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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | ||
*इसे [[रविवार]] को पड़ने वाली [[षष्ठी]] या [[सप्तमी]] पर भी किया जा सकता है। | *इसे [[रविवार]] को पड़ने वाली [[षष्ठी]] या [[सप्तमी]] पर भी किया जा सकता है।<ref>[[भविष्यपुराण]] (1|58)</ref> | ||
*[[सूर्य देवता|सूर्य]] की रथयात्रा [[माघ]] में प्रारम्भ होती है। | *[[सूर्य देवता|सूर्य]] की रथयात्रा [[माघ]] में प्रारम्भ होती है। | ||
*यदि प्रति वर्ष न की जाए तो एक बार करने के 12 वर्षों के उपरान्त इसे करना चाहिए। | *यदि प्रति वर्ष न की जाए तो एक बार करने के 12 वर्षों के उपरान्त इसे करना चाहिए। |
11:56, 12 सितम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- इसे रविवार को पड़ने वाली षष्ठी या सप्तमी पर भी किया जा सकता है।[1]
- सूर्य की रथयात्रा माघ में प्रारम्भ होती है।
- यदि प्रति वर्ष न की जाए तो एक बार करने के 12 वर्षों के उपरान्त इसे करना चाहिए।
- इसे अल्पावधियों में तोड़ कर नहीं करना चाहिए।
- सूर्य के रथ पर शूद्र नहीं चढ़ सकता।
- आषाढ़, कार्तिक एवं माघ की पूर्णिमाएँ इस यात्रा के लिए अत्यन्त पवित्र मानी जाती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भविष्यपुराण (1|58)
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