"ठुकरा दो या प्यार करो -सुभद्रा कुमारी चौहान": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "श्रृंगार" to "शृंगार") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " शृंगार " to " श्रृंगार ") |
||
पंक्ति 39: | पंक्ति 39: | ||
फिर भी साहस कर मंदिर में पूजा करने चली आयी | फिर भी साहस कर मंदिर में पूजा करने चली आयी | ||
धूप-दीप-नैवेद्य नहीं है झांकी का | धूप-दीप-नैवेद्य नहीं है झांकी का श्रृंगार नहीं | ||
हाय! गले में पहनाने को फूलों का भी हार नहीं | हाय! गले में पहनाने को फूलों का भी हार नहीं | ||
08:54, 17 जुलाई 2017 का अवतरण
| ||||||||||||||||||
|
देव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं |