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07:27, 7 दिसम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
(1) यह शिवव्रत ही है।[1]
(2) तृतीया का बिना पका भोजन (सम्भवत:) एक वर्ष तक के लिए किया जाता है।
- इस व्रत में भगवान शिव की पूजा जी जाती है।
- अन्त में गोदान किया जाता है।
- कर्ता पुन: जन्म नहीं लेता है।[2]
- मत्स्य पुराण[3] ने इसे 'श्रेयोव्रत' कहा है।
- मत्स्यपुराण[4] के मत से शीलव्रत पृथक है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 444-445, मत्स्य पुराण 101|38-39 से उद्धरण);
- ↑ कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 449), हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 484, पद्म पुराण से उद्धरण);
- ↑ मत्स्य पुराण, (101|70)
- ↑ मत्स्यपुराण (101|34)
अन्य संबंधित लिंक
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