"अजीगर्त": अवतरणों में अंतर
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*शुनशेप की कहानी [[ब्राह्मण ग्रंथ|ब्राह्मण ग्रंथों]] में दी हुई है, जिसका '[[रामायण]]' में थोड़ा अवांतर पाया जाता है। | *शुनशेप की कहानी [[ब्राह्मण ग्रंथ|ब्राह्मण ग्रंथों]] में दी हुई है, जिसका '[[रामायण]]' में थोड़ा अवांतर पाया जाता है। | ||
*कहा जाता है कि शुनशेप ने [[विश्वामित्र]] के बतलाए कुछ [[मंत्र]] सुनाकर [[यज्ञ]] में उपस्थित [[इंद्र]] और [[वरुण देवता|वरुण]] को प्रसन्न कर अपने को मुक्त कर लिया था।<ref>{{cite web |url= http:// | *कहा जाता है कि शुनशेप ने [[विश्वामित्र]] के बतलाए कुछ [[मंत्र]] सुनाकर [[यज्ञ]] में उपस्थित [[इंद्र]] और [[वरुण देवता|वरुण]] को प्रसन्न कर अपने को मुक्त कर लिया था।<ref>{{cite web |url= http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%85%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4|title= अजीगर्त|accessmonthday= 06 अगस्त|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref> | ||
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12:30, 25 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण
अजीगर्त पौराणिक धर्मग्रंथों तथा हिन्दू मान्यताओं के अनुसार एक ऋषि, जिन्होंने अपने द्वितीय पुत्र शुनशेप को यज्ञ में बलि के लिए डाला था।
- शुनशेप की कहानी ब्राह्मण ग्रंथों में दी हुई है, जिसका 'रामायण' में थोड़ा अवांतर पाया जाता है।
- कहा जाता है कि शुनशेप ने विश्वामित्र के बतलाए कुछ मंत्र सुनाकर यज्ञ में उपस्थित इंद्र और वरुण को प्रसन्न कर अपने को मुक्त कर लिया था।[1]
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