"कटक": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति") |
No edit summary |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
{{प्रचार}} | {{प्रचार}} | ||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= | ||
|प्रारम्भिक= | |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 | ||
|माध्यमिक= | |माध्यमिक= | ||
|पूर्णता= | |पूर्णता= | ||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | |||
{{उड़ीसा के पर्यटन स्थल}} | |||
[[Category:उड़ीसा राज्य]][[Category:उड़ीसा राज्य के ऐतिहासिक नगर]] [[Category:उड़ीसा राज्य के नगर]] [[Category:भारत के नगर]] [[Category:इतिहास कोश]] | [[Category:उड़ीसा राज्य]][[Category:उड़ीसा राज्य के ऐतिहासिक नगर]] [[Category:उड़ीसा राज्य के नगर]] [[Category:भारत के नगर]] [[Category:इतिहास कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
14:50, 14 जनवरी 2011 का अवतरण
कटक वर्तमान उड़ीसा की मध्ययुगीन राजधानी था, जिसे पद्मावती भी कहते थे। यह नगर महानदी व उसकी सहायक नदी काठजूड़ी के मिलन स्थल पर बना है।
इतिहास
यह केशरी वंशीय राजा नृपति केशरी द्वारा 941 ई. में बसाया गया था। कटक के पास ही विरुपा नदी बहती है, जो अपने प्राचीन बाँध के कारण जानी जाती है। यहाँ दुर्ग प्राचीन है, लेकिन अब इसके ध्वंसावशेष ही बाकी हैं। गंग वंशीय शासक अनंग भीमदेव द्धारा निर्मित बारह-बाटी नामक क़िले के खण्डहर यहाँ से एक मील दूर काठजूड़ी के तट पर हैं। भीमदेव ने 1180 ई. में यह क़िला बनवाया था। कहा जाता है, कि वर्तमान जगन्नाथपुरी के विख्यात मन्दिर का निर्माण भी उसी ने करवाया था। कटक मुग़लों के पतन के बाद मराठों के अधिकार में आ गया। यहाँ पर जुआंग जनजाति के लोग रहा करते थे।
|
|
|
|
|