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*ऐसी मान्यता है कि युगावतारव्रत में [[विष्णु]] प्रतिमा का [[घी]], [[दूध]] एवं [[जल]] से स्नान करना चाहिए। | *ऐसी मान्यता है कि युगावतारव्रत में [[विष्णु]] प्रतिमा का [[घी]], [[दूध]] एवं [[जल]] से स्नान करना चाहिए। | ||
*ऐसी मान्यता है कि युगावतारव्रत करने से विष्णुलोक की प्राप्ति होती है। <ref>हेमाद्रि व्रत खण्ड 2, 518-519, [[भविष्यपुराण]] से उद्धरण</ref> | *ऐसी मान्यता है कि युगावतारव्रत करने से विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि व्रत खण्ड 2, 518-519, [[भविष्यपुराण]] से उद्धरण</ref> | ||
*कुछ लोगों का कथन है कि इस दिन [[त्रेतायुग]] का अभ्युदय हुआ था। | *कुछ लोगों का कथन है कि इस दिन [[त्रेतायुग]] का अभ्युदय हुआ था। | ||
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06:01, 11 सितम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- युगावतारव्रत भाद्रपद कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी पर जब द्वापर युग का आरम्भ हुआ से किया जाता है।
- युगावतारव्रत में शरीर पर गौमूत्र, गोबर, दूर्वा एवं मिट्टी का प्रयोग और गहरे जल या तालाब में स्नान किया जाता है।
- युगावतारव्रत करने से गया श्राद्ध का फल मिलता है।
- ऐसी मान्यता है कि युगावतारव्रत में विष्णु प्रतिमा का घी, दूध एवं जल से स्नान करना चाहिए।
- ऐसी मान्यता है कि युगावतारव्रत करने से विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।[1]
- कुछ लोगों का कथन है कि इस दिन त्रेतायुग का अभ्युदय हुआ था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि व्रत खण्ड 2, 518-519, भविष्यपुराण से उद्धरण
संबंधित लिंक
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