"राष्ट्रभाषा": अवतरणों में अंतर
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[[महात्मा गाँधी]] जी की अध्यक्षता में [[इन्दौर]] में 'हिन्दी साहित्य सम्मेलन' आयोजित हुआ और उसी में पारित एक प्रस्ताव के द्वारा [[हिन्दी]] [[राष्ट्रभाषा]] मानी गयी। | *[[महात्मा गाँधी]] जी की अध्यक्षता में [[1918]] में [[इन्दौर]] में 'हिन्दी साहित्य सम्मेलन' आयोजित हुआ और उसी में पारित एक प्रस्ताव के द्वारा [[हिन्दी]] [[राष्ट्रभाषा]] मानी गयी। इस प्रस्ताव के स्वीकृत होने के बाद दक्षिण भारत में हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिये ''[[दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा]]'' की भी स्थापना हुयी जिसका मुख्यालय [[मद्रास]] में था। | ||
[[1947]] में आजादी मिलने के बाद जब भारतीय संविधान लागू हुआ तो उसके अनुच्छेद 343 के द्वारा भारतीय संघ की भाषा हिन्दी और [[देवनागरी लिपि|लिपि देवनागरी]] निर्धारित की गयी परन्तु संविधान लागू होने के वर्ष [[1950]] से 15 वर्ष तक की अवधि [[1965]] तक के लिये संघ की भाषा के रूप में [[अंगेजी]] का प्रयोग किया जा सकता था। भारतीय संसद को यह अधिकार दिया गया था कि वह चाहे तो संघ की भाषा के रूप में अंगेजी के प्रयोग की अवधि को बढा सकती थी। वर्ष [[1963]] में संसद में राजभाषा अधिनियम 1963 पारित करते हुये यह व्यवस्था कर दी थी कि [[1971]] तक भारतीय संघ के रूप में अंग्रेजी भाषा का उपयोग होता रहेगा । कालान्तर में 1971 की कालावधि समाप्त कर अनिश्चितकाल के लिये इस व्यवस्था को लागू किया गया। [[संविधान]] के अनुच्छेद 344 के द्वारा 22 भाषाओं को [[राजभाषा]] की मान्यता प्रदान की गयी है। | *[[1947]] में आजादी मिलने के बाद जब भारतीय संविधान लागू हुआ तो उसके अनुच्छेद 343 के द्वारा भारतीय संघ की भाषा हिन्दी और [[देवनागरी लिपि|लिपि देवनागरी]] निर्धारित की गयी परन्तु संविधान लागू होने के वर्ष [[1950]] से 15 वर्ष तक की अवधि [[1965]] तक के लिये संघ की भाषा के रूप में [[अंगेजी]] का प्रयोग किया जा सकता था। भारतीय संसद को यह अधिकार दिया गया था कि वह चाहे तो संघ की भाषा के रूप में अंगेजी के प्रयोग की अवधि को बढा सकती थी। वर्ष [[1963]] में संसद में राजभाषा अधिनियम 1963 पारित करते हुये यह व्यवस्था कर दी थी कि [[1971]] तक भारतीय संघ के रूप में अंग्रेजी भाषा का उपयोग होता रहेगा । कालान्तर में 1971 की कालावधि समाप्त कर अनिश्चितकाल के लिये इस व्यवस्था को लागू किया गया। | ||
*[[संविधान]] के अनुच्छेद 344 के द्वारा 22 भाषाओं को [[राजभाषा]] की मान्यता प्रदान की गयी है। | |||
सन् [[2001]] की [[जनगणना]] के अनुसार, लगभग 25.79 करोड़ भारतीय हिंदी का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं। | सन् [[2001]] की [[जनगणना]] के अनुसार, लगभग 25.79 करोड़ भारतीय हिंदी का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं। |
17:04, 3 जून 2015 का अवतरण
- महात्मा गाँधी जी की अध्यक्षता में 1918 में इन्दौर में 'हिन्दी साहित्य सम्मेलन' आयोजित हुआ और उसी में पारित एक प्रस्ताव के द्वारा हिन्दी राष्ट्रभाषा मानी गयी। इस प्रस्ताव के स्वीकृत होने के बाद दक्षिण भारत में हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिये दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा की भी स्थापना हुयी जिसका मुख्यालय मद्रास में था।
- 1947 में आजादी मिलने के बाद जब भारतीय संविधान लागू हुआ तो उसके अनुच्छेद 343 के द्वारा भारतीय संघ की भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी निर्धारित की गयी परन्तु संविधान लागू होने के वर्ष 1950 से 15 वर्ष तक की अवधि 1965 तक के लिये संघ की भाषा के रूप में अंगेजी का प्रयोग किया जा सकता था। भारतीय संसद को यह अधिकार दिया गया था कि वह चाहे तो संघ की भाषा के रूप में अंगेजी के प्रयोग की अवधि को बढा सकती थी। वर्ष 1963 में संसद में राजभाषा अधिनियम 1963 पारित करते हुये यह व्यवस्था कर दी थी कि 1971 तक भारतीय संघ के रूप में अंग्रेजी भाषा का उपयोग होता रहेगा । कालान्तर में 1971 की कालावधि समाप्त कर अनिश्चितकाल के लिये इस व्यवस्था को लागू किया गया।
- संविधान के अनुच्छेद 344 के द्वारा 22 भाषाओं को राजभाषा की मान्यता प्रदान की गयी है।
सन् 2001 की जनगणना के अनुसार, लगभग 25.79 करोड़ भारतीय हिंदी का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं।