"हरकाली व्रत": अवतरणों में अंतर

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*सात जन्मों तक सधवापन, पुत्र, सौन्दर्य आदि की प्राप्ति होती है।
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13:47, 10 जनवरी 2011 का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • माघ शुक्ल पक्ष की तृतीया हरकालीव्रत किया जाता है।
  • हरकालीव्रत तिथिव्रत हैं।
  • हरकालीव्रत में देवता देवी की पूजा की जाती है।
  • हरकालीव्रत स्त्रियों के लिए होता है।
  • जौ के हरे अंकुरों पर स्थापित उमा के रात्रि भर ध्यान में अवस्थित रहना चाहिए।
  • दूसरे दिन प्रात: स्नान, देवी पूजा एवं भोजन करना चाहिए।
  • 12 मासों में देवी के विभिन्न नामों का उपयोग तथा विभिन्न पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
  • अन्त में एक सपत्नीक ब्राह्मण को दान देना चाहिए।
  • ऐसी मान्यता है कि हरकालीव्रत से रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
  • सात जन्मों तक सधवापन, पुत्र, सौन्दर्य आदि की प्राप्ति होती है।
  • पार्वती ने शंकर की आधी देह पाने के लिए हरकालीव्रत व्रत किया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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