"हिन्दी सामान्य ज्ञान": अवतरणों में अंतर
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||'डिंगल' [[राजस्थानी भाषा|राजस्थानी]] की प्रमुख बोली '[[मारवाड़ी बोली|मारवाड़ी]]' का साहित्यिक रूप है। कुछ लोग [[डिंगल]] को मारवाड़ी से भिन्न चारणों की एक अलग [[भाषा]] बतलाते हैं, किंतु ऐसा मानना निराधार है। डिंगल को 'भाटभाषा' भी कहा गया है। मारवाड़ी के साहित्यिक रूप का नाम डिंगल क्यों पड़ा, इस प्रश्न पर बहुत मत-वैभिन्न्य है। [[डॉ. श्यामसुन्दर दास]] के अनुसार- "पिंगल के सादृश्य पर यह एक गढ़ा हुआ शब्द है।" [[चन्द्रधर शर्मा गुलेरी]] के अनुसार- "डिंगल यादृच्छात्मक अनुकरण शब्द है।" [[साहित्य]] में डिंगल का प्रयोग 13वीं सदी के मध्य से लेकर आज तक मिलता है। डॉ. तेस्सितोरी ने 'डिंगल' के प्राचीन और अर्वाचीन दो भेद किए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[डिंगल]] | ||'डिंगल' [[राजस्थानी भाषा|राजस्थानी]] की प्रमुख बोली '[[मारवाड़ी बोली|मारवाड़ी]]' का साहित्यिक रूप है। कुछ लोग [[डिंगल]] को मारवाड़ी से भिन्न चारणों की एक अलग [[भाषा]] बतलाते हैं, किंतु ऐसा मानना निराधार है। डिंगल को 'भाटभाषा' भी कहा गया है। मारवाड़ी के साहित्यिक रूप का नाम डिंगल क्यों पड़ा, इस प्रश्न पर बहुत मत-वैभिन्न्य है। [[डॉ. श्यामसुन्दर दास]] के अनुसार- "पिंगल के सादृश्य पर यह एक गढ़ा हुआ शब्द है।" [[चन्द्रधर शर्मा गुलेरी]] के अनुसार- "डिंगल यादृच्छात्मक अनुकरण शब्द है।" [[साहित्य]] में डिंगल का प्रयोग 13वीं सदी के मध्य से लेकर आज तक मिलता है। डॉ. तेस्सितोरी ने 'डिंगल' के प्राचीन और अर्वाचीन दो भेद किए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[डिंगल]] | ||
{'एक नार पिया को भानी। तन वाको सगरा ज्यों पानी।' यह पंक्ति किस भाषा की है? | {'एक नार पिया को भानी। तन वाको सगरा ज्यों पानी।' यह पंक्ति किस [[भाषा]] की है? | ||
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+ [[ब्रजभाषा]] | +[[ब्रजभाषा]] | ||
- [[खड़ीबोली|खड़ीबोली भाषा]] | -[[खड़ीबोली|खड़ीबोली भाषा]] | ||
- [[अपभ्रंश भाषा]] | -[[अपभ्रंश भाषा]] | ||
- कन्नौजी भाषा | -[[कन्नौजी बोली|कन्नौजी भाषा]] | ||
|| | ||'ब्रजभाषा' मूलत: [[ब्रज|ब्रजक्षेत्र]] की बोली है। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक [[भारत]] में साहित्यिक [[भाषा]] रहने के कारण [[ब्रज]] की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और '[[ब्रजभाषा]]' नाम से जानी जाने लगी। शुद्ध रूप में यह आज भी [[मथुरा]], [[आगरा]], [[धौलपुर]] और [[अलीगढ़|अलीगढ़ ज़िलों]] में बोली जाती है। इसे हम 'केंद्रीय ब्रजभाषा' भी कह सकते हैं। आधुनिक ब्रजभाषा 1 करोड़ 23 लाख जनता के द्वारा बोली जाती है और लगभग 38,000 वर्गमील के क्षेत्र में फैली हुई है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ब्रजभाषा]] | ||
{[[अमीर ख़ुसरो]] ने जिन [[मुकरी (पहेली)|मुकरियों]], पहेलियों और दो सुखनों की रचना की है, उसकी मुख्य भाषा है? | {[[अमीर ख़ुसरो]] ने जिन [[मुकरी (पहेली)|मुकरियों]], पहेलियों और दो सुखनों की रचना की है, उसकी मुख्य भाषा है? | ||
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- [[दक्खिनी हिन्दी|दक्खिनी]] | -[[दक्खिनी हिन्दी|दक्खिनी]] | ||
+ [[ | +[[खड़ी बोली]] | ||
- [[बुन्देली बोली|बुन्देली]] | -[[बुन्देली बोली|बुन्देली]] | ||
- [[बघेली बोली|बघेली]] | -[[बघेली बोली|बघेली]] | ||
||भाषाशास्त्र की दृष्टि से [[खड़ी बोली]] शब्द का प्रयोग [[दिल्ली]], [[मेरठ]] के समीपस्थ ग्रामीण समुदाय की ग्रामीण बोली के लिए होता है। ग्रियर्सन ने इसे 'वर्नाक्यूलर हिन्दुस्तानी' तथा सुनीति कुमार चटर्जी ने 'जनपदीय हिन्दुस्तानी' कहा है। खडी बोली [[नागरी लिपि]] में ही लिखी जाती है। खड़ी बोली नाम सर्वप्रथम [[हिंदी]] या हिंदुस्तानी की उस शैली के लिए दिया गया, जो [[उर्दू]] की अपेक्षा अधिक शुद्ध हिंदी (भारतीय) थी और जिसका प्रयोग [[संस्कृत]] परम्परा अथवा भारतीय परम्परा से सम्बंधित लोग अधिक करते थे। अधिकांशत: वह नागरी लिपि में लिखी जाती थी। गिलक्राइस्ट के अनुसार 1805 ई. से हिंदी, हिंदुस्तानी और उर्दू शब्द समानार्थक थे, अत: इनसे अलगाव सिद्ध करने के लिए 'शुद्ध' विशेषण जोड़ने की आवश्यकता पड़ी तथा 'खड़ी बोली' नाम सार्थक हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[खड़ीबोली]] | |||
{[[देवनागरी लिपि]] को राष्ट्रलिपि के रूप में कब स्वीकार किया गया था? | {[[देवनागरी लिपि]] को राष्ट्रलिपि के रूप में कब स्वीकार किया गया था? | ||
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+ [[14 सितम्बर]], [[1949]] | +[[14 सितम्बर]], [[1949]] | ||
- [[21 सितम्बर]], 1949 | -[[21 सितम्बर]], 1949 | ||
- [[23 सितम्बर]], 1949 | -[[23 सितम्बर]], 1949 | ||
- [[25 सितम्बर]], 1949 | -[[25 सितम्बर]], 1949 | ||
||'देवनागरी' [[भारत]] में सर्वाधिक प्रचलित [[लिपि]] है, जिसमें [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]], [[हिन्दी]] और [[मराठी भाषा|मराठी]] भाषाएँ लिखी जाती हैं। इस शब्द का सबसे पहला उल्लेख 453 ई. में [[जैन]] ग्रंथों में मिलता है। 'नागरी' नाम के संबंध में मतैक्य नहीं है। यह अपने आरंभिक रूप में [[ब्राह्मी लिपि]] के नाम से जानी जाती थी। इसका वर्तमान रूप नवी-दसवीं शताब्दी से मिलने लगता है। [[8 अप्रैल]], [[1900]] ई. को तत्कालीन गवर्नर ने [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] के साथ नागरी को भी अदालतों और कचहरियों में समान अधिकार दे दिया गया। सरकार का यह प्रस्ताव हिन्दी के स्वाभिमान के लिए संतोषप्रद नहीं था। इससे हिन्दी को अधिकारपूर्ण सम्मान नहीं दिया गया था, बल्कि [[हिन्दी]] के प्रति दया दिखलाई गई थी। फिर भी इसे इतना श्रेय तो है ही कि कचहरियों में स्थान दिला सका और यह मज़बूत आधार प्रदान किया, जिसके बल पर देवनागरी 20वीं सदी में 'राष्ट्रलिपि' के रूप में उभरकर सामने आ सकी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[देवनागरी लिपि]] | |||
{'रानी केतकी की कहानी' की [[भाषा]] को कहा जाता है? | {'रानी केतकी की कहानी' की [[भाषा]] को कहा जाता है? | ||
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- हिन्दुस्तानी | -हिन्दुस्तानी | ||
+ [[खड़ीबोली]] | +[[खड़ीबोली]] | ||
- [[उर्दू भाषा|उर्दू]] | -[[उर्दू भाषा|उर्दू]] | ||
- [[अपभ्रंश भाषा|अपभ्रंश]] | -[[अपभ्रंश भाषा|अपभ्रंश]] | ||
{प्रादेशिक बोलियों के साथ [[ब्रज]] या मध्य देश की भाषा का आश्रय लेकर एक सामान्य साहित्यिक भाषा स्वीकृत हुई, जिसे चारणों ने नाम दिया? | {प्रादेशिक बोलियों के साथ [[ब्रज]] या मध्य देश की भाषा का आश्रय लेकर एक सामान्य साहित्यिक भाषा स्वीकृत हुई, जिसे चारणों ने नाम दिया? | ||
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- [[डिंगल|डिंगल भाषा]] | -[[डिंगल|डिंगल भाषा]] | ||
- मेवाड़ी भाषा | -मेवाड़ी भाषा | ||
- [[मारवाड़ी भाषा]] | -[[मारवाड़ी भाषा]] | ||
+ पिंगल भाषा | +पिंगल भाषा | ||
{निम्नलिखित में से कौन [[प्रेमचंद]] की एक रचना है? | {निम्नलिखित में से कौन [[प्रेमचंद]] की एक रचना है? |
07:46, 31 जुलाई 2013 का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- भाषा प्रांगण, हिन्दी भाषा
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