"गोविन्द कुण्ड काम्यवन": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "{{incomplete}}" to "") |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
अपनी पूजा बन्द तथा [[गोवर्धन]] की पूजा प्रचलित होते देखकर क्रोधित [[इन्द्र|इन्द्रदेव]] ने ब्रजवासियों को नष्ट–भ्रष्ट करने के लिए सात दिनों तक मूसलाधार वर्षा एवं वज्रपात करवाया । किन्तु, अपने कार्य में असफल रहे । अन्त में [[ब्रह्मा]] जी के परामर्श से अपना अपराध क्षमा कराने के लिए सुरभी देवी को साथ लेकर यहाँ श्री [[कृष्ण]] का [[अभिषेक]] किया तथा गो, गोप और [[ब्रज]] सबका आनन्दवर्धक और पोषक होने के कारण गोविन्द नामकरण किया । तभी से कृष्ण का एक नाम गोविन्द हुआ । श्री गोविन्द का नामकरण और अभिषेक होने के कारण इस स्थल का नाम गोविन्द कुण्ड हुआ । श्री [[वज्रनाभ]] ने इस लीला की स्मृति के लिए इस कुण्ड की स्थापना की थी । | अपनी पूजा बन्द तथा [[गोवर्धन]] की पूजा प्रचलित होते देखकर क्रोधित [[इन्द्र|इन्द्रदेव]] ने ब्रजवासियों को नष्ट–भ्रष्ट करने के लिए सात दिनों तक मूसलाधार वर्षा एवं वज्रपात करवाया । किन्तु, अपने कार्य में असफल रहे । अन्त में [[ब्रह्मा]] जी के परामर्श से अपना अपराध क्षमा कराने के लिए सुरभी देवी को साथ लेकर यहाँ श्री [[कृष्ण]] का [[अभिषेक]] किया तथा गो, गोप और [[ब्रज]] सबका आनन्दवर्धक और पोषक होने के कारण गोविन्द नामकरण किया । तभी से कृष्ण का एक नाम गोविन्द हुआ । श्री गोविन्द का नामकरण और अभिषेक होने के कारण इस स्थल का नाम गोविन्द कुण्ड हुआ । श्री [[वज्रनाभ]] ने इस लीला की स्मृति के लिए इस कुण्ड की स्थापना की थी । | ||
13:19, 15 दिसम्बर 2010 का अवतरण
अपनी पूजा बन्द तथा गोवर्धन की पूजा प्रचलित होते देखकर क्रोधित इन्द्रदेव ने ब्रजवासियों को नष्ट–भ्रष्ट करने के लिए सात दिनों तक मूसलाधार वर्षा एवं वज्रपात करवाया । किन्तु, अपने कार्य में असफल रहे । अन्त में ब्रह्मा जी के परामर्श से अपना अपराध क्षमा कराने के लिए सुरभी देवी को साथ लेकर यहाँ श्री कृष्ण का अभिषेक किया तथा गो, गोप और ब्रज सबका आनन्दवर्धक और पोषक होने के कारण गोविन्द नामकरण किया । तभी से कृष्ण का एक नाम गोविन्द हुआ । श्री गोविन्द का नामकरण और अभिषेक होने के कारण इस स्थल का नाम गोविन्द कुण्ड हुआ । श्री वज्रनाभ ने इस लीला की स्मृति के लिए इस कुण्ड की स्थापना की थी ।