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'''मिट्टी की ओर''' [[राष्ट्रकवि]] [[रामधारी सिंह दिनकर]] का निबन्ध संग्रह है। इस निबंध संग्रह में [[इतिहास]] के दृष्टिकोण से, दृश्य और अदृश्य का सेतु कला में सोद्देश्यता का प्रश्न, [[हिन्दी]] [[कविता]] पर अशक्तता का दोष, वर्तमान कविता की प्रेरक शक्तियाँ, समकालीन सत्य से कविता का वियोग हिन्दी कविता और छंद, प्रगतिवाद, समकालीनता की व्याख्या, काव्य समीक्षा का दिशा-निर्देशन, [[साहित्य]] और राजनीति, [[खड़ी बोली]] का प्रतिनिधि कवि, बलिशाला ही हो मधुशाला, कवि श्री शियारामशरण गुप्त, तुम घर कब आओगे कवि इत्यादि विचारोत्तेजक निबंध संग्रहीत हैं।
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मिट्टी की ओर -रामधारी सिंह दिनकर
'मिट्टी की ओर' का आवरण पृष्ठ
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लेखक रामधारी सिंह दिनकर
मूल शीर्षक 'मिट्टी की ओर'
प्रकाशक 'लोकभारती प्रकाशन'
ISBN 978-81-8031-415
देश भारत
भाषा हिन्दी
विधा लेख-निबन्ध
टिप्पणी इस निबंध संग्रह में इतिहास के दृष्टिकोण से, हिन्दी कविता पर अशक्तता का दोष, साहित्य और राजनीति, खड़ी बोली का प्रतिनिधि कवि, तुम घर कब आओगे कवि इत्यादि विचारोत्तेजक निबंध संग्रहीत हैं।

मिट्टी की ओर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का निबन्ध संग्रह है। इस निबंध संग्रह में इतिहास के दृष्टिकोण से, दृश्य और अदृश्य का सेतु कला में सोद्देश्यता का प्रश्न, हिन्दी कविता पर अशक्तता का दोष, वर्तमान कविता की प्रेरक शक्तियाँ, समकालीन सत्य से कविता का वियोग हिन्दी कविता और छंद, प्रगतिवाद, समकालीनता की व्याख्या, काव्य समीक्षा का दिशा-निर्देशन, साहित्य और राजनीति, खड़ी बोली का प्रतिनिधि कवि, बलिशाला ही हो मधुशाला, कवि श्री शियारामशरण गुप्त, तुम घर कब आओगे कवि इत्यादि विचारोत्तेजक निबंध संग्रहीत हैं।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मिट्टी की ओर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 24 सितम्बर, 2013।

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