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*व्रतराजतृतीया व्रत के सम्पादन से पति, पुत्र, भ्राता से वियोग नहीं होता' | *व्रतराजतृतीया व्रत के सम्पादन से पति, पुत्र, भ्राता से वियोग नहीं होता' |
18:45, 25 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- तृतीया तिथि को कपड़े के दो टुकड़ों पर रोचना, कर्पूर एवं नील से उमा एवं शिव की प्रतिमाएँ खींचकर स्वर्ण कण्ठहार एवं रत्नों से दो पौराणिक मंत्रों के साथ पृथक रूप से सम्बोधित करके उनकी पूजा; होम करना चाहिए।
- व्रतराजतृतीया व्रत के सम्पादन से पति, पुत्र, भ्राता से वियोग नहीं होता'
- व्रतराजतृतीया व्रत विशेषत: स्त्रियों के लिए होता है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रत खण्ड 1, 616-617, भविष्य पुराण से उद्धरण)।
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