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*यह व्रत तब करना चाहिए। उस दिन उपवास करने से पापमोचन हो जाता है और [[विष्णु]] से सायुज्य प्राप्त होता है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 295); कालविवेक (464); पुरुषार्थचिन्तामणि (216-219)।</ref> | *यह व्रत तब करना चाहिए। उस दिन उपवास करने से पापमोचन हो जाता है और [[विष्णु]] से सायुज्य प्राप्त होता है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 295); कालविवेक (464); पुरुषार्थचिन्तामणि (216-219)।</ref> | ||
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07:24, 7 दिसम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- जब द्वादशी एकादशी से युक्त हो एवं द्वादशी को श्रवण नक्षत्र भी हो तो उसे विष्णुश्रृंखल कहा जाता है।
- यह व्रत तब करना चाहिए। उस दिन उपवास करने से पापमोचन हो जाता है और विष्णु से सायुज्य प्राप्त होता है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 295); कालविवेक (464); पुरुषार्थचिन्तामणि (216-219)।
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