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'''कालीनाथ राय'''([[अंग्रेज़ी]]: ''Kalinath Roy'') प्रसिद्ध पत्रकार का जन्म [[1878]] ई. में [[पूर्वी बंगाल]] के [[जैसोर]] जिले में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था।
'''कालीनाथ राय''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Kalinath Roy'') भारत के प्रसिद्ध पत्रकार थे। उनका का जन्म [[1878]] ई. में [[पूर्वी बंगाल]] के [[जैसोर]] जिले में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था।
==जीवन शैली==
==जीवन शैली==
कालीनाथ राय विद्यार्थी जीवन में ही वे [[पत्रकारिता]] की ओर आकृष्ट हो गए थे और शिक्षा पूरी करते ही दैनिक पत्र ‘बंगाली’ में काम करने लगे। प्रसिद्ध राष्ट्रवाद नेता [[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]] इस पत्र के संपादक थे। [[1911]] में उन्होंंने ‘बंगाली पत्र’ को छोड़ दिया और [[लाला लाजपतराय]] द्वारा स्थापित पत्र ‘[[पंजाबी]]’ के संपादक बनकर लाहोर चले गए। [[1917]] तक इस पत्र में काम करने के बाद वे लाहोर के ही दूसरे पत्र ‘ट्रिब्यून’ के संपादक बन गये इस पत्र का प्रकाशन सुरेन्द्रनाथ बनर्जी की प्रेणना पर [[1881]] में सरदार दयाल सिंह मजीठिया ने आरम्भ किया था।
कालीनाथ राय विद्यार्थी जीवन में ही वे [[पत्रकारिता]] की ओर आकृष्ट हो गए थे और शिक्षा पूरी करते ही दैनिक पत्र ‘बंगाली’ में काम करने लगे। प्रसिद्ध राष्ट्रवाद नेता [[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]] इस पत्र के संपादक थे। [[1911]] में उन्होंंने ‘बंगाली पत्र’ को छोड़ दिया और [[लाला लाजपतराय]] द्वारा स्थापित पत्र ‘पंजाबी’ के संपादक बनकर लाहौर चले गए। [[1917]] तक इस पत्र में काम करने के बाद वे लाहौर के ही दूसरे पत्र ‘ट्रिब्यून’ के संपादक बन गये इस पत्र का प्रकाशन सुरेन्द्रनाथ बनर्जी की प्रेरणा पर [[1881]] में सरदार दयाल सिंह मजीठिया ने आरम्भ किया था।
कालीनाथ राय के संपादकत्व में पत्र ने थोडे समय मे ही बड़ी ख्याति अर्जित कर ली थी। [[जलियांवाला बाग़]], मार्शल ला आदि के विरोध में उन्होने निर्भय होकर जो विवरण प्रकाशित किए, उससे पूरे देश को वहां रोमंचक स्थिति का परिचय मिला।  
कालीनाथ राय के संपादकत्व में पत्र ने थोडे समय मे ही बड़ी ख्याति अर्जित कर ली थी। [[जलियांवाला बाग़]], मार्शल ला आदि के विरोध में उन्होने निर्भय होकर जो विवरण प्रकाशित किए, उससे पूरे देश को वहां रोमांचक स्थिति का परिचय मिला।  
==विचार==
==विचार==
*कालीनाथ राय राष्ट्रवादी विचारोंं के व्यक्ति थे।  
*कालीनाथ राय राष्ट्रवादी विचारोंं के व्यक्ति थे।  
*[[गांधीजी]] के [[असहयोग आंदोलन]] में कालीनाथ राय ने समर्थन किया था।  
*[[गांधीजी]] के [[असहयोग आंदोलन]] में कालीनाथ राय ने समर्थन किया था।  
*कालीनाथ राय के विचार इतने सरल थे की सभी प्रमुख नेता उनका अधिक सम्मान करते थे।  
*कालीनाथ राय के विचार इतने सरल थे। कि सभी प्रमुख नेता उनका अधिक सम्मान करते थे।  
*कालीनाथ राय का स्वास्थ्ये बिगड़ जाने के कारण [[1943]] में उन्हे ‘ट्रिब्यून’ छोड़ देना पड़ा।
*कालीनाथ राय का स्वास्थ्ये बिगड़ जाने के कारण [[1943]] में उन्हे ‘ट्रिब्यून’ छोड़ देना पड़ा।


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11:20, 4 सितम्बर 2016 का अवतरण

कालीनाथ राय (अंग्रेज़ी: Kalinath Roy) भारत के प्रसिद्ध पत्रकार थे। उनका का जन्म 1878 ई. में पूर्वी बंगाल के जैसोर जिले में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था।

जीवन शैली

कालीनाथ राय विद्यार्थी जीवन में ही वे पत्रकारिता की ओर आकृष्ट हो गए थे और शिक्षा पूरी करते ही दैनिक पत्र ‘बंगाली’ में काम करने लगे। प्रसिद्ध राष्ट्रवाद नेता सुरेन्द्रनाथ बनर्जी इस पत्र के संपादक थे। 1911 में उन्होंंने ‘बंगाली पत्र’ को छोड़ दिया और लाला लाजपतराय द्वारा स्थापित पत्र ‘पंजाबी’ के संपादक बनकर लाहौर चले गए। 1917 तक इस पत्र में काम करने के बाद वे लाहौर के ही दूसरे पत्र ‘ट्रिब्यून’ के संपादक बन गये इस पत्र का प्रकाशन सुरेन्द्रनाथ बनर्जी की प्रेरणा पर 1881 में सरदार दयाल सिंह मजीठिया ने आरम्भ किया था। कालीनाथ राय के संपादकत्व में पत्र ने थोडे समय मे ही बड़ी ख्याति अर्जित कर ली थी। जलियांवाला बाग़, मार्शल ला आदि के विरोध में उन्होने निर्भय होकर जो विवरण प्रकाशित किए, उससे पूरे देश को वहां रोमांचक स्थिति का परिचय मिला।

विचार

  • कालीनाथ राय राष्ट्रवादी विचारोंं के व्यक्ति थे।
  • गांधीजी के असहयोग आंदोलन में कालीनाथ राय ने समर्थन किया था।
  • कालीनाथ राय के विचार इतने सरल थे। कि सभी प्रमुख नेता उनका अधिक सम्मान करते थे।
  • कालीनाथ राय का स्वास्थ्ये बिगड़ जाने के कारण 1943 में उन्हे ‘ट्रिब्यून’ छोड़ देना पड़ा।

देहान्त


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख