"नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश": अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा मन्दिर | |||
'''नैना देवी मंदिर''' [[बिलासपुर ज़िला]], [[हिमाचल प्रदेश]] | |चित्र=Naina-Devi-Temple.jpg | ||
|चित्र का नाम=नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश | |||
|वर्णन=नैना देवी मंदिर [[शिवालिक पर्वत श्रेणी|शिवालिक पर्वत शृंखला]] में स्थित है। कई पौराणिक कथाएँ इस मंदिर की स्थापना के साथ जुड़ी हुई हैं। मान्यता है कि इस स्थान पर देवी [[सती]] के [[नेत्र]] गिरे थे। | |||
|स्थान=[[बिलासपुर ज़िला]], [[हिमाचल प्रदेश]] | |||
|निर्माता= | |||
|जीर्णोद्धारक= | |||
|निर्माण काल= | |||
|देवी-देवता=नैना देवी ([[पार्वती]]) | |||
|वास्तुकला= | |||
|भौगोलिक स्थिति= | |||
|संबंधित लेख=[[नैना देवी मंदिर, नैनीताल]] | |||
|शीर्षक 1= | |||
|पाठ 1= | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|अन्य जानकारी=नैना देवी मंदिर 'महिशपीठ' के नाम से भी प्रसिद्ध है, क्योंकि यहाँ पर माँ नैना देवी जी ने [[दैत्य]] [[महिषासुर]] का वध किया था। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}} | |||
'''नैना देवी मंदिर''' [[बिलासपुर ज़िला]], [[हिमाचल प्रदेश]] में स्थित है। यह मंदिर [[शिवालिक पर्वत श्रेणी|शिवालिक पर्वत शृंखला]] में स्थित है। कई पौराणिक कथाएँ इस मंदिर की स्थापना के साथ जुड़ी हुई हैं। मान्यता है कि इस स्थान पर देवी [[सती]] के [[नेत्र]] गिरे थे। श्री नैना देवी मंदिर 'महिशपीठ' के नाम से भी प्रसिद्ध है, क्योंकि यहाँ पर माँ नैना देवी जी ने [[दैत्य]] [[महिषासुर]] का वध किया था। | |||
{{seealso|नैना देवी मंदिर, नैनीताल}} | {{seealso|नैना देवी मंदिर, नैनीताल}} | ||
====पौराणिक कथा==== | ====पौराणिक कथा==== | ||
एक पौराणिक कथा के अनुसार- देवी सती ने स्वयं को [[यज्ञ]] में जिंदा जला दिया था। | एक पौराणिक कथा के अनुसार- देवी [[सती]] ने स्वयं को [[यज्ञ]] में जिंदा जला दिया था। कहा जाता है कि भगवान [[शिव]] जब माता सती के दग्ध शरीर को आकाश मार्ग से [[कैलाश पर्वत]] की ओर ले जा रहे थे, इस दौरान भगवान [[विष्णु]] ने [[सुदर्शन चक्र]] से उनके शरीर को विभक्त कर दिया था। तभी माता सती की बांयी [[आँख]] (नैन या नयन) [[नैनीताल]] में तथा दांयी आँख [[हिमाचल प्रदेश]] के नैना देवी नाम के स्थान पर गिरी थी और इसी कारण यहाँ नैना देवी मंदिर की स्थापना हुई।<ref>{{cite web |url=http://navinjoshi1.wordpress.com/2014/07/07/nainital/ |title=नैनीताल और नैनी झील के कई जाने-अनजाने पहलू |accessmonthday=22 नवम्बर |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=नवीन जोशी (ब्लॉग) |language=हिंदी}}</ref><br /> | ||
<br /> | |||
एक अन्य कथा नैना नाम के लड़के की है। कहा जाता है कि एक बार वह अपने मवेशियों को चराने गया तो देखा कि एक [[गाय]] अपने थनों से एक पत्थर पर [[दूध]] की धार गिरा रही है। उसने अगले कई दिनों तक इस दृश्य को देखा। एक रात जब वह सो रहा था, उसने देवी माँ को सपने | एक अन्य कथा नैना नाम के लड़के की है। कहा जाता है कि एक बार वह अपने मवेशियों को चराने गया तो देखा कि एक [[गाय]] अपने थनों से एक पत्थर पर [[दूध]] की धार गिरा रही है। उसने अगले कई दिनों तक इस दृश्य को देखा। एक रात जब वह सो रहा था, उसने देवी माँ को सपने में यह कहते हुए देखा कि वह पत्थर उनकी पिंडी है। नैना ने पूरी स्थिति और उसके सपने के बारे में राजा बीर चंद को बताया। जब राजा ने देखा कि यह वास्तव में हो रहा है, तब उसने उसी स्थान पर नैना देवी नाम के मंदिर का निर्माण करवाया। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} |
09:58, 22 नवम्बर 2014 का अवतरण
नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश
| |
वर्णन | नैना देवी मंदिर शिवालिक पर्वत शृंखला में स्थित है। कई पौराणिक कथाएँ इस मंदिर की स्थापना के साथ जुड़ी हुई हैं। मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। |
स्थान | बिलासपुर ज़िला, हिमाचल प्रदेश |
देवी-देवता | नैना देवी (पार्वती) |
संबंधित लेख | नैना देवी मंदिर, नैनीताल |
अन्य जानकारी | नैना देवी मंदिर 'महिशपीठ' के नाम से भी प्रसिद्ध है, क्योंकि यहाँ पर माँ नैना देवी जी ने दैत्य महिषासुर का वध किया था। |
नैना देवी मंदिर बिलासपुर ज़िला, हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह मंदिर शिवालिक पर्वत शृंखला में स्थित है। कई पौराणिक कथाएँ इस मंदिर की स्थापना के साथ जुड़ी हुई हैं। मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। श्री नैना देवी मंदिर 'महिशपीठ' के नाम से भी प्रसिद्ध है, क्योंकि यहाँ पर माँ नैना देवी जी ने दैत्य महिषासुर का वध किया था। इन्हें भी देखें: नैना देवी मंदिर, नैनीताल
पौराणिक कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार- देवी सती ने स्वयं को यज्ञ में जिंदा जला दिया था। कहा जाता है कि भगवान शिव जब माता सती के दग्ध शरीर को आकाश मार्ग से कैलाश पर्वत की ओर ले जा रहे थे, इस दौरान भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर को विभक्त कर दिया था। तभी माता सती की बांयी आँख (नैन या नयन) नैनीताल में तथा दांयी आँख हिमाचल प्रदेश के नैना देवी नाम के स्थान पर गिरी थी और इसी कारण यहाँ नैना देवी मंदिर की स्थापना हुई।[1]
एक अन्य कथा नैना नाम के लड़के की है। कहा जाता है कि एक बार वह अपने मवेशियों को चराने गया तो देखा कि एक गाय अपने थनों से एक पत्थर पर दूध की धार गिरा रही है। उसने अगले कई दिनों तक इस दृश्य को देखा। एक रात जब वह सो रहा था, उसने देवी माँ को सपने में यह कहते हुए देखा कि वह पत्थर उनकी पिंडी है। नैना ने पूरी स्थिति और उसके सपने के बारे में राजा बीर चंद को बताया। जब राजा ने देखा कि यह वास्तव में हो रहा है, तब उसने उसी स्थान पर नैना देवी नाम के मंदिर का निर्माण करवाया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ नैनीताल और नैनी झील के कई जाने-अनजाने पहलू (हिंदी) नवीन जोशी (ब्लॉग)। अभिगमन तिथि: 22 नवम्बर, 2014।