"बत्तीसा मंदिर, बरसुर": अवतरणों में अंतर
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|चित्र का नाम=बत्तीसा मंदिर | |||
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|संबंधित लेख=[[छत्तीसगढ़]], [[छत्तीसगढ़ का इतिहास]] | |||
|अन्य जानकारी=मंदिर में बत्तीस स्तम्भ हैं, जो आठ पंक्तियों में एकदम सावधानी से उकेरे गए हैं। ये केवल बड़े-बड़े पत्थरों से निर्मित हैं। | |||
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'''बत्तीसा मंदिर''' [[छत्तीसगढ़|छत्तीसगढ़ राज्य]] में [[दंतेवाड़ा|दंतेवाड़ा ज़िले]] के [[बरसुर|बरसुर नगर]] में स्थित है। यह मंदिर 11वीं [[शताब्दी]] के [[नाग वंश|नागवंशीय]] नरेश सोमेश्वर देव के काल का माना जाता है। मंदिर चतुर्भज की आकृति में बत्तीस खम्भों पर खड़ा है। | '''बत्तीसा मंदिर''' [[छत्तीसगढ़|छत्तीसगढ़ राज्य]] में [[दंतेवाड़ा|दंतेवाड़ा ज़िले]] के [[बरसुर|बरसुर नगर]] में स्थित है। यह मंदिर 11वीं [[शताब्दी]] के [[नाग वंश|नागवंशीय]] नरेश सोमेश्वर देव के काल का माना जाता है। मंदिर चतुर्भज की आकृति में बत्तीस खम्भों पर खड़ा है। | ||
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*शिवलिंग पत्थर का बना हुआ है और वह एक बड़े से मैकेनिकल सिस्टम पर टिका हुआ है। जैसे पानी के गिरने से पनचक्की घूमती है, वैसे ही ये शिवलिंग भी घूमता है। यानि की कई सौ सालों से इसे घुमाया जा रहा है और ये घूम रहा है। यह शिवलिंग बिना आवाज़ के, बिना किसी [[घर्षण]] के, एकदम प्यार पूरा घूमता है।<ref>{{cite web |url=http://www.tarungoel.in/2014/04/01/barsur-temples-indravati-abhujmar/ |title= मंदिरों और तालाबों का शहर-बारसुर|accessmonthday= 07 दिसम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | *शिवलिंग पत्थर का बना हुआ है और वह एक बड़े से मैकेनिकल सिस्टम पर टिका हुआ है। जैसे पानी के गिरने से पनचक्की घूमती है, वैसे ही ये शिवलिंग भी घूमता है। यानि की कई सौ सालों से इसे घुमाया जा रहा है और ये घूम रहा है। यह शिवलिंग बिना आवाज़ के, बिना किसी [[घर्षण]] के, एकदम प्यार पूरा घूमता है।<ref>{{cite web |url=http://www.tarungoel.in/2014/04/01/barsur-temples-indravati-abhujmar/ |title= मंदिरों और तालाबों का शहर-बारसुर|accessmonthday= 07 दिसम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | ||
*मंदिर का मुख द्वार पूर्व दिशा की ओर है। | *मंदिर का मुख द्वार पूर्व दिशा की ओर है। | ||
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12:59, 7 दिसम्बर 2014 के समय का अवतरण
बत्तीसा मंदिर, बरसुर
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विवरण | 'बत्तीसा मंदिर' छत्तीसगढ़ राज्य के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। यह मंदिर बत्तीस स्तम्भों पर खड़ा हुआ है। |
राज्य | छत्तीसगढ़ |
ज़िला | दंतेवाड़ा |
नगर | बरसुर |
निर्माणकाल | 11वीं शताब्दी के लगभग |
संबंधित लेख | छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ का इतिहास |
अन्य जानकारी | मंदिर में बत्तीस स्तम्भ हैं, जो आठ पंक्तियों में एकदम सावधानी से उकेरे गए हैं। ये केवल बड़े-बड़े पत्थरों से निर्मित हैं। |
बत्तीसा मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य में दंतेवाड़ा ज़िले के बरसुर नगर में स्थित है। यह मंदिर 11वीं शताब्दी के नागवंशीय नरेश सोमेश्वर देव के काल का माना जाता है। मंदिर चतुर्भज की आकृति में बत्तीस खम्भों पर खड़ा है।
- यह स्मारक छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा संरक्षित है।
- मंदिर में बत्तीस स्तम्भ हैं, जो आठ पंक्तियों में एकदम सावधानी से उकेरे गए बड़े-बड़े केवल पत्थरों के हैं।
- गर्भगृह के बाहर एकदम सजा-धजा नंदी बैल है, तो अंदर एक अत्यंत सुन्दर, अनदेखा-सा शिवलिंग है।
- शिवलिंग पत्थर का बना हुआ है और वह एक बड़े से मैकेनिकल सिस्टम पर टिका हुआ है। जैसे पानी के गिरने से पनचक्की घूमती है, वैसे ही ये शिवलिंग भी घूमता है। यानि की कई सौ सालों से इसे घुमाया जा रहा है और ये घूम रहा है। यह शिवलिंग बिना आवाज़ के, बिना किसी घर्षण के, एकदम प्यार पूरा घूमता है।[1]
- मंदिर का मुख द्वार पूर्व दिशा की ओर है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मंदिरों और तालाबों का शहर-बारसुर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 07 दिसम्बर, 2014।