"प्रयोग:रिंकू3": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रिंकू बघेल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
रिंकू बघेल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 512: | पंक्ति 512: | ||
{'वसा' में घुलनशील विटामिन कौन-सा | {'[[वसा]]' में घुलनशील [[विटामिन]] कौन-सा है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-23 प्रश्न-17 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[विटामिन ए|ए]], बी, [[विटामिन सी|सी]], [[विटामिन डी|डी]] | ||
- | -बी, सी, ई, के | ||
- | -ए, बी, डी, के | ||
+ | +[[विटामिन ए|ए]], [[विटामिन डी|डी]], ई, [[विटामिन के|के]] | ||
|| | ||[[विटामिन]] रासायनिक रूप में कार्बनिक यौगिक होते हैं। इनकी सभी जीवों को अल्प मात्रा में आवश्यकता होती हैं। ये मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं- 1. [[जल]] में घुलनशील एवं (2) [[वसा]] में घुलनशील, [[विटामिन]] B एवं [[विटामिन सी|C]] [[जल]] में घुलनशील होते हैं जबकि [[विटामिन ए|विटामिन A]], [[विटामिन डी|D]], E एवं [[विटामिन के|K]] [[वसा]] में घुलनशील होते हैं। | ||
{'पुरस्कार एवं दंड' सीखने के किस नियम का प्रतिरूप है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-49 प्रश्न-7 | {'पुरस्कार एवं दंड' सीखने के किस नियम का प्रतिरूप है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-49 प्रश्न-7 | ||
पंक्ति 526: | पंक्ति 526: | ||
+प्रभाव का नियम | +प्रभाव का नियम | ||
-उत्तेजक की तीव्रता का नियम | -उत्तेजक की तीव्रता का नियम | ||
||थार्नडाइक ने सीखने के तीन नियम दिए हैं- 1.तैयारी का नियम- तैयारी से व्यक्ति ज्यादा | ||थार्नडाइक ने सीखने के तीन नियम दिए हैं- 1.तैयारी का नियम- तैयारी से व्यक्ति ज्यादा तेज़ी एवं प्रभावी तरीके से सीखता है, इस तैयारी के दृष्टिकोण को 'माइंडसेट' भी कहा जाता है। गर्माने का सिद्धांत इसी नियम पर आधारित है। 2.अभ्यास का नियम- बार-बार दुहराने से प्रक्रिया स्वत: होती रहती है। यह नियम बहुत कुछ उपयोग एवं अनुपयोग की तरह है। 3.प्रभाव का नियम- थार्नडाइक के अनुसार, खीझ की बजाय संतोष, सीखने में वृद्धि करता है। इस नियम को 'संतुष्टि के नियम' के नाम से भी जाना जाता है। पुरस्कार एवं दंड भी इसी नियम पर आधारित हैं एवं सीखने के सभी घटक इसी नियम के अधीन हैं। | ||
{हॉकी मैच की खेल अवधि क्या है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-64 प्रश्न-7 | {[[हॉकी]] के मैच की खेल अवधि क्या है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-64 प्रश्न-7 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-55 मिनट | -55 मिनट | ||
पंक्ति 534: | पंक्ति 534: | ||
-65 मिनट | -65 मिनट | ||
+70 मिनट | +70 मिनट | ||
|| | ||हॉकी के नए नियमों ([[1 सितंबर]], [[2014]] से लागू) के अनुसार 15 मिनट के चार क्वार्टर होते हैं। पहले और तीसरे क्वार्टर के बाद 2 मिनट का ब्रेक दिया जाएगा। हाफ़ टाइम के 10 मिनट को परिवर्तित नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त FIH ने गोल करने के बाद एवं पेनल्टी कॉर्नर दिए जाने के अवसर पर 40 सेकंड के टाइम-आउट को भी स्वीकृत दी है। इससे पूर्व हॉकी में खेल अवधि में 35 मिनट के दो हाफ़ होते थे। चूंकि प्रश्न परीक्षा वर्ष [[2009]] का है। | ||
{'ऑपरेशन ओलंपिक' का संबंध है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-78 प्रश्न-7 | {'ऑपरेशन ओलंपिक' का संबंध है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-78 प्रश्न-7 | ||
पंक्ति 541: | पंक्ति 541: | ||
-खेल विकास प्राधिकरण से | -खेल विकास प्राधिकरण से | ||
-पुलिस बल से | -पुलिस बल से | ||
+सेना से | +[[भारतीय सेना|सेना]] से | ||
||भारतीय सेना ने ओलंपिक खेलों में ज्यादा से ज्यादा पदक जीतने के लिए खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए सितंबर, 2003 में 'ऑपरेशन ओलंपिक' | ||[[भारतीय सेना]] ने [[ओलंपिक खेल|ओलंपिक खेलों]] में ज्यादा-से-ज्यादा पदक जीतने के लिए खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए [[सितंबर]], [[2003]] में 'ऑपरेशन ओलंपिक' लॉन्च किया था। | ||
{'क्रिश्चियन कॉलेज | {'क्रिश्चियन कॉलेज ऑफ़ फिजिकल एजुकेशन ([[लखनऊ]]) की स्थापना हुई थी- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-94 प्रश्न-7 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-1931 में | -[[1931]] में | ||
+1932 में | +[[1932]] में | ||
-1933 में | -[[1933]] में | ||
-1934 में | -[[1934]] में | ||
||अमेरिकन समाज द्वारा 'क्रिश्चियन कॉलेज | ||अमेरिकन समाज द्वारा 'क्रिश्चियन कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन' की स्थापना वर्ष [[1932]] में [[लखनऊ]] में की गई थी। | ||
{हिंज संधि को कहा जाता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-110 प्रश्न-117 | {हिंज संधि को कहा जाता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-110 प्रश्न-117 | ||
पंक्ति 558: | पंक्ति 558: | ||
-फिक्सड ज्वॉइंट | -फिक्सड ज्वॉइंट | ||
-रोटेशनल ज्वॉइंट | -रोटेशनल ज्वॉइंट | ||
||कब्जेदार जोड़ अर्थात हिंज संधि में अस्थियों के सिरे आपस में इस तरह से जुड़े होते हैं कि गति केवल एक ओर हो सकती है अर्थात ये जोड़ ठीक उसी प्रकार कार्य करते हैं, जैसे | ||कब्जेदार जोड़ अर्थात हिंज संधि में अस्थियों के सिरे आपस में इस तरह से जुड़े होते हैं कि गति केवल एक ओर हो सकती है अर्थात ये जोड़ ठीक उसी प्रकार कार्य करते हैं, जैसे दरवाज़े के कब्जे। इस प्रकार के जोड़ कोहनी, घुटने और अंगुलियों में होते हैं। हिंज ज्वॉइंट में असीमित गति वाले जोड़ होते हैं। | ||
{कायफोसिस और पीठ के अन्य दोषों के लिए क्या आप किसी सरलतम व्यायाम का | {कायफोसिस और पीठ के अन्य दोषों के लिए क्या आप किसी सरलतम व्यायाम का सुझाव दे सकते हैं? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-113 प्रश्न-8 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-दौड़ना | -दौड़ना | ||
पंक्ति 566: | पंक्ति 566: | ||
-फेंकना | -फेंकना | ||
+तैरना | +तैरना | ||
||नियमित व्यायाम अथवा समुचित व्यायाम द्वारा तनाव | ||नियमित व्यायाम अथवा समुचित व्यायाम द्वारा तनाव क़ायम रखने वाली पेशियों को मज़बूती प्रदान कर उनके तनाव को विकसित किया जा सकता है। अत्यधिक गुरुत्वीय तनाव को कम करके सिर को पुन: यथा स्थान पर लाया जा सकता है। कायफोसिस (कुबड़ापन) और पीठ के अन्य विसंगतियों की रोकथाम के लिए तैरने का व्यायाम तथा चक्रासन एवं भुजंग आसन आदि बहुत महत्त्वपूर्ण चिकित्सकीय उपाय हैं। इन व्यायामों को कायिक चिकित्सक अथवा विशेषज्ञ की सलाह से ही अपनाना चाहिए। | ||
{निम्नलिखित में से किस क्रिकेट खिलाड़ी ने तीन महादेशों के लिए क्रिकेट खेला? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-129 प्रश्न-7 | {निम्नलिखित में से किस क्रिकेट खिलाड़ी ने तीन महादेशों के लिए क्रिकेट खेला? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-129 प्रश्न-7 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-सुनील गावस्कर | -[[सुनील गावस्कर]] | ||
-एलन बार्डर | -एलन बार्डर | ||
-केपरल वेसेल्स | -केपरल वेसेल्स | ||
+इनमें से कोई नहीं | +इनमें से कोई नहीं | ||
||क्रिकेट के इतिहास में अब तक एक भी खिलाड़ी ऐसा नहीं हैं जिसने तीन महादेशों का प्रतिनिधित्व किया हो। दिए गए विकल्पों के आधार पर केपलर वेसेल्स को दक्षिण | ||[[क्रिकेट का इतिहास|क्रिकेट के इतिहास]] में अब तक एक भी खिलाड़ी ऐसा नहीं हैं जिसने तीन महादेशों का प्रतिनिधित्व किया हो। दिए गए विकल्पों के आधार पर केपलर वेसेल्स को दक्षिण [[अफ़्रीका]] और [[ऑस्ट्रेलिया]] के लिए क्रिकेट खेलने का श्रेय प्राप्त है। | ||
{मानव शरीर का सबसे व्यस्त अंग है | {[[मानव शरीर]] का सबसे व्यस्त अंग कौन-सा है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-149 प्रश्न-8 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-यकृत | -[[यकृत]] | ||
+हृदय | +[[हृदय]] | ||
-वृक्क | -[[वृक्क]] | ||
-सभी | -सभी | ||
||मानव शरीर का सबसे व्यस्त अंग हृदय होता है। यह सामान्यत: एक मिनट में 75 बार स्पंदन करता है। हृदय का प्रमुख कार्य शरीर के विभिन्न अंगों में रुधिर पहुंचाना होता है। इस क्रिया को करने के लिए हृदय प्रत्येक समय सिकुड़ता तथा फैलता है। हृदय के सिकुड़ने को प्रकुंजन तथा फैलने को अनुशिथिलन कहते हैं। यह प्रक्रिया मानव शरीर में निरंतर चलती रहती हैं। इसी कारण हृदय को सबसे व्यस्त अंग कहा जाता है। | ||[[मानव शरीर]] का सबसे व्यस्त अंग [[हृदय]] होता है। यह सामान्यत: एक मिनट में 75 बार स्पंदन करता है। हृदय का प्रमुख कार्य शरीर के विभिन्न अंगों में रुधिर पहुंचाना होता है। इस क्रिया को करने के लिए हृदय प्रत्येक समय सिकुड़ता तथा फैलता है। हृदय के सिकुड़ने को प्रकुंजन तथा फैलने को अनुशिथिलन कहते हैं। यह प्रक्रिया मानव शरीर में निरंतर चलती रहती हैं। इसी कारण हृदय को सबसे व्यस्त अंग कहा जाता है। | ||
{मछली में पाया जाने वाला महत्त्वपूर्ण पोषक | {[[मछली]] में पाया जाने वाला महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्व है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-160 प्रश्न-107 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ओमेगा-3 | +ओमेगा-3 | ||
-[[विटामिन के]] | -[[विटामिन के]] | ||
-जस्ता | -[[जस्ता]] | ||
-ताम्र | -[[ताम्र]] | ||
||[[मछली]] में पाया जाने वाला | ||[[मछली]] में पाया जाने वाला महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्व ओमेगा-3 (फैटी एसिड) पाया जाता है। | ||
पंक्ति 608: | पंक्ति 608: | ||
+भौगोलिक बाधाओं के कारण | +भौगोलिक बाधाओं के कारण | ||
-परिपक्वता के कारण | -परिपक्वता के कारण | ||
||सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधता या भिन्नता | ||सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधता या भिन्नता भौगोलिक बाधाओं के कारण होती है। संस्कृति किसी समूह (व्यक्तियों का) का समाज के जीने के तरीक़े, आचार, व्यवहार, खान-पान तथा पोशाक को तथा उसमें स्थानीयता के भाव को समाविष्ट करती है। | ||
{प्राण वायु कौन है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-64 प्रश्न-8 | {प्राण वायु कौन है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-64 प्रश्न-8 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -कार्बन डाईऑक्साइड | ||
+ऑक्सीजन | +[[ऑक्सीजन]] | ||
-हाइड्रोजन | -[[हाइड्रोजन]] | ||
-नाइट्रोजन | -[[नाइट्रोजन]] | ||
||ऑक्सीजन ( | ||[[ऑक्सीजन]] (O<sub>2</sub>) को प्राण वायु कहा जाता है। आयतन के विचार से [[वायु]] में लगभग 21% मात्रा ऑक्सीजन की होती है। [[मानव शरीर]] में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला तत्त्व ऑक्सीजन है। | ||
{ओलंपिक खेलों में ओलंपिक शुभंकर की प्रथा औपचारिक रूप से शुरू हुई- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-79 प्रश्न-8 | {[[ओलंपिक खेल|ओलंपिक खेलों]] में ओलंपिक शुभंकर की प्रथा औपचारिक रूप से शुरू हुई- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-79 प्रश्न-8 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-पेरिस, | -पेरिस, [[फ़्राँस]] | ||
-लॉस एंजिल्स | -लॉस एंजिल्स | ||
+म्युनिख, जर्मनी | +म्युनिख, [[जर्मनी]] | ||
-लंदन, इंग्लैंड | -[[लंदन]], [[इंग्लैंड]] | ||
||ओलंपिक खेल समारोह में शुभंकर की परंपरा की औपचारिक शुरुआत 1972 के म्युनिख ओलंपिक से हुई। शुभंकर का चयन मेजबान देश अपनी संस्कृति एवं परंपराओं के अनुरूप करता है। प्रथम ओलंपिक शुभंकर का नाम वाल्डी रखा गया था। | ||[[ओलंपिक खेल|ओलंपिक खेल समारोह]] में शुभंकर की परंपरा की औपचारिक शुरुआत [[1972]] के म्युनिख ओलंपिक से हुई। शुभंकर का चयन मेजबान देश अपनी संस्कृति एवं परंपराओं के अनुरूप करता है। प्रथम ओलंपिक शुभंकर का नाम वाल्डी (Waldi) रखा गया था। | ||
{प्रथम एशियाई खेल समारोह, 1951 का उद्घाटन किया गया था | {[[एशियाई खेल|प्रथम एशियाई खेल समारोह]], [[1951]] का उद्घाटन किसके द्वारा किया गया था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-94 प्रश्न-8 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-पं. जवाहरलाल | -[[पं. जवाहरलाल नेहरू]] द्वारा | ||
+डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा | +[[डॉ. राजेंद्र प्रसाद]] द्वारा | ||
-कमाल पाशा द्वारा | -कमाल पाशा द्वारा | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||प्रथम एशियाई खेल वर्ष 1951 में 4 मार्च से 11 मार्च के मध्य नई दिल्ली में आयोजित किए गए। उद्घाटन समारोह की | ||प्रथम एशियाई खेल वर्ष [[1951]] में [[4 मार्च]] से [[11 मार्च]] के मध्य [[नई दिल्ली]] में आयोजित किए गए। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता [[प्रधानमंत्री]] [[जवाहर लाल नेहरू|पंडित जवाहरलाल नेहरू]] और खेलों का उद्घाटन [[राष्ट्रपति]] [[डॉ. राजेंद्र प्रसाद]] ने किया। | ||
{रक्त शर्करा स्तर बढ़ाने के लिए अग्याशय से उत्सर्जित हॉर्मोन है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-111 प्रश्न-119 | {रक्त शर्करा स्तर बढ़ाने के लिए अग्याशय से उत्सर्जित [[हॉर्मोन]] है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-111 प्रश्न-119 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ग्लूकॉगन | +ग्लूकॉगन | ||
-इंसुलिन | -[[इंसुलिन]] | ||
-थायोरॉक्सिन | -थायोरॉक्सिन | ||
-नॉन-एपिनेफ्रीन | -नॉन-एपिनेफ्रीन | ||
||इंसुलिन अग्न्याशय के लैंगरहैंस की द्वीपिका के बीटा-कोशिश द्वारा स्त्रावित होता है। इसकी | ||[[इंसुलिन]] अग्न्याशय के लैंगरहैंस की द्वीपिका के बीटा-कोशिश द्वारा स्त्रावित होता है। इसकी ख़ोज बैटिंग एवं वेस्ट ने की थी। यह [[ग्लूकोज]] से ग्लाइकोजन बनने की क्रिया को नियंत्रित करता है। इंसुलिन के अल्प स्त्रावण से [[मधुमेह]] (डायबिटीज) नामक रोग हो जाता है। [[रुधिर]] में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ना मधुमेह कहलाता है। | ||
{मानव शरीर में कितने प्रकार के जोड़ होते हैं? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-113 प्रश्न-9 | {[[मानव शरीर]] में कितने प्रकार के जोड़ होते हैं? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-113 प्रश्न-9 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+3 | +3 | ||
पंक्ति 650: | पंक्ति 650: | ||
||अस्थियों के जोड़- दो या दो से अधिक अस्थियों का संयोजन ही जोड़ कहलाता है। जोड़ों के अध्ययन को आर्थोलॉजी कहा जाता है। लंबी अस्थियों अपने सिरों से, बेडोल अस्थियों अपने तलों के कुछ भागों से तथा चपटी अस्थियों अपने किनारों से जोड़ों का निर्माण करती हैं। जोड़ों का वर्गीकरण इस आधार पर किया गया है कि जोड़े में किस सीमा तक गति हो सकती है। इस गति को आधार मानते हुए जोड़ों को निम्नलिखित तीन प्रमुख वर्गों में विभाजित किया जा सकता है- 1.अचल जोड़ उदाहरण करोटि की विभिन्न हड्डियों के बीच टेढ़ी-मेढ़ी सीवनों जैसी संधियां। 2.थोड़ी गति वाली जोड़ उदाहरण श्रोणि मेखला के प्यूविस हड्डियों के बीच का जोड़ आदि। 3.सचल या असीमित गति वाली जोड़ पांच प्रकार की होती हैं- कंदुक-खल्लिका संधियां, कब्जा संधियां, सैडल संधियां, धुराग्र का खूंटीदार संधियां, प्रसार या विसर्पी संधियां। | ||अस्थियों के जोड़- दो या दो से अधिक अस्थियों का संयोजन ही जोड़ कहलाता है। जोड़ों के अध्ययन को आर्थोलॉजी कहा जाता है। लंबी अस्थियों अपने सिरों से, बेडोल अस्थियों अपने तलों के कुछ भागों से तथा चपटी अस्थियों अपने किनारों से जोड़ों का निर्माण करती हैं। जोड़ों का वर्गीकरण इस आधार पर किया गया है कि जोड़े में किस सीमा तक गति हो सकती है। इस गति को आधार मानते हुए जोड़ों को निम्नलिखित तीन प्रमुख वर्गों में विभाजित किया जा सकता है- 1.अचल जोड़ उदाहरण करोटि की विभिन्न हड्डियों के बीच टेढ़ी-मेढ़ी सीवनों जैसी संधियां। 2.थोड़ी गति वाली जोड़ उदाहरण श्रोणि मेखला के प्यूविस हड्डियों के बीच का जोड़ आदि। 3.सचल या असीमित गति वाली जोड़ पांच प्रकार की होती हैं- कंदुक-खल्लिका संधियां, कब्जा संधियां, सैडल संधियां, धुराग्र का खूंटीदार संधियां, प्रसार या विसर्पी संधियां। | ||
{किसी एथलीट द्वारा व्यवहृत उपस्करों में से किसकी लंबाई मात्र 2.5 | {किसी एथलीट द्वारा व्यवहृत उपस्करों में से किसकी लंबाई मात्र 2.5 से.मी. ही होती है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-129 प्रश्न-8 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-शू | -शू | ||
पंक्ति 656: | पंक्ति 656: | ||
-स्पाइक | -स्पाइक | ||
+इनमें से कोई नहीं | +इनमें से कोई नहीं | ||
{श्वेत रुधिर कणिकाओं में सबसे बड़ी कणिका है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-150 प्रश्न-9 | {[[श्वेत रुधिर कोशिका|श्वेत रुधिर कणिकाओं]] में सबसे बड़ी कणिका है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-150 प्रश्न-9 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-लिंफोसाइट्स | -लिंफोसाइट्स | ||
पंक्ति 664: | पंक्ति 663: | ||
-इओसिनोफिल | -इओसिनोफिल | ||
-बेसोफिल | -बेसोफिल | ||
||श्वेत रक्त कण प्राय: मनुष्यों में पाए जाते हैं। उनकी संख्या लाल रक्त कणों से कम होते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं- कणिकामय तथा कणिकाविहीन। श्वेत रुधिर कणिकाओं में सबसे बड़ी कणिका मानोसाइट्स होती है जिसका व्यास लगभग 12-20 माइक्रोमीटर ( | ||[[श्वेत रक्त कोशिका|श्वेत रक्त कण]] प्राय: मनुष्यों में पाए जाते हैं। उनकी संख्या [[लाल रक्त कोशिका|लाल रक्त कणों]] से कम होते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं- कणिकामय तथा कणिकाविहीन। श्वेत रुधिर कणिकाओं में सबसे बड़ी कणिका मानोसाइट्स होती है जिसका व्यास लगभग 12-20 माइक्रोमीटर (ųm) होता है। लिंफोसाइट का व्यास लगभग 17 माइक्रोमीटर (0.007 मिलीमीटर), बेसोफिल का व्यास लगभग 12-15 माइक्रोमीटर तथा इओसिनोफिल का व्यास लगभग 12-17 माइक्रोमीटर होता है। | ||
{शरीर के | {[[मानव शरीर|शरीर]] के वज़न के प्रत्येक कि.ग्रा. के लिए प्रति घंटे अपेक्षित मूल [[ऊर्जा]] लगभग---- कैलोरी होती है। (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-161 प्रश्न-108 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+1.3 | +1.3 | ||
पंक्ति 672: | पंक्ति 671: | ||
-1.7 | -1.7 | ||
-1.9 | -1.9 | ||
||शरीर के | ||[[मानव शरीर|शरीर]] के वज़न के हर एक किलोग्राम के लिए हर घंटे 1.3 कैलोरी [[ऊर्जा]] की आवश्यकता होती है। 50Kg वाले एथलीटों को रोजाना 1.3x24x250=1560 कैलोरी की कम-से-कम आवश्यकता पड़ेगी। | ||
पंक्ति 683: | पंक्ति 682: | ||
-[[1962]] | -[[1962]] | ||
-[[1963]] | -[[1963]] | ||
||वर्ष 1960 में खो-खो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया की स्थापना की गई। इसी वर्ष प्रथम राष्ट्रीय चैंपियनशिप (पुरुष) का अयोजन किया गया। वर्ष 1961 में महिलाओं की खो-खो चैंपियनशिप प्रतियोगिता शुरु की गई। | ||वर्ष [[1960]] में खो-खो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया की स्थापना की गई। इसी वर्ष प्रथम राष्ट्रीय चैंपियनशिप (पुरुष) का अयोजन किया गया। वर्ष [[1961]] में महिलाओं की खो-खो चैंपियनशिप प्रतियोगिता शुरु की गई। | ||
{निम्न में कौन-सा इवेंट डेकाथलान में सम्मिलित हैं? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-50 प्रश्न-10 | {निम्न में कौन-सा इवेंट डेकाथलान में सम्मिलित नहीं हैं? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-50 प्रश्न-10 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-100 मीटर दौड़ | -100 मीटर दौड़ | ||
पंक्ति 691: | पंक्ति 690: | ||
+800 मीटर दौड़ | +800 मीटर दौड़ | ||
-लंबी कूद | -लंबी कूद | ||
||डेकाथलान में निम्नलिखित 10 | ||डेकाथलान में निम्नलिखित 10 इवेंट्स होते हैं? 100 मी. दौड़, लंबी कूद, गोला फेंक, ऊंची कूद, 400 मी. दौड़, 10 मी. हर्डल्स, डिस्कस थ्रो, बांस कूद, भाला फेंक और 1500 मी. दौड़। हेपटेथलोन में निम्नलिखित 7 इवेंट्स होते हैं- 100 मी. हर्डल्स, लंबी कूद, गोला फेंक, ऊंची कूद, 200 मी. भाला फेंक एवं 800 मी. दौड़। | ||
{पिट्यूटरी ग्लैंड स्थित है | {पिट्यूटरी ग्लैंड कहाँ स्थित है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-64 प्रश्न-9 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+मस्तिष्क की सतह में | +[[मस्तिष्क]] की सतह में | ||
-गर्दन में | -गर्दन में | ||
-हृदय में | -[[हृदय]] में | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||मुख्य ग्रंथियों के नाम एवं उनकी स्थिति निम्नलिखित हैं- | ||मुख्य ग्रंथियों के नाम एवं उनकी स्थिति निम्नलिखित हैं- | ||
पंक्ति 708: | पंक्ति 707: | ||
सेक्स ग्रंथि पेल्विक कोटर | सेक्स ग्रंथि पेल्विक कोटर | ||
{ | {शारीरिक शिक्षा को लोकप्रिय बनाने हेतु सबसे आवश्यक कार्य है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-79 प्रश्न-9 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-समाज की जागरुकता | -समाज की जागरुकता | ||
पंक्ति 714: | पंक्ति 713: | ||
+उपर्युक्त दोनों | +उपर्युक्त दोनों | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||जनता में शारीरिक शिक्षा के प्रति रुचि उत्पन्न एवं विकसित करने के लिए उन्हें स्कूलों में आयोजित शारीरिक शिक्षा के | ||जनता में शारीरिक शिक्षा के प्रति रुचि उत्पन्न एवं विकसित करने के लिए उन्हें स्कूलों में आयोजित शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों से पूर्णरूपेण अवगत कराना चाहिए। जनसंपर्क तथा समाज की जागरूकता शारीरिक शिक्षा के प्रचार के प्रमुख साधन हैं। शारीरिक शिक्षा को लोकप्रिय बनाने हेतु साधन हैं- प्रदर्शनियां, [[खेल दिवस]], प्रदर्शन रैलियां, रेडियो, दूरदर्शन, पंफलेट आदि। | ||
{'ओलंपिक गीत' की रचना किस देश के निवासी ने की थी? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-95 प्रश्न-9 | {'ओलंपिक गीत' की रचना किस देश के निवासी ने की थी? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-95 प्रश्न-9 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-स्पेन | -स्पेन | ||
- | -[[फ़्राँस]] | ||
+ग्रीस | +ग्रीस | ||
-रोम||19वीं शताब्दी में ओलंपिक गान की रचना ग्रीस (यूनान) के संगीतकारों 'स्पिरोस सामारास' एवं 'कोस्तिस पालामास' ने की थी। वर्ष 1958 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने इसे मान्यता प्रदान की। यह गान प्रत्येक ओलंपिक खेल के उद्घाटन एवं समापन में गाया जाता है। | -[[रोम]] | ||
||19वीं शताब्दी में ओलंपिक गान की रचना ग्रीस (यूनान) के संगीतकारों 'स्पिरोस सामारास' एवं 'कोस्तिस पालामास' ने की थी। वर्ष [[1958]] में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने इसे मान्यता प्रदान की। यह गान प्रत्येक [[ओलंपिक खेल]] के उद्घाटन एवं समापन में गाया जाता है। | |||
{'तंत्रिका तंतु' की संधि कहलाती है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-111 प्रश्न- 120 | {'तंत्रिका तंतु' की संधि कहलाती है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-111 प्रश्न- 120 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+साइनैप्स | +साइनैप्स | ||
-मेजेलिन | -मेजेलिन फ़ाइबर | ||
- | -तंत्रिकक्ष (एक्सॉन) | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||'तंत्रिका तंत्र' की संधि साईनैप्स कहलाती है। तंत्रिका तंत्र हमारे शरीर का नियंत्रण केंद्र है अथवा इसे शरीर की संचार प्रणाली के रूप में भी जाना जाता है। यह नियमित रूप से सूचनाओं को प्राप्तकर, लेखबद्ध कर उनको प्रसारित करती है। यह वातावरण तथा हमारे शरीर के विभिन्न भागों से सूचनाएं प्राप्त करती है तथा इन सूचनाओं को लेखबद्ध कर शरीर के दूसरे हिस्सों को संदेश प्रेरित करती है तथा अमुक कार्य करने के लिए आदेश देती है। | ||'तंत्रिका तंत्र' की संधि साईनैप्स कहलाती है। तंत्रिका तंत्र हमारे [[मानव शरीर|शरीर]] का नियंत्रण केंद्र है अथवा इसे शरीर की संचार प्रणाली के रूप में भी जाना जाता है। यह नियमित रूप से सूचनाओं को प्राप्तकर, लेखबद्ध कर उनको प्रसारित करती है। यह वातावरण तथा हमारे शरीर के विभिन्न भागों से सूचनाएं प्राप्त करती है तथा इन सूचनाओं को लेखबद्ध कर शरीर के दूसरे हिस्सों को संदेश प्रेरित करती है तथा अमुक कार्य करने के लिए आदेश देती है। | ||
{रक्तदाब को मापने का यंत्र कौन-सा है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-113 प्रश्न-10 | {[[रक्तचाप|रक्तदाब]] को मापने का यंत्र कौन-सा है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-113 प्रश्न-10 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-सिस्टोलिक | -सिस्टोलिक | ||
-डायस्टोलिक | -डायस्टोलिक | ||
+स्फिग्मोमैनोमीटर | +[[स्फिग्मोमैनोमीटर]] | ||
-मैनोमीटर | -मैनोमीटर | ||
||रक्तदाब वह दबाव है जो कि रक्त के | ||[[रक्तचाप|रक्तदाब]] वह दबाव है जो कि [[रक्त]] के द्वारा [[धमनियाँ|धमनियों]] की दीवारों पर लगता है, दबाव की मात्रा [[हृदय|दिल]] के संकुचन की दर तथा उसके [[बल]] पर निर्भर करता है। एक संचार प्रणाली में रक्त के आयतन, [[धमनियाँ|धमनियों]] की लचकता पर भी बल निर्भर करता है। रक्तदाब जिस उपकरण से मापा जाता है उसे [[स्फिग्मोमैनोमीटर]] कहा जाता है। | ||
{21 वर्ष की आयु में क्रिकेट दल का कप्तान होने का सौभाग्य दो भारतीय खिलाड़ियों को प्राप्त है। उनमें से एक हैं | {21 वर्ष की आयु में क्रिकेट दल का कप्तान होने का सौभाग्य दो भारतीय खिलाड़ियों को प्राप्त है। उनमें से एक हैं [[नवाब पटौदी|पटौदी]]। दूसरे खिलाड़ी का नाम क्या है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-129 प्रश्न-9 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-लाला अमरनाथ | -[[लाला अमरनाथ]] | ||
+सचिन तेंदुलकर | +[[सचिन तेंदुलकर]] | ||
-मो. अजहरुद्दीन | -[[मो. अजहरुद्दीन]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||नवाब पटौदी के बाद सचिन तेंदुलकर 23 वर्ष, 126 दिन की आयु में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बने। हालांकि प्रश्न 21 वर्ष की आयु के संदर्भ में है। अत: निकटतम उत्तर विकल्प (b) सही होगा | ||[[नवाब पटौदी]] के बाद [[सचिन तेंदुलकर]] 23 वर्ष, 126 दिन की आयु में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बने। हालांकि प्रश्न 21 वर्ष की आयु के संदर्भ में है। अत: निकटतम उत्तर विकल्प (b) सही होगा | ||
{रंग वर्णाधता में व्यक्ति किन रंगों में | {रंग वर्णाधता में व्यक्ति किन रंगों में भेद नहीं कर पाता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-150 प्रश्न-10 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+लाल व हरा | +[[लाल रंग|लाल]] व [[हरा रंग|हरा]] | ||
-लाल | -लाल व [[काला रंग|काला]] | ||
-काला व हरा | -काला व [[हरा रंग|हरा]] | ||
-काला व नीला | -काला व [[नीला रंग|नीला]] | ||
||रंग-वर्णाधर आंखों का एक रोग है जिसमें रोगी को किसी एक या एक से अधिक रंगों का बोध नहीं हो पाता है यह अवस्था अक्सर आनुवांशिक होती है। इसके अन्य कारणों | ||रंग-वर्णाधर [[आंख|आंखों]] का एक रोग है जिसमें रोगी को किसी एक या एक से अधिक रंगों का बोध नहीं हो पाता है यह अवस्था अक्सर आनुवांशिक होती है। इसके अन्य कारणों में कुछ नेत्र रोग और दवाएं भी शामिल हैं। रंग-वर्णाधर आमतौर पर [[लाल रंग|लाल]] व [[हरा रंग|हरे रंग]] के प्रकाश में अंतर न कर पाने की स्थिति को कहते हैं। | ||
{समपरासारी संकुचन को-------भी कहा जा सकता है। (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-161 प्रश्न-109 | {समपरासारी संकुचन को-------भी कहा जा सकता है। (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-161 प्रश्न-109 | ||
पंक्ति 761: | पंक्ति 761: | ||
-संकेंद्री संकुचन | -संकेंद्री संकुचन | ||
-उत्केंद्री संकुचन | -उत्केंद्री संकुचन | ||
||समपरासारी या आइसोटानिक संकुचन को गतिक संकुचन भी कहा जा सकता है। आइसोटोनिक व्यायाम होते हैं, | ||समपरासारी या आइसोटानिक संकुचन को गतिक संकुचन भी कहा जा सकता है। आइसोटोनिक व्यायाम होते हैं, जिनमें गतियां प्रत्यक्ष रूप से स्पष्ट दिखाई देती है। इन व्यायामों में कार्य होता है। इनके द्वारा मांसपेशियों में तनाव होता है, मांसपेशियों की लंबाई में वृद्धि होती है तथा लचक भी बढ़ जाती है। खेल-कूद के क्षेत्र में इस प्रकार के व्यायामों का बहुत अधिक प्रयोग होता है। | ||
13:30, 8 नवम्बर 2016 का अवतरण
|