"आपके पिताजी कहां हैं -अटल बिहारी वाजपेयी": अवतरणों में अंतर
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'मैं भी तुम्हारे साथ कानून की पढ़ाई शुरू करूंगा। वे तब राजकीय सेवा से निवृत्त हो चुके थे अत: पिता-पुत्र दोनों साथ-साथ कानपुर आए।' | 'मैं भी तुम्हारे साथ कानून की पढ़ाई शुरू करूंगा। वे तब राजकीय सेवा से निवृत्त हो चुके थे अत: पिता-पुत्र दोनों साथ-साथ कानपुर आए।' | ||
उन दिनों कॉलेज के प्राचार्य श्रीयुत कालकाप्रसाद भटनागर थे। जब ये दोनों उनके पास प्रवेश हेतु पहुंचे तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। दोनों का प्रवेश एक ही सेक्शन में हो गया। | उन दिनों कॉलेज के प्राचार्य श्रीयुत कालकाप्रसाद भटनागर थे। जब ये दोनों उनके पास प्रवेश हेतु पहुंचे तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। दोनों का प्रवेश एक ही सेक्शन में हो गया। | ||
जिस दिन अटलजी कक्षा में न आएं, प्राध्यापक महोदय उनके पिताजी से पूछें- 'आपके पुत्र कहां हैं?' और जिस दिन पिताजी कक्षा में न जाएं, उस दिन अटलजी से वही प्रश्न 'आपके पिताजी कहां हैं?' | जिस दिन अटलजी कक्षा में न आएं, प्राध्यापक महोदय उनके पिताजी से पूछें- 'आपके पुत्र कहां हैं?' और जिस दिन पिताजी कक्षा में न जाएं, उस दिन अटलजी से वही प्रश्न 'आपके पिताजी कहां हैं?' | ||
फिर वही ठहाके। छात्रावास में ये पिता-पुत्र दोनों साथ ही एक ही कमरे में छात्र-रूप में रहते थे। झुंड के झुंड लड़के उन्हें देखने आया करते थे। | फिर वही ठहाके। छात्रावास में ये पिता-पुत्र दोनों साथ ही एक ही कमरे में छात्र-रूप में रहते थे। झुंड के झुंड लड़के उन्हें देखने आया करते थे। | ||
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08:44, 13 जनवरी 2015 का अवतरण
आपके पिताजी कहां हैं -अटल बिहारी वाजपेयी
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विवरण | अटल बिहारी वाजपेयी |
भाषा | हिंदी |
देश | भारत |
मूल शीर्षक | प्रेरक प्रसंग |
उप शीर्षक | अटल बिहारी वाजपेयी के प्रेरक प्रसंग |
संकलनकर्ता | अशोक कुमार शुक्ला |
जब अटलजी कानून पढ़ने डीएवी कॉलेज, कानपुर आना चाहते थे तो उनके पिताजी ने कहा-
'मैं भी तुम्हारे साथ कानून की पढ़ाई शुरू करूंगा। वे तब राजकीय सेवा से निवृत्त हो चुके थे अत: पिता-पुत्र दोनों साथ-साथ कानपुर आए।'
उन दिनों कॉलेज के प्राचार्य श्रीयुत कालकाप्रसाद भटनागर थे। जब ये दोनों उनके पास प्रवेश हेतु पहुंचे तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। दोनों का प्रवेश एक ही सेक्शन में हो गया।
जिस दिन अटलजी कक्षा में न आएं, प्राध्यापक महोदय उनके पिताजी से पूछें- 'आपके पुत्र कहां हैं?' और जिस दिन पिताजी कक्षा में न जाएं, उस दिन अटलजी से वही प्रश्न 'आपके पिताजी कहां हैं?'
फिर वही ठहाके। छात्रावास में ये पिता-पुत्र दोनों साथ ही एक ही कमरे में छात्र-रूप में रहते थे। झुंड के झुंड लड़के उन्हें देखने आया करते थे।
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