"बलदेव वंशी": अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) (''''डॉ. बलदेव वंशी''' (अंग्रेज़ी: ''Baldev Vanshi'', जन्म: 1 जून, 1938) ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा साहित्यकार | |||
|चित्र=Baldev-vanshi.jpg | |||
|चित्र का नाम=डॉ. बलदेव वंशी | |||
|पूरा नाम=डॉ. बलदेव वंशी | |||
|अन्य नाम= | |||
|जन्म=[[1 जून]], [[1938]] | |||
|जन्म भूमि=[[मुल्तान]], [[पाकिस्तान]] | |||
|मृत्यु= | |||
|मृत्यु स्थान= | |||
|अविभावक= | |||
|पालक माता-पिता= | |||
|पति/पत्नी= | |||
|संतान= | |||
|कर्म भूमि= | |||
|कर्म-क्षेत्र=अध्यापक, कवि, लेखक | |||
|मुख्य रचनाएँ=दादू ग्रंथावली, सन्त मलूकदास ग्रंथावली, इतिहास में आग, पत्थर तक जाग रहे हैं, उपनगर में वापसी, अंधेरे के बावजूद, बगो की दुनिया आदि | |||
|विषय= | |||
|भाषा=[[हिन्दी]] | |||
|विद्यालय= | |||
|शिक्षा= | |||
|पुरस्कार-उपाधि=कबीर शिखर सम्मान, मलूक रत्न सम्मान, दादू शिखर सम्मान | |||
|प्रसिद्धि= | |||
|विशेष योगदान= | |||
|नागरिकता=भारतीय | |||
|संबंधित लेख= | |||
|शीर्षक 1= | |||
|पाठ 1= | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|अन्य जानकारी=अध्यापन कार्य से अवकाश प्राप्त डॉ. बलदेव वंशी ने न केवल साहित्य की विविध् विधाओं में अपनी कलम चलाई वरन [[हिन्दी]] के प्रचार-प्रसार के कार्य में सक्रिय भागीदारी भी की | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन={{अद्यतन|16:13, 24 मार्च 2015 (IST)}} | |||
}} | |||
'''डॉ. बलदेव वंशी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Baldev Vanshi'', जन्म: [[1 जून]], [[1938]]) [[हिन्दी साहित्य]] जगत का एक जाना-माना नाम है। इनका व्यक्तित्व जीवन संघर्षों की आंच में तपा है। अध्यापन कार्य से अवकाश प्राप्त डॉ. बलदेव वंशी ने न केवल साहित्य की विविध् विधाओं में अपनी कलम चलाई वरन हिन्दी के प्रचार-प्रसार के कार्य में सक्रिय भागीदारी भी की। इन्हें [[हिन्दी]] को लेकर [[दिल्ली]] के यू.पी.एस.सी. पर चलने वाले संभवतः सबसे लंबे धरने का अहम् हिस्सा रहे। | '''डॉ. बलदेव वंशी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Baldev Vanshi'', जन्म: [[1 जून]], [[1938]]) [[हिन्दी साहित्य]] जगत का एक जाना-माना नाम है। इनका व्यक्तित्व जीवन संघर्षों की आंच में तपा है। अध्यापन कार्य से अवकाश प्राप्त डॉ. बलदेव वंशी ने न केवल साहित्य की विविध् विधाओं में अपनी कलम चलाई वरन हिन्दी के प्रचार-प्रसार के कार्य में सक्रिय भागीदारी भी की। इन्हें [[हिन्दी]] को लेकर [[दिल्ली]] के यू.पी.एस.सी. पर चलने वाले संभवतः सबसे लंबे धरने का अहम् हिस्सा रहे। | ||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
पंक्ति 23: | पंक्ति 56: | ||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
*[http://hindisamay.com/dadu/dadu-granthawali-sakhi.htm दादू ग्रंथावली] | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{समकालीन कवि}} | {{समकालीन कवि}} |
10:43, 24 मार्च 2015 का अवतरण
बलदेव वंशी
| |
पूरा नाम | डॉ. बलदेव वंशी |
जन्म | 1 जून, 1938 |
जन्म भूमि | मुल्तान, पाकिस्तान |
कर्म-क्षेत्र | अध्यापक, कवि, लेखक |
मुख्य रचनाएँ | दादू ग्रंथावली, सन्त मलूकदास ग्रंथावली, इतिहास में आग, पत्थर तक जाग रहे हैं, उपनगर में वापसी, अंधेरे के बावजूद, बगो की दुनिया आदि |
भाषा | हिन्दी |
पुरस्कार-उपाधि | कबीर शिखर सम्मान, मलूक रत्न सम्मान, दादू शिखर सम्मान |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | अध्यापन कार्य से अवकाश प्राप्त डॉ. बलदेव वंशी ने न केवल साहित्य की विविध् विधाओं में अपनी कलम चलाई वरन हिन्दी के प्रचार-प्रसार के कार्य में सक्रिय भागीदारी भी की |
अद्यतन | 16:13, 24 मार्च 2015 (IST)
|
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
डॉ. बलदेव वंशी (अंग्रेज़ी: Baldev Vanshi, जन्म: 1 जून, 1938) हिन्दी साहित्य जगत का एक जाना-माना नाम है। इनका व्यक्तित्व जीवन संघर्षों की आंच में तपा है। अध्यापन कार्य से अवकाश प्राप्त डॉ. बलदेव वंशी ने न केवल साहित्य की विविध् विधाओं में अपनी कलम चलाई वरन हिन्दी के प्रचार-प्रसार के कार्य में सक्रिय भागीदारी भी की। इन्हें हिन्दी को लेकर दिल्ली के यू.पी.एस.सी. पर चलने वाले संभवतः सबसे लंबे धरने का अहम् हिस्सा रहे।
जीवन परिचय
डॉ. बलदेव वंशी का जन्म 1 जून, 1938 को पाकिस्तान के मुल्तान शहर में हुआ था। डॉ. बलदेव वंशी ने कहानियां व समीक्षात्मक लेख भी लिखे पर इनका मन कविता में ही सर्वाधिक रमा। अपनी कविताओं की अनूठी बिंब योजना को लेकर बलदेव वंशी खासे चर्चित रहे। अनेक सम्मानों से सम्मानित व देश-विदेश की अनेक साहित्यिक यात्रा कर चुके डॉ. बलदेव वंशी एक लंबे समय से संत साहित्य पर कार्य कर रहे हैं और आज यह उनकी विशेष पहचान बन चुका है। संत साहित्य पर उनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और पाठकों द्वारा प्रशंसा प्राप्त कर चुकी हैं। इन दिनों आप ‘विश्व संत साहित्य कोश’ की एक बड़ी योजना को लेकर कार्य कर रहे हैं।[1]
भाषा आंदोलन
बलदेव वंशी का नाम आते ही सहसा भारत के संघ लोक सेवा आयोग के गेट पर भारतीय भाषाओं को उनका हक दिलाने के लिए चलाए गए दुनिया के सबसे लंबे धरने की याद आ जाती हैं जिसके लिए पुष्पेंद्र चौहान और राजकरण सिंह ने पूरा जीवन समर्पित कर दिया। बलदेव वंशी इस धरने के संस्थापक-अध्यक्ष रहते हुए कई बार गिरफ्तार किए गए। धरने से वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक तथा प्रख्यात् कथाकार महीप सिंह जुड़े और समय-समय पर प्रभाष जोशी, भी धरने पर बैठते रहे। राजनेताओं में अटल बिहारी वाजपेयी, विश्वनाथ प्रताप सिंह, लालकृष्ण आडवाणी और राम विलास पासवान भी उस धरन पर बैठे थे। कहने का मतलब यह कि बलदेव वंशी कवि-लेखक के रूप में तो प्रतिष्ठित है ही, भारतीय भाषाओं को उनका हक दिलाने के आंदोलन में भी अग्रणी भूमिका निभाते रहे हैं।[2]
कृतियाँ
'दर्शकदीर्घा से', 'उपनगर में वापसी', 'अंधेरे के बावजूद', 'बगो की दुनिया', 'आत्मदान', 'कहीं कोई आवाज़ नहीं', 'टूटता हुआ तार', 'एक दुनिया यह भी', 'हवा में खिलखिलाती लौ', 'पानी के नीचे दहकती आग', 'खुशबू की दस्तक', 'सागर दर्शन', 'अंधेरे में रह दिखाती लौ, 'नदी पर खुलता द्वार', 'मन्यु', 'वाक् गंगा', 'इतिहास में आग', 'पत्थर तक जाग रहे हैं', 'धरती हांफ रही है', 'महाआकाश कथा', 'पूरा पाठ गलत', तथा 'चाक पर चढ़ी जैसे पंद्रह कविता संग्रहों की कविताओं के एकत्र संकलन 'कथा समग्र' से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि वंशी मूलत: कवि हैं और उनका जीवन कविता को समर्पित रहा है, जिसमें स्वातंत्र्योत्तर भारत के मनुष्य की तकलीफ, संघर्ष और संवेदना को हृदयग्राही अभिव्यक्ति मिली है। ये कविताएं एक तरफ दूर-निकट इतिहास के पत्र और परिवेश उठाकर समकालीन जीवन की संभावनाएँ तलाशती हैं तो दूसरी तरफ मिथकों को उठाकर उनके जरिये अपनी बात अपने तरीके से कहने की कोशिश करती हैं।[2]
प्रसिद्ध कृतियाँ
- दादू ग्रंथावली
- सन्त मलूकदास ग्रंथावली
- सन्त मीराबाई
- सन्त सहजो कवितावलियाँ
सम्मान और पुरस्कार
- कबीर शिखर सम्मान
- मलूक रत्न सम्मान
- दादू शिखर सम्मान
- विभिन्न अकादमियों, संस्थाओं, विश्वविद्यालयों द्वारा सम्मानित।
- छह पुस्तकों पर केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा पुरस्कृत।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ साक्षात्कार – सबसे अधिक संवेदनशीलता कविता में प्रकट होती है – डॉ. बलदेव वंशी (हिन्दी) प्रवासी दुनिया। अभिगमन तिथि: 24 मार्च, 2015।
- ↑ 2.0 2.1 दैनिक जागरण 23 मार्च, 2015
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख