"ठुकरा दो या प्यार करो -सुभद्रा कुमारी चौहान": अवतरणों में अंतर
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धूमधाम से साज-बाज से वे मंदिर में आते हैं | धूमधाम से साज-बाज से वे मंदिर में आते हैं | ||
मुक्तामणि | मुक्तामणि बहुमूल्य वस्तुऐं लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं | ||
मैं ही हूँ गरीबिनी ऐसी जो कुछ साथ नहीं लायी | मैं ही हूँ गरीबिनी ऐसी जो कुछ साथ नहीं लायी |
12:38, 5 अप्रैल 2018 का अवतरण
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देव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं |