"ब्रज चौरासी कोस की यात्रा": अवतरणों में अंतर

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*चार झूला,  
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*33 स्थल [[रासलीला]] के तो हैं हीं, इनके अलावा कृष्ण कालीन अन्य स्थल भी हैं। चौरासी कोस यात्रा मार्ग [[मथुरा]] में ही नहीं, [[अलीगढ़]], [[भरतपुर]], [[गुड़गांव]], [[फ़रीदाबाद]] की सीमा तक में पड़ता है, लेकिन इसका अस्सी फीसदी हिस्सा मथुरा में है।   
*33 स्थल [[रासलीला]] के तो हैं हीं, इनके अलावा कृष्ण कालीन अन्य स्थल भी हैं। चौरासी कोस यात्रा मार्ग [[मथुरा]] में ही नहीं, [[अलीगढ़]], [[भरतपुर]], [[गुड़गांव]], [[फ़रीदाबाद]] की सीमा तक में पड़ता है, लेकिन इसका अस्सी फ़ीसदी हिस्सा मथुरा में है।   
==36 नियमों का नित्य पालन==
==36 नियमों का नित्य पालन==
ब्रज यात्रा के अपने नियम हैं इसमें शामिल होने वालों के प्रतिदिन 36 नियमों का कड़ाई से पालन करना होता है, इनमें प्रमुख हैं -  धरती पर सोना, नित्य स्नान, ब्रह्मचर्य पालन, जूते-चप्पल का त्याग, नित्य देव पूजा, कथासंकीर्तन, फलाहार, क्रोध, मिथ्या, लोभ, मोह व अन्य दुर्गुणों का त्याग प्रमुख है।  
ब्रज यात्रा के अपने नियम हैं इसमें शामिल होने वालों के प्रतिदिन 36 नियमों का कड़ाई से पालन करना होता है, इनमें प्रमुख हैं -  धरती पर सोना, नित्य स्नान, ब्रह्मचर्य पालन, जूते-चप्पल का त्याग, नित्य देव पूजा, कथासंकीर्तन, फलाहार, क्रोध, मिथ्या, लोभ, मोह व अन्य दुर्गुणों का त्याग प्रमुख है।  

06:54, 30 नवम्बर 2010 का अवतरण

ध्रुव कुण्ड, मधुवन
Dhruva Kund, Madhuvan
राधा कुण्ड, गोवर्धन, मथुरा
Radha Kund, Govardhan, Mathura

परिक्रमा मार्ग

इस यात्रा में मथुरा की अंतरग्रही परिक्रमा भी शामिल है। मथुरा से चलकर यात्रा सबसे पहले भक्त ध्रुव की तपोस्थली

  1. मधुवन पहुँचती है। यहाँ से
  2. तालवन,
  3. कुमुदवन,
  4. शांतनु कुण्ड
    दानघाटी, गोवर्धन
    DanGhati Temple, Govardhan
  5. सतोहा,
  6. बहुलावन,
  7. राधा-कृष्ण कुण्ड,
  8. गोवर्धन
  9. काम्यक वन,
  10. संच्दर सरोवर,
  11. जतीपुरा,
    चन्द्रमा जी मन्दिर,काम्यवन
    Chandrama Ji Temple, Kamyavan
  12. डीग का लक्ष्मण मंदिर,
  13. साक्षी गोपाल मंदिर व
  14. जल महल,
  15. कमोद वन,
  16. चरन पहाड़ी कुण्ड,
  17. काम्यवन,
  18. बरसाना,
    जल महल, डीग
    Jal Mahal, Deeg
  19. नंदगांव,
  20. जावट,
  21. कोकिलावन,
  22. कोसी,
  23. शेरगढ,
  24. चीर घाट,
    जतीपुरा मंदिर, प्रवेश द्वार, गोवर्धन
  25. नौहझील,
  26. श्री भद्रवन,
  27. भांडीरवन,
  28. बेलवन,
  29. राया वन, यहाँ का
  30. गोपाल कुण्ड,
    राधा रानी मंदिर, बरसाना
    Radha Rani Temple, Barsana
  31. कबीर कुण्ड,
  32. भोयी कुण्ड,
  33. ग्राम पडरारी के वनखंडी में शिव मंदिर,
  34. दाऊजी,
  35. महावन,
  36. ब्रह्मांड घाट,
    नन्द जी मंदिर, नन्दगांव
    Nand Ji Temple, Nandganv
  37. चिंताहरण महादेव,
  38. गोकुल,
  39. लोहवन,
  40. वृन्दावन के मार्ग में तमाम पौराणिक स्थल हैं।

दर्शनीय स्थल

ब्रज चौरासी कोस यात्रा में दर्शनीय स्थलों की भरमार है। पुराणों के अनुसार उनकी उपस्थिति अब कहीं-कहीं रह गयी है। प्राचीन उल्लेख के अनुसार यात्रा मार्ग में

  • 12 वन,
दाऊजी मन्दिर, बलदेव
Dauji Temple, Baldev
  • 24 उपवन,
  • चार कुंज,
  • चार निकुंज,
  • चार वनखंडी,
  • चार ओखर,
  • चार पोखर,
मथुरा नाथ श्री द्वारिका नाथ, महावन
Mathura Nath Shri Dwarika Nath, Mahavan
  • 365 कुण्ड,
  • चार सरोवर,
  • दस कूप,
  • चार बावरी,
  • चार तट,
  • चार वट वृक्ष,
  • पांच पहाड़,
  • चार झूला,
  • 33 स्थल रासलीला के तो हैं हीं, इनके अलावा कृष्ण कालीन अन्य स्थल भी हैं। चौरासी कोस यात्रा मार्ग मथुरा में ही नहीं, अलीगढ़, भरतपुर, गुड़गांव, फ़रीदाबाद की सीमा तक में पड़ता है, लेकिन इसका अस्सी फ़ीसदी हिस्सा मथुरा में है।

36 नियमों का नित्य पालन

ब्रज यात्रा के अपने नियम हैं इसमें शामिल होने वालों के प्रतिदिन 36 नियमों का कड़ाई से पालन करना होता है, इनमें प्रमुख हैं - धरती पर सोना, नित्य स्नान, ब्रह्मचर्य पालन, जूते-चप्पल का त्याग, नित्य देव पूजा, कथासंकीर्तन, फलाहार, क्रोध, मिथ्या, लोभ, मोह व अन्य दुर्गुणों का त्याग प्रमुख है।

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