्निमन्दिर | -अग्निमन्दिर | ||
+ | +सिनागौग | ||
-मज़ार | -मज़ार | ||
-[[चर्च]] | -[[चर्च]] | ||
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{{कला सामान्य ज्ञान}} | {{कला सामान्य ज्ञान}} | ||
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12:35, 14 फ़रवरी 2013 का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- कला प्रांगण, कला कोश, संस्कृति प्रांगण, संस्कृति कोश, धर्म प्रांगण, धर्म कोश
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