"शान्तनु कुण्ड": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''शान्तनु कुण्ड''' मथुरा से लगभग तीन मील की दूरी पर ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''शान्तनु कुण्ड''' [[मथुरा]] से लगभग तीन मील की दूरी पर [[गोवर्धन]] राजमार्ग यह स्थित है। इसका वर्तमान नाम 'सतोहा' है। यह स्थान महाराज शान्तनु की तपस्या स्थली है।
{{सूचना बक्सा पर्यटन
|चित्र=Blank-Image-2.jpg
|चित्र का नाम=शान्तनु कुण्ड
|विवरण=यह स्थान [[शान्तनु|महाराज शान्तनु]] की तपस्या स्थली है। शान्तनु कुण्ड [[मथुरा]] से लगभग तीन मील की दूर [[गोवर्धन]] रोड पर स्थित है। इसका वर्तमान नाम 'सतोहा' है।
|राज्य=[[उत्तर प्रदेश]]
|केन्द्र शासित प्रदेश=
|ज़िला=[[मथुरा]]
|निर्माता=
|स्वामित्व=
|प्रबंधक=
|निर्माण काल=
|स्थापना=
|भौगोलिक स्थिति=
|मार्ग स्थिति=
|मौसम=
|तापमान=
|प्रसिद्धि=हिन्दू धार्मिक स्थल
|कब जाएँ=कभी भी
|कैसे पहुँचें=
|हवाई अड्डा=
|रेलवे स्टेशन=
|बस अड्डा=
|यातायात=कार, बस, ऑटो आदि
|क्या देखें=
|कहाँ ठहरें=
|क्या खायें=
|क्या ख़रीदें=
|एस.टी.डी. कोड=
|ए.टी.एम=
|सावधानी=
|मानचित्र लिंक=
|संबंधित लेख=[[ललिता कुण्ड काम्यवन]], [[विशाखा कुण्ड वृन्दावन]], [[राधाकुण्ड गोवर्धन]], [[ब्रज]], [[वृन्दावन]], [[काम्यवन]]
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन={{अद्यतन|18:22, 29 जुलाई 2016 (IST)}}
}}
'''शान्तनु कुण्ड''' [[मथुरा]] से लगभग तीन मील की दूर [[गोवर्धन]] रोड पर स्थित है। इसका वर्तमान नाम 'सतोहा' है। यह स्थान [[शान्तनु|महाराज शान्तनु]] की तपस्या स्थली है।


[[शान्तनु|महाराज शान्तनु]] ने पुत्र कामना से इस स्थान पर भगवद आराधना की थी। [[भीष्म|भीष्म पितामह]] इनके पुत्र थे। भीष्म पितामह की माता का नाम [[गंगा]] था, किन्तु गंगा विशेष कारण से महाराज शान्तनु को छोड़कर चली गई थी।
*[[शान्तनु|महाराज शान्तनु]] ने [[पुत्र]] कामना से इस स्थान पर भगवद आराधना की थी। [[भीष्म|भीष्म पितामह]] इनके पुत्र थे। भीष्म पितामह की [[माता]] का नाम [[गंगा]] था, किन्तु गंगा विशेष कारण से महाराज शान्तनु को छोड़कर चली गई थी।
*महाराज शान्तनु मथुरा के सामने [[यमुना]] के उस पार एक धीवर के घर यपलावण्यवती<ref>उर्वशी की कन्या सत्यवती</ref> '[[मत्स्यगन्धा]]' या 'मत्स्योदरी' को देखकर उससे [[विवाह]] करने के इच्छुक हो गये, किन्तु धीवर, महाराज को अपनी पोष्य कन्या को देने के लिए प्रस्तुत नहीं हुआ। उसने कहा- "मेरी कन्या से उत्पन्न पुत्र ही आपके राज्य का अधिकारी होगा। मेरी इस शर्त को स्वीकार करने पर ही आप मेरी इस कन्या को ग्रहण कर सकते हैं।" महाराज शान्तनु ने युवराज देवव्रत (भीष्म) के कारण विवाह करना अस्वीकार कर दिया। किन्तु मन ही मन दु:खी रहने लगे। कुमार देवव्रत को यह बात मालूम होने पर वे धीवर के घर पहुँचे और उसके सामने प्रतिज्ञा की कि- "मैं आजीवन ब्रह्मचारी रहूँगा और मत्स्योदरी के गर्भ से उत्पन्न बालक तुम्हारा दोहता ही राजा होगा।" ऐसी प्रतिज्ञा कर उस धीवर-कन्या से महाराज शान्तनु का विवाह करवाया। इससे प्रतीत होता है कि महाराज की राजधानी [[हस्तिनापुर]] होने पर भी शान्तनु कुण्ड में भी उनका एक निवास स्थल था।
*महाराज शान्तनु मथुरा के सामने [[यमुना]] के उस पार एक धीवर के घर यपलावण्यवती<ref>उर्वशी की कन्या सत्यवती</ref> '[[मत्स्यगन्धा]]' या 'मत्स्योदरी' को देखकर उससे [[विवाह]] करने के इच्छुक हो गये, किन्तु धीवर, महाराज को अपनी पोष्य कन्या को देने के लिए प्रस्तुत नहीं हुआ। उसने कहा- "मेरी कन्या से उत्पन्न पुत्र ही आपके राज्य का अधिकारी होगा। मेरी इस शर्त को स्वीकार करने पर ही आप मेरी इस कन्या को ग्रहण कर सकते हैं।" महाराज शान्तनु ने युवराज देवव्रत<ref>भीष्म</ref> के कारण विवाह करना अस्वीकार कर दिया। किन्तु मन ही मन दु:खी रहने लगे। कुमार देवव्रत को यह बात मालूम होने पर वे धीवर के घर पहुँचे और उसके सामने प्रतिज्ञा की कि- "मैं आजीवन ब्रह्मचारी रहूँगा और मत्स्योदरी के गर्भ से उत्पन्न बालक तुम्हारा दोहता ही राजा होगा।" ऐसी प्रतिज्ञा कर उस धीवर-कन्या से महाराज शान्तनु का विवाह करवाया। इससे प्रतीत होता है कि महाराज शान्तनु की राजधानी [[हस्तिनापुर]] होने पर भी शान्तनु कुण्ड में भी उनका एक निवास स्थल था।
*संतान की कामना करने वाली स्त्रियाँ इस कुण्ड में स्नान करती हैं तथा मन्दिर के पीछे गोबर का सतिया बनाकर [[पूजा]] करती हैं।
*संतान की कामना करने वाली स्त्रियाँ इस कुण्ड में स्नान करती हैं तथा मन्दिर के पीछे गोबर का स्वस्तिक<ref>सतिया</ref> बनाकर [[पूजा]] करती हैं।
*शान्तनु कुण्ड के बीच में ऊँचे टीले पर [[शान्तनु]] के आराध्य श्रीशान्तनु बिहारी जी का मन्दिर है।
*शान्तनु कुण्ड के बीच में ऊँचे टीले पर [[शान्तनु]] के आराध्य 'श्रीशान्तनु बिहारी जी' का मन्दिर है।




 
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{seealso|कुमुदवन}}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
[[Category:ब्रज]][[Category:ब्रज के धार्मिक स्थल]][[Category:ब्रज के दर्शनीय स्थल]][[Category:पर्यटन कोश]]
[[Category:ब्रज]][[Category:ब्रज के धार्मिक स्थल]][[Category:ब्रज के दर्शनीय स्थल]][[Category:हिन्दू धार्मिक स्थल]][[Category:पर्यटन कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

12:52, 29 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

शान्तनु कुण्ड
शान्तनु कुण्ड
शान्तनु कुण्ड
विवरण यह स्थान महाराज शान्तनु की तपस्या स्थली है। शान्तनु कुण्ड मथुरा से लगभग तीन मील की दूर गोवर्धन रोड पर स्थित है। इसका वर्तमान नाम 'सतोहा' है।
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला मथुरा
प्रसिद्धि हिन्दू धार्मिक स्थल
कब जाएँ कभी भी
यातायात कार, बस, ऑटो आदि
संबंधित लेख ललिता कुण्ड काम्यवन, विशाखा कुण्ड वृन्दावन, राधाकुण्ड गोवर्धन, ब्रज, वृन्दावन, काम्यवन


अद्यतन‎

शान्तनु कुण्ड मथुरा से लगभग तीन मील की दूर गोवर्धन रोड पर स्थित है। इसका वर्तमान नाम 'सतोहा' है। यह स्थान महाराज शान्तनु की तपस्या स्थली है।

  • महाराज शान्तनु ने पुत्र कामना से इस स्थान पर भगवद आराधना की थी। भीष्म पितामह इनके पुत्र थे। भीष्म पितामह की माता का नाम गंगा था, किन्तु गंगा विशेष कारण से महाराज शान्तनु को छोड़कर चली गई थी।
  • महाराज शान्तनु मथुरा के सामने यमुना के उस पार एक धीवर के घर यपलावण्यवती[1] 'मत्स्यगन्धा' या 'मत्स्योदरी' को देखकर उससे विवाह करने के इच्छुक हो गये, किन्तु धीवर, महाराज को अपनी पोष्य कन्या को देने के लिए प्रस्तुत नहीं हुआ। उसने कहा- "मेरी कन्या से उत्पन्न पुत्र ही आपके राज्य का अधिकारी होगा। मेरी इस शर्त को स्वीकार करने पर ही आप मेरी इस कन्या को ग्रहण कर सकते हैं।" महाराज शान्तनु ने युवराज देवव्रत[2] के कारण विवाह करना अस्वीकार कर दिया। किन्तु मन ही मन दु:खी रहने लगे। कुमार देवव्रत को यह बात मालूम होने पर वे धीवर के घर पहुँचे और उसके सामने प्रतिज्ञा की कि- "मैं आजीवन ब्रह्मचारी रहूँगा और मत्स्योदरी के गर्भ से उत्पन्न बालक तुम्हारा दोहता ही राजा होगा।" ऐसी प्रतिज्ञा कर उस धीवर-कन्या से महाराज शान्तनु का विवाह करवाया। इससे प्रतीत होता है कि महाराज शान्तनु की राजधानी हस्तिनापुर होने पर भी शान्तनु कुण्ड में भी उनका एक निवास स्थल था।
  • संतान की कामना करने वाली स्त्रियाँ इस कुण्ड में स्नान करती हैं तथा मन्दिर के पीछे गोबर का स्वस्तिक[3] बनाकर पूजा करती हैं।
  • शान्तनु कुण्ड के बीच में ऊँचे टीले पर शान्तनु के आराध्य 'श्रीशान्तनु बिहारी जी' का मन्दिर है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. उर्वशी की कन्या सत्यवती
  2. भीष्म
  3. सतिया

संबंधित लेख