"ज़बानी जमा-खर्च करना": अवतरणों में अंतर

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'''अर्थ'''- कोई बात कहने भर तक सीमित रहना, पर करना-धरना कुछ नहीं।
'''अर्थ'''- कोई बात कहने भर तक सीमित रहना, पर करना-धरना कुछ नहीं।


'''प्रयोग'''- मनोज अपने दोस्तों के सामने बड़ी-बड़ी बातें तो करता मगर करता-धरता कुछ नहीं।
 


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

12:45, 19 नवम्बर 2015 का अवतरण

ज़बानी जमा-खर्च करना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- कोई बात कहने भर तक सीमित रहना, पर करना-धरना कुछ नहीं।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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