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*कर्ता स्वास्थ्य, समृद्धि प्राप्त करता है और [[विष्णुलोक]] जाता है। <ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 665-667, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।</ref> | *कर्ता स्वास्थ्य, समृद्धि प्राप्त करता है और [[विष्णुलोक]] जाता है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 665-667, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।</ref> | ||
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04:58, 11 सितम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह व्रत आषाढ़ में पूर्वाषाढ़ नक्षत्र पर आरम्भ करना चाहिए।
- दूध या घी में स्थापित विष्णु के तीन पदों की पूजा करनी चाहिए।
- कर्ता केवल रात्रि में ही हविष्य भोजन करता है। श्रावण में उत्तराषाढ़ पर गोविन्द एवं विष्णु के तीन पदों की पूजा करनी चाहिए।
- दान एवं भोजन कराने चाहिए।
- भाद्रपद में पूर्वाषाढ़ पर, फाल्गुन में पूर्वाफाल्गुनी पर, चैत्र में उत्तराफाल्गुनी पर उसी प्रकार की पूजा करनी चाहिए।
- कर्ता स्वास्थ्य, समृद्धि प्राप्त करता है और विष्णुलोक जाता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 665-667, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।
संबंधित लिंक
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