"वाई": अवतरणों में अंतर
(''''वाई''' महाराष्ट्र में कृष्णा नदी के तट पर स्थित एक...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
*[[पांडव]] भी यहाँ अपने वनवास काल में कुछ समय के लिए रहे थे। | *[[पांडव]] भी यहाँ अपने वनवास काल में कुछ समय के लिए रहे थे। | ||
*वाई का प्राचीन नाम 'वैराज' क्षेत्र था। | *वाई का प्राचीन नाम 'वैराज' क्षेत्र था। | ||
===मंदिर एवं दर्शनीय स्थल=== | |||
यह [[पुराण]] प्रसिद्ध क्षेत्र है। यहाँ बहुत-सी धर्मशालायें हैं। बृहस्पति के कन्याराशि में रहने पर यहाँ स्नान वर्ष भर पुण्यप्रद माना जाता है। कृष्णानदी के पेशवाघाट पर [[शिव|यज्ञेश्वर शिव]] तथा मारुति मंदिर है। समीप में काशी विश्वनाथ मंदिर है। आगे भानुघाट तथा जोशीघाट हैं। कुछ उत्तर उमा महेश्वर का भव्य मंदिर है। इसमें चारों दिशा में थोड़ी दूरी पर कालाराम मंदिर है। आगे मुरलीधर मंदिर है। | |||
गंगपुरी मुहल्ले में वहिरोत्रा मंदिर तथा दत्तमंदिर हैं। कटिंजन घाट पर (सत्यपुरी में) एक मंडप में गणपति, विष्णु तथा महिषमर्दिनी मूर्ति हैं। पास के घाट पर ओंकारेश्वर मंदिर है। समीप ही राम मंदिर तथा काशी विश्वेश्वर मंदिर हैं। | |||
गणपति आली मुहल्ले के घाट पर गंगा रामेश्वर तथा भुवनेश्वर मंदिर हैं। यहाँ गणपति मंदिर में [[गणेश|गणेशजी]] की 7 फीट ऊँची मूर्ति है। इसके पास 14 शिखरों वाला काशी विश्वेश्वर का विशाल मंदिर है। मुहल्ले में गोविन्द, रामेश्वर, मुरलीघर, दत्त आदि के कई मंदिर हैं। | |||
धर्मपुरी में घाट पर रामेश्वर मंदिर के पास वादामी कुंड है। इसके समीप 5 कुंड और हैं। यहाँ मारुति मंदिर, कृष्णा मंदिर तथा त्रिशूलेश्वर मंदिर हैं। नरहरि का स्थान, अष्ट विनायक मूर्ति तथा हरिहरेश्वर एवं दत्त मंदिर एक क्रम में यहाँ हैं। दत्त मंदिर के पश्चिम पञ्चमुख मारुति तथा नागोवा मंदिर हैं। इस मुहल्ले में व्यंकटेश, [[श्रीराम]], [[लक्ष्मी|महालक्ष्मी]] तथा [[विष्णु|महाविष्णु]] के मंदिर हैं। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= | जूनी वाई में ब्राह्मण शाही मुहल्ले के घाट पर चक्रेश्वर शिव मंदिर, मारुति मंदिर, हरिहरेश्वर तथा कालेश्वर मंदिर हैं। विठोवा तथा गणपति मंदिर घाट पर ही हैं। कुछ दूर प्राचीन गणपति मंदिर है। आसपास काल भैरवेश्वर, मारुति विन्दु माधव, काशी विश्वेश्वर, भवानी, कौरवेश्वराद मंदिर हैं। | ||
रामदोह मुहल्ले के घाट पर रामेश्वर मंदिर है। मंदिर के दक्षिण रामकुंड में कन्या के गुरु होने पर गंगा की धारा प्रगट होती है। कुंड के पास देवी तथा वागेश्वर मंदिर हैं। | |||
रविवारपेठ में घाट पर भीमाशंकर मंदिर के सामने भीम कुंड तीर्थ है। बाजार में विशाल विठोवा मंदिर तथा मारूति मंदिर है। इसे प्राचीन समय में वैराज क्षेत्र के नाम से जाना जाता था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम= हिन्दूओं के तीर्थ स्थान|लेखक= सुदर्शन सिंह 'चक्र'|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=|संकलन=|संपादन=|पृष्ठ संख्या=185|url=}}</ref> | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक2|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थान}} | {{महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थान}} | ||
[[Category:महाराष्ट्र]][[Category:महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थल]][[Category:रामायण]][[Category:महाभारत]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:इतिहास कोश]] | [[Category:महाराष्ट्र]][[Category:महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थल]][[Category:रामायण]][[Category:महाभारत]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:महाराष्ट्र के धार्मिक स्थल]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
07:59, 23 सितम्बर 2016 का अवतरण
वाई महाराष्ट्र में कृष्णा नदी के तट पर स्थित एक प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ है। बंगलौर-पूना रेल मार्ग पर वाठर स्टेशन से यह 20 मील की दूरी पर स्थित है।[1]
- वाई का संबंध महाराष्ट्र के 17वीं शती के प्रसिद्ध संत समर्थ रामदास से बताया जाता है।
- प्राचीन किंवदंती के अनुसार कृष्णा नदी के तट पर वाई के निकटवर्ती प्रदेश में पहले अनेक ऋषियों की तपस्थली थी।
- कहा जाता है कि 'रामडीह' नामक स्थान पर वनवास काल में श्रीरामचंद्र जी ने कृष्णा नदी में स्नान किया था।
- पांडव भी यहाँ अपने वनवास काल में कुछ समय के लिए रहे थे।
- वाई का प्राचीन नाम 'वैराज' क्षेत्र था।
मंदिर एवं दर्शनीय स्थल
यह पुराण प्रसिद्ध क्षेत्र है। यहाँ बहुत-सी धर्मशालायें हैं। बृहस्पति के कन्याराशि में रहने पर यहाँ स्नान वर्ष भर पुण्यप्रद माना जाता है। कृष्णानदी के पेशवाघाट पर यज्ञेश्वर शिव तथा मारुति मंदिर है। समीप में काशी विश्वनाथ मंदिर है। आगे भानुघाट तथा जोशीघाट हैं। कुछ उत्तर उमा महेश्वर का भव्य मंदिर है। इसमें चारों दिशा में थोड़ी दूरी पर कालाराम मंदिर है। आगे मुरलीधर मंदिर है। गंगपुरी मुहल्ले में वहिरोत्रा मंदिर तथा दत्तमंदिर हैं। कटिंजन घाट पर (सत्यपुरी में) एक मंडप में गणपति, विष्णु तथा महिषमर्दिनी मूर्ति हैं। पास के घाट पर ओंकारेश्वर मंदिर है। समीप ही राम मंदिर तथा काशी विश्वेश्वर मंदिर हैं। गणपति आली मुहल्ले के घाट पर गंगा रामेश्वर तथा भुवनेश्वर मंदिर हैं। यहाँ गणपति मंदिर में गणेशजी की 7 फीट ऊँची मूर्ति है। इसके पास 14 शिखरों वाला काशी विश्वेश्वर का विशाल मंदिर है। मुहल्ले में गोविन्द, रामेश्वर, मुरलीघर, दत्त आदि के कई मंदिर हैं। धर्मपुरी में घाट पर रामेश्वर मंदिर के पास वादामी कुंड है। इसके समीप 5 कुंड और हैं। यहाँ मारुति मंदिर, कृष्णा मंदिर तथा त्रिशूलेश्वर मंदिर हैं। नरहरि का स्थान, अष्ट विनायक मूर्ति तथा हरिहरेश्वर एवं दत्त मंदिर एक क्रम में यहाँ हैं। दत्त मंदिर के पश्चिम पञ्चमुख मारुति तथा नागोवा मंदिर हैं। इस मुहल्ले में व्यंकटेश, श्रीराम, महालक्ष्मी तथा महाविष्णु के मंदिर हैं।
जूनी वाई में ब्राह्मण शाही मुहल्ले के घाट पर चक्रेश्वर शिव मंदिर, मारुति मंदिर, हरिहरेश्वर तथा कालेश्वर मंदिर हैं। विठोवा तथा गणपति मंदिर घाट पर ही हैं। कुछ दूर प्राचीन गणपति मंदिर है। आसपास काल भैरवेश्वर, मारुति विन्दु माधव, काशी विश्वेश्वर, भवानी, कौरवेश्वराद मंदिर हैं। रामदोह मुहल्ले के घाट पर रामेश्वर मंदिर है। मंदिर के दक्षिण रामकुंड में कन्या के गुरु होने पर गंगा की धारा प्रगट होती है। कुंड के पास देवी तथा वागेश्वर मंदिर हैं। रविवारपेठ में घाट पर भीमाशंकर मंदिर के सामने भीम कुंड तीर्थ है। बाजार में विशाल विठोवा मंदिर तथा मारूति मंदिर है। इसे प्राचीन समय में वैराज क्षेत्र के नाम से जाना जाता था।[2]
|
|
|
|
|