"अन्तर्ग्रहण": अवतरणों में अंतर
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([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:Ingestion) '''{{PAGENAME}}''' अधिकांश जीव जंतुओं के शरीर का आवश्यक अंग हैं। इस लेख में मानव शरीर से संबंधित उल्लेख है। अन्तर्ग्रहण जन्तुओं के [[पोषण]] की पाँच अवस्थाओं में से एक हैं। इस प्रक्रिया में जीव अपने भोजन को शरीर के अन्दर पहुँचाता है। यह प्रक्रिया विभिन्न जीवों में विभिन्न प्रकार से होती है। अमीबा जैसे सरल प्राणी में भोजन शरीर के किसी भी भाग (कूटपाद) द्वारा पकड़ लिया जाता है और सीधा खाद्य रिक्तिका में चला जाता है। हाइड्रा अपने स्पर्शकों द्वारा भोजन को पकड़कर मुख द्वार शरीर में पहुँचाता है। केंचुए में माँसल [[ग्रसनी]] भोजन के निगलने में सहायता प्रदान करती है। कीटों में भोजन को कुतरने, काटने व चूसने आदि के लिए विशेष मुखांग होते हैं। कशेरुक जन्तुओं में भोजन को ग्रहण करने के लिए [[मुख]], [[दाँत]], [[जीभ]] आदि विशेष अंग होते हैं। मेंढक, साँप, छिपकली अपनी जीभ के द्वारा शिकार को पकड़ते हैं। मनुष्य भोजन को हाथ में पकड़कर मुख में ग्रहण करता है। पक्षी अपनी चोंच द्वारा भोजन मुख में ग्रहण करते हैं। | ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:Ingestion) '''{{PAGENAME}}''' अधिकांश जीव जंतुओं के शरीर का आवश्यक अंग हैं। इस लेख में मानव शरीर से संबंधित उल्लेख है। अन्तर्ग्रहण जन्तुओं के [[पोषण]] की पाँच अवस्थाओं में से एक हैं। इस प्रक्रिया में जीव अपने भोजन को शरीर के अन्दर पहुँचाता है। यह प्रक्रिया विभिन्न जीवों में विभिन्न प्रकार से होती है। अमीबा जैसे सरल प्राणी में भोजन शरीर के किसी भी भाग (कूटपाद) द्वारा पकड़ लिया जाता है और सीधा खाद्य रिक्तिका में चला जाता है। हाइड्रा अपने स्पर्शकों द्वारा भोजन को पकड़कर मुख द्वार शरीर में पहुँचाता है। केंचुए में माँसल [[ग्रसनी]] भोजन के निगलने में सहायता प्रदान करती है। कीटों में भोजन को कुतरने, काटने व चूसने आदि के लिए विशेष मुखांग होते हैं। कशेरुक जन्तुओं में भोजन को ग्रहण करने के लिए [[मुख]], [[दाँत]], [[जीभ]] आदि विशेष अंग होते हैं। मेंढक, साँप, छिपकली अपनी जीभ के द्वारा शिकार को पकड़ते हैं। मनुष्य भोजन को हाथ में पकड़कर मुख में ग्रहण करता है। पक्षी अपनी चोंच द्वारा भोजन मुख में ग्रहण करते हैं। | ||
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11:10, 10 जनवरी 2011 का अवतरण
(अंग्रेज़ी:Ingestion) अन्तर्ग्रहण अधिकांश जीव जंतुओं के शरीर का आवश्यक अंग हैं। इस लेख में मानव शरीर से संबंधित उल्लेख है। अन्तर्ग्रहण जन्तुओं के पोषण की पाँच अवस्थाओं में से एक हैं। इस प्रक्रिया में जीव अपने भोजन को शरीर के अन्दर पहुँचाता है। यह प्रक्रिया विभिन्न जीवों में विभिन्न प्रकार से होती है। अमीबा जैसे सरल प्राणी में भोजन शरीर के किसी भी भाग (कूटपाद) द्वारा पकड़ लिया जाता है और सीधा खाद्य रिक्तिका में चला जाता है। हाइड्रा अपने स्पर्शकों द्वारा भोजन को पकड़कर मुख द्वार शरीर में पहुँचाता है। केंचुए में माँसल ग्रसनी भोजन के निगलने में सहायता प्रदान करती है। कीटों में भोजन को कुतरने, काटने व चूसने आदि के लिए विशेष मुखांग होते हैं। कशेरुक जन्तुओं में भोजन को ग्रहण करने के लिए मुख, दाँत, जीभ आदि विशेष अंग होते हैं। मेंढक, साँप, छिपकली अपनी जीभ के द्वारा शिकार को पकड़ते हैं। मनुष्य भोजन को हाथ में पकड़कर मुख में ग्रहण करता है। पक्षी अपनी चोंच द्वारा भोजन मुख में ग्रहण करते हैं।
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