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*इससे [[ब्रह्मलोक]] की प्राप्ति होती है। <ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 857, [[पद्मपुराण]] से उद्धरण)।</ref> | *इससे [[ब्रह्मलोक]] की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 857, [[पद्मपुराण]] से उद्धरण)।</ref> | ||
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08:49, 10 सितम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह एक मासव्रत है। यह चैत्र, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं माघ या पौष के चार मासों में करना चाहिए।
- इसमें ब्रह्मा देवता की पूजा होती है।
- इसके अन्त में वस्त्रों तथा भोजन से आच्छादित घट तथा तिल एवं हिरण्य से युक्त पात्र का दान करना चाहिए।
- इससे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लिंक
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