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'''जाजनगर''' [[उड़ीसा]] के [[जाजपुर ज़िला|जाजपुर ज़िले]] में वैतरणी नदी के [[तट]] पर स्थित यह एक प्राचीन स्थल है। | '''जाजनगर''' [[उड़ीसा]] के [[जाजपुर ज़िला|जाजपुर ज़िले]] में वैतरणी नदी के [[तट]] पर स्थित यह एक प्राचीन स्थल है। प्राचीन समय में यह यज्ञपुर, जाजपुर के नाम से जाना जाता था। | ||
*[[महाभारत]] में इस क्षेत्र को विरजा क्षेत्र कहा गया है। | *[[महाभारत]] में इस क्षेत्र को विरजा क्षेत्र कहा गया है। | ||
*दूसरी-तीसरी [[सदी]] ई.में यह क्षेत्र एक तीर्थ स्थल के रूप में माना जाता था। | *दूसरी-तीसरी [[सदी]] ई.में यह क्षेत्र एक [[तीर्थ स्थल]] के रूप में माना जाता था। | ||
*कहा जाता है कि इस नगर की स्थापना छठी [[सदी]] में उड़ीसा के राजा ययाति केसरी ने की थी। | *कहा जाता है कि इस नगर की स्थापना छठी [[सदी]] में उड़ीसा के राजा ययाति केसरी ने की थी। | ||
*विरजा ययाति की इष्टदेवी थी। | *विरजा ययाति की इष्टदेवी थी। |
07:07, 16 जून 2013 का अवतरण
जाजनगर उड़ीसा के जाजपुर ज़िले में वैतरणी नदी के तट पर स्थित यह एक प्राचीन स्थल है। प्राचीन समय में यह यज्ञपुर, जाजपुर के नाम से जाना जाता था।
- महाभारत में इस क्षेत्र को विरजा क्षेत्र कहा गया है।
- दूसरी-तीसरी सदी ई.में यह क्षेत्र एक तीर्थ स्थल के रूप में माना जाता था।
- कहा जाता है कि इस नगर की स्थापना छठी सदी में उड़ीसा के राजा ययाति केसरी ने की थी।
- विरजा ययाति की इष्टदेवी थी।
- यहाँ पर एक मंदिर में विरजा (वि-रजा=रजोगुणहीन) देवी की मूर्ति स्थापित की है।
- यहाँ से प्राचीन विशालकाय प्रतिमाएँ मिली हैं।
- इनमें से एक 16 फुट ऊँची बोधिसत्व पद्मपाणि की प्रतिमा है।
- अन्य प्रतिमाएँ चामुण्डी,वराही एवं इन्द्राणी की हैं।
- ये काफ़ी क्षतिग्रस्त हैं।
- युवानच्वांग के समय जाजपुर ही उड़ीसा की राजधानी थी।
- मालवा के सुल्तान हुसंगशाह ने जाजनगर पर 1421 ई. में आक्रमण किया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अकादमी जयपुर, पृष्ठ संख्या-768