"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर
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-एस. एल. जोशी | -एस. एल. जोशी | ||
-के. एस. माथुर | -के. एस. माथुर | ||
||{{seealso|भारत की जन जातियाँ|भारत की आदिम जातियाँ}} | |||
{किस विद्वान ने जनजातियों का शास्त्रीय वर्गीकरण किया है? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-479;प्रश्न-09 | {किस विद्वान ने जनजातियों का शास्त्रीय वर्गीकरण किया है? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-479;प्रश्न-09 | ||
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+चेतनापूर्ण उद्देश्य | +चेतनापूर्ण उद्देश्य | ||
{मध्य प्रदेश के पूर्वी मण्डल के गोंड तथा भूमिसर जनजाति का अध्ययन किसने किया था? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-501;प्रश्न-28 | {[[मध्य प्रदेश]] के पूर्वी मण्डल के [[गोंड]] तथा भूमिसर जनजाति का अध्ययन किसने किया था? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-501;प्रश्न-28 | ||
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-श्रीनिवास | -श्रीनिवास | ||
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+लीला दुबे | +लीला दुबे | ||
-स्टीफन फिच | -स्टीफन फिच | ||
||{{seealso|भारत की जन जातियाँ|मध्य प्रदेश की संस्कृति}} | |||
{शिक्षा प्राप्त करने का आवश्यक तत्त्व क्या है? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-319;प्रश्न-12 | {शिक्षा प्राप्त करने का आवश्यक तत्त्व क्या है? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-319;प्रश्न-12 | ||
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-[[पाटलिपुत्र]] | -[[पाटलिपुत्र]] | ||
-[[तक्षशिला]] | -[[तक्षशिला]] | ||
||{{seealso|बिहार|बिहार पर्यटन}} | |||
{मार्क्स पूंजीवाद का आधार मानते हैं-(यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-751;प्रश्न-16 | {मार्क्स पूंजीवाद का आधार मानते हैं-(यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-751;प्रश्न-16 | ||
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-खेती के पारम्परिक तरीके अपनाता है। | -खेती के पारम्परिक तरीके अपनाता है। | ||
-भाग्यवादी दृष्टिकोण रखता है। | -भाग्यवादी दृष्टिकोण रखता है। | ||
||{{seealso|भारत की संस्कृति|भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ}} | |||
{क़ानून विहीन भीड़ कौन-सी है? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-547;प्रश्न-23 | {क़ानून विहीन भीड़ कौन-सी है? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-547;प्रश्न-23 | ||
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-[[द्रविड़|द्रविड़ियन]] | -[[द्रविड़|द्रविड़ियन]] | ||
+[[मंगोल]] | +[[मंगोल]] | ||
||{{seealso|भारत की जन जातियाँ|भारत की आदिम जातियाँ}} | |||
{वर्ग संरचना के संदर्भ में डैनियल बेल का ‘अक्षीय सिद्धांत’ क्या है? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-461;प्रश्न-14 | {वर्ग संरचना के संदर्भ में डैनियल बेल का ‘अक्षीय सिद्धांत’ क्या है? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-461;प्रश्न-14 | ||
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-दहेज विरोधी क़ानून | -दहेज विरोधी क़ानून | ||
-पूजा स्थल पर जूते उतार कर दर्शन | -पूजा स्थल पर जूते उतार कर दर्शन | ||
||{{seealso|सती प्रथा|डाकन प्रथा|दास प्रथा|नाता प्रथा}} | |||
{घनत्व सिद्धान्त का प्रतिपादन किसने किया? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-749;प्रश्न-13 | {घनत्व सिद्धान्त का प्रतिपादन किसने किया? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-749;प्रश्न-13 | ||
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-चीनी-तिब्बती भाषा परिवार | -चीनी-तिब्बती भाषा परिवार | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||{{seealso|भाषा-परिवार|भाषा|भारोपीय भाषा परिवार}} | |||
{निम्नलिखित में से किसने कहा था कि “मानव विकास के उपागम में ज्ञान, कर्म और भक्ति सम्मिलित है?” (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-461;प्रश्न-15 | {निम्नलिखित में से किसने कहा था कि “मानव विकास के उपागम में ज्ञान, कर्म और भक्ति सम्मिलित है?” (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-461;प्रश्न-15 | ||
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-थियोडोरसन | -थियोडोरसन | ||
{दायभाग का चलन मूलत: [[भारत]] के किस [[राज्य]] में है? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-751;प्रश्न-19 | {'दायभाग' का चलन मूलत: [[भारत]] के किस [[राज्य]] में है? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-751;प्रश्न-19 | ||
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-[[उड़ीसा]] | -[[उड़ीसा]] | ||
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-[[मध्य प्रदेश]] | -[[मध्य प्रदेश]] | ||
-[[महाराष्ट्र]] | -[[महाराष्ट्र]] | ||
||{{seealso|पश्चिम बंगाल की संस्कृति}} | |||
{जब देशी प्रथाएँ, [[हिन्दू देवी-देवता|देवी-देवता]] तथा अनुष्ठान एक स्थानीय ग्रामीण परिवेश से बड़े सामाजिक स्तर तक फैलते हैं तो परिवर्तन की इस प्रक्रिया को मैकिम मेरियर ने क्या कहा है? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-710;प्रश्न-30 | {जब देशी प्रथाएँ, [[हिन्दू देवी-देवता|देवी-देवता]] तथा अनुष्ठान एक स्थानीय ग्रामीण परिवेश से बड़े सामाजिक स्तर तक फैलते हैं तो परिवर्तन की इस प्रक्रिया को मैकिम मेरियर ने क्या कहा है? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-710;प्रश्न-30 | ||
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-[[जौनसारी जनजाति|जौनसारी]] | -[[जौनसारी जनजाति|जौनसारी]] | ||
+[[टोडा जनजाति|टोडा]] | +[[टोडा जनजाति|टोडा]] | ||
||{{seealso|भारत की जन जातियाँ|भारत की आदिम जातियाँ}} | |||
{किसी जनजाति की सर्वप्रमुख विलक्षणता क्या है? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-442;प्रश्न-01 | {किसी जनजाति की सर्वप्रमुख विलक्षणता क्या है? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-442;प्रश्न-01 | ||
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+[[दिल्ली]] | +[[दिल्ली]] | ||
-[[शाहजहाँनाबाद]] | -[[शाहजहाँनाबाद]] | ||
||{{seealso|मुग़ल साम्राज्य|मुग़ल वंश|मुग़ल काल}} | |||
{'दायभाग' के रचयिता कौन थे? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-751;प्रश्न-20 | {'दायभाग' के रचयिता कौन थे? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-751;प्रश्न-20 | ||
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-जाति का कोई राजनीतिक संगठन नहीं होता, जबकि जनजातियों का होता है। | -जाति का कोई राजनीतिक संगठन नहीं होता, जबकि जनजातियों का होता है। | ||
+उपरोक्त सभी | +उपरोक्त सभी | ||
||{{seealso|भारत की जन जातियाँ|भारत की आदिम जातियाँ}} | |||
{निम्नलिखित में से संस्था का कौन प्रकार्य नहीं है? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-442;प्रश्न-02 | {निम्नलिखित में से संस्था का कौन प्रकार्य नहीं है? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-442;प्रश्न-02 | ||
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-निग्रोइड | -निग्रोइड | ||
-कॉकेसियन | -कॉकेसियन | ||
||{{seealso|भारत की जन जातियाँ|भारत की आदिम जातियाँ}} | |||
{जनजातीय उत्थान के लिए पाँच मूल सिद्धांत (पंचशील) सर्वत्र किसके द्वारा प्रस्तुत किये गए? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-501;प्रश्न-34 | {जनजातीय उत्थान के लिए पाँच मूल सिद्धांत (पंचशील) सर्वत्र किसके द्वारा प्रस्तुत किये गए? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-501;प्रश्न-34 | ||
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-[[खासी जाति|खासी]] | -[[खासी जाति|खासी]] | ||
-[[संथाल]] | -[[संथाल]] | ||
||{{seealso|भारत की जन जातियाँ|भारत की आदिम जातियाँ}} | |||
{समाज के विभिन्न समूहों की श्रेष्ठता-हेयता के आधार पर वितरण की प्रक्रिया को कहते हैं-(यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-442;प्रश्न-04 | |||
|type="()"} | |||
-सामाजिक विभिन्नीकरण | |||
-सामाजिक उद्विकास | |||
+सामाजिक स्तरीकरण | |||
-सामाजिक विघटन | |||
{[[भारत का संविधान|भारतीय संविधान]] में जनजातियों के लिए कौन-सा शब्द प्रयुक्त किया गया है? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-479;प्रश्न-16 | {[[भारत का संविधान|भारतीय संविधान]] में जनजातियों के लिए कौन-सा शब्द प्रयुक्त किया गया है? (यूजीसी समाजशास्त्र,पृ.सं.-479;प्रश्न-16 | ||
पंक्ति 571: | पंक्ति 591: | ||
+अनुसूचित जनजाति | +अनुसूचित जनजाति | ||
-आदिम जाति | -आदिम जाति | ||
||{{seealso|भारत का संविधान- अनुसूचित जनजाति क्षेत्र}} | |||
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</quiz> | </quiz> | ||
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10:46, 13 मार्च 2015 का अवतरण
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