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10:34, 11 सितम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- कृत्यरत्नाकर [1]; वर्षक्रियाकौमुदी [2]; निर्णयसिन्धु [3]; स्मृतिकौस्तुभ [4] में इस व्रत का विस्तृत विवरन है।
- पौष में शिव लिंग पर किसी पात्र से घृत ढारना चाहिए।
- ऐसा करते समय संगीत, नृत्य आदि किये जाते हैं और प्रकाश आदि का सुन्दर प्रबन्ध रहता है।
- इससे पापमोचन होता है और व्यक्ति शिवलोक को जाता है[5]।
- बुधवार से युक्त पौष अष्टमी पर शिव पूजार्थ स्नान, जप, होम, ब्रह्म भोज करने पर सहस्रगुना पुण्य लाभ प्राप्त होता है [6]।
- पौष के दोनों पक्षों की नवमी पर उपवास और प्रतिदिन तीन बार दुर्गा पूजा करनी चाहिए।
- पूरे मास भर नक्त भोजन तथा दुर्गा प्रतिमा को घृत से नहलाना, आठ कुमारियों को खिलाना, आटे से निर्मित दुर्गा प्रतिमा की पूजा करना चाहिए।
- इससे दुर्गा लोक मे पहुँच होती है [7]।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
सम्बंधित लिंक
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