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*सात बदर फलों, सात अर्क दलों, चावल, तिल, दूर्वा, अक्षतों एवं चन्दन के साथ मिश्रित जल से [[सूर्य देवता|सूर्य]] को अर्ध्य देना चाहिये। | *सात बदर फलों, सात अर्क दलों, चावल, तिल, दूर्वा, अक्षतों एवं चन्दन के साथ मिश्रित जल से [[सूर्य देवता|सूर्य]] को अर्ध्य देना चाहिये। | ||
*सप्तमी को देवी समझ कर सूर्य को प्रणाम करना चाहिए। | *सप्तमी को देवी समझ कर सूर्य को प्रणाम करना चाहिए। | ||
*कुछ लोगों के मत से यह स्नान तथा 'माघ स्नान' अलग-अलग नहीं है, किन्तु कुछ लोग दोनों को दो मानते हैं।<ref>कृत्यरत्नाकर (509)</ref>; <ref>वर्षक्रियाकौमुदी (499-502)</ref>; <ref> | *कुछ लोगों के मत से यह स्नान तथा 'माघ स्नान' अलग-अलग नहीं है, किन्तु कुछ लोग दोनों को दो मानते हैं।<ref>कृत्यरत्नाकर (509)</ref>; <ref>वर्षक्रियाकौमुदी (499-502)</ref>; <ref>कृत्यतत्त्व (459)</ref>; <ref>राजमार्तण्ड (ए0 बी0 आर0 आई0, जिल्द 36, पृ0 332)</ref> | ||
07:11, 17 जनवरी 2011 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- इस व्रत को माघ शुक्ल सप्तमी पर किया जाता है।
- अरुणोदय के समय किसी नदी या बहते हुए जल में अपने सर पर बदर वृक्ष एवं अर्क पौधे की सात-सात पत्तियाँ रख कर स्नान करना चाहिए।
- सात बदर फलों, सात अर्क दलों, चावल, तिल, दूर्वा, अक्षतों एवं चन्दन के साथ मिश्रित जल से सूर्य को अर्ध्य देना चाहिये।
- सप्तमी को देवी समझ कर सूर्य को प्रणाम करना चाहिए।
- कुछ लोगों के मत से यह स्नान तथा 'माघ स्नान' अलग-अलग नहीं है, किन्तु कुछ लोग दोनों को दो मानते हैं।[1]; [2]; [3]; [4]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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