"सदस्य:DrMKVaish": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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| ==बरमूडा त्रिकोण में हादसों के कारण और शोध== | | ==बरमूडा त्रिकोण में हादसों के कारण और शोध== | ||
बरमूडा ट्राएंगल है, मौत का ट्राएंगल, 125 हवाई जहाजों और 50 जहाजों को लील चुका है। विज्ञान की इतनी प्रगति के बाद भी कोई इसका रहस्य खोल नहीं पाया। बरमूडा त्रिकोण में होने वाले हादसों के कारणों को अभी तक पक्के तौर पर नहीं जाना जा सका है। बारमूडा त्रिभुज की इस उलझी हुई गुत्थी को आज तक कोई भी व्यक्ति ठीक से नहीं सुलझा पाया। इस रहस्मयी क्षेत्र के विषय में सिद्धान्त तो कई प्रस्तुत किए गए, लेकिन उनमें से कोई भी पूर्णत सन्तुष्ट नहीं करता। इस संदर्भ में अटकलें और अनुमान ही ज्यादा लगाए गए हैं। वैज्ञानिकों ने इसके पीछे ऐसे कारण बताए हैं जो इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं। ये कारण इस प्रकार हैं ----- | बरमूडा ट्राएंगल है, मौत का ट्राएंगल, 125 हवाई जहाजों और 50 जहाजों को लील चुका है। विज्ञान की इतनी प्रगति के बाद भी कोई इसका रहस्य खोल नहीं पाया। बरमूडा त्रिकोण में होने वाले हादसों के कारणों को अभी तक पक्के तौर पर नहीं जाना जा सका है। बारमूडा त्रिभुज की इस उलझी हुई गुत्थी को आज तक कोई भी व्यक्ति ठीक से नहीं सुलझा पाया। इस रहस्मयी क्षेत्र के विषय में सिद्धान्त तो कई प्रस्तुत किए गए, लेकिन उनमें से कोई भी पूर्णत सन्तुष्ट नहीं करता। इस संदर्भ में अटकलें और अनुमान ही ज्यादा लगाए गए हैं। वैज्ञानिकों ने इसके पीछे ऐसे कारण बताए हैं जो इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं। ये कारण इस प्रकार हैं ----- | ||
;मीथेन गैस | ;मीथेन गैस | ||
कुछ रसायन शास्त्रियों क मत है कि उस क्षेत्र में 'मीथेन हाइड्रेट' नामक रसायन इन दुर्घटनाओं का कारण है। समुद्र में बनने वाला यह हाइड्राइट जब अचानक ही फटता है, तो अपने आसपास के सभी जहाजों को चपेट में ले सकता है। यदि इसका क्षेत्रफल काफी बड़ा हो, तो यह बड़े से बडे जहाज को डुबो भी सकता है। वैज्ञानिकों का मत है कि हाइड्राइट के विस्फोट के कारण डूबा हुआ जहाज जब समुद्र की अतल गहराई में समा जाता है, तो वहॉं पर बनने वाले हाइड्राइट की तलछट के नीचे दबकर गायब हो जाता है। यही कारण है कि इस तरह से गायब हुए जहाजों का बाद में कोई पता-निशां नहीं मिलता। | कुछ रसायन शास्त्रियों क मत है कि उस क्षेत्र में 'मीथेन हाइड्रेट' नामक रसायन इन दुर्घटनाओं का कारण है। समुद्र में बनने वाला यह हाइड्राइट जब अचानक ही फटता है, तो अपने आसपास के सभी जहाजों को चपेट में ले सकता है। यदि इसका क्षेत्रफल काफी बड़ा हो, तो यह बड़े से बडे जहाज को डुबो भी सकता है। वैज्ञानिकों का मत है कि हाइड्राइट के विस्फोट के कारण डूबा हुआ जहाज जब समुद्र की अतल गहराई में समा जाता है, तो वहॉं पर बनने वाले हाइड्राइट की तलछट के नीचे दबकर गायब हो जाता है। यही कारण है कि इस तरह से गायब हुए जहाजों का बाद में कोई पता-निशां नहीं मिलता। | ||
ऑस्ट्रेलिया में किए गए शोध से पता चला है कि इस समुद्री क्षेत्र के बड़े हिस्से में मिथेन हाईड्राइड की बहुलता है। इससे उठने वाले बुलबुले भी किसी जहाज के अचानक डूबने का कारण बन सकते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ये बुलबुले पानी के घनत्व में कमी लाकर जहाज को डुबो देने की क्षमता रखते हैं। इस सिलसिले में अमेरिकी भौगोलिक सर्वेक्षण विभाग (यूएसजीएस) ने एक श्वेतपत्र भी जारी किया था। यह बात और है कि यूएसजीएस की वेबसाइट पर यह रहस्योद्घाटन किया गया है कि बीते 15000 सालों में समुद्री जल में से गैस के बुलबुले निकलने के प्रमाण नहीं मिले हैं। | ऑस्ट्रेलिया में किए गए शोध से पता चला है कि इस समुद्री क्षेत्र के बड़े हिस्से में मिथेन हाईड्राइड की बहुलता है। इससे उठने वाले बुलबुले भी किसी जहाज के अचानक डूबने का कारण बन सकते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ये बुलबुले पानी के घनत्व में कमी लाकर जहाज को डुबो देने की क्षमता रखते हैं। इस सिलसिले में अमेरिकी भौगोलिक सर्वेक्षण विभाग (यूएसजीएस) ने एक श्वेतपत्र भी जारी किया था। यह बात और है कि यूएसजीएस की वेबसाइट पर यह रहस्योद्घाटन किया गया है कि बीते 15000 सालों में समुद्री जल में से गैस के बुलबुले निकलने के प्रमाण नहीं मिले हैं। | ||
इस क्षेत्र में होने वाले वायुयानों की दुर्घटना के सम्बंध में वैज्ञानिकों का मत है कि इसी प्रकार जब मीथेन बड़ी मात्रा में वायुमण्डल में फैलती है, तो उसके क्षेत्र में आने वाले यान का मीथेन की सांद्रता के कारण इंजन में ऑक्सीजन का अभाव हो जाने सेवह बंद हो जाता है। ऐसी दशा में विमान पर चालक का नियंत्रण समाप्त हो जाता है और वह समुद्र के पेट में समा जाता है। अमेरिकी भौगोलिक सवेक्षण के अनुसार बरमूडा की समुद्र तलहटी में मीथेन का अकूत भण्डार भरा हुआ है। यही वजह है कि वहॉं पर जब-तब इस तरह की दुर्घटनाऍं होती रहती हैं। | इस क्षेत्र में होने वाले वायुयानों की दुर्घटना के सम्बंध में वैज्ञानिकों का मत है कि इसी प्रकार जब मीथेन बड़ी मात्रा में वायुमण्डल में फैलती है, तो उसके क्षेत्र में आने वाले यान का मीथेन की सांद्रता के कारण इंजन में ऑक्सीजन का अभाव हो जाने सेवह बंद हो जाता है। ऐसी दशा में विमान पर चालक का नियंत्रण समाप्त हो जाता है और वह समुद्र के पेट में समा जाता है। अमेरिकी भौगोलिक सवेक्षण के अनुसार बरमूडा की समुद्र तलहटी में मीथेन का अकूत भण्डार भरा हुआ है। यही वजह है कि वहॉं पर जब-तब इस तरह की दुर्घटनाऍं होती रहती हैं। | ||
;चुम्बकीय क्षेत्र | ;चुम्बकीय क्षेत्र | ||
बहुत से विद्वानों का मत है कि सागर के इस भाग में एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र होने के कारण जहाजों में लगे उपकरण यहाँ काम करना बंद कर देते हैं तथा रेडियो तरंगों के संकेतों को काट कर इन यन्त्रों को खराब कर देता है इससे जहाज रास्ता भटक जाते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। यानी यहां भौतिक के कुछ नियम बदल जाते है । | बहुत से विद्वानों का मत है कि सागर के इस भाग में एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र होने के कारण जहाजों में लगे उपकरण यहाँ काम करना बंद कर देते हैं तथा रेडियो तरंगों के संकेतों को काट कर इन यन्त्रों को खराब कर देता है इससे जहाज रास्ता भटक जाते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। यानी यहां भौतिक के कुछ नियम बदल जाते है । | ||
;इलेक्ट्रोमेगनेटिक फिल्ड | ;इलेक्ट्रोमेगनेटिक फिल्ड | ||
कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बरमूडा टायएंगल के आसमान में बादलों के बीच तेज आवाज के बीच बिजलियां कड़कड़ते हुए देखने की बात कही, जिससे वहां इलेक्ट्रोमेगनेटिक फिल्ड बनता है और फिर बादल और समंदर के बीच बबंडर उठता है, जिसे इलेक्ट्रोनिक फॉग कहा गया। जिसमें फंस कर जहाज और विमान लापता हो जाते हैं। लेकिन बरमूडा में इलेक्ट्रानिक फॉग किस तरह बनता है, इसके बारे में जानकारी नहीं हैं। | कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बरमूडा टायएंगल के आसमान में बादलों के बीच तेज आवाज के बीच बिजलियां कड़कड़ते हुए देखने की बात कही, जिससे वहां इलेक्ट्रोमेगनेटिक फिल्ड बनता है और फिर बादल और समंदर के बीच बबंडर उठता है, जिसे इलेक्ट्रोनिक फॉग कहा गया। जिसमें फंस कर जहाज और विमान लापता हो जाते हैं। लेकिन बरमूडा में इलेक्ट्रानिक फॉग किस तरह बनता है, इसके बारे में जानकारी नहीं हैं। | ||
;परग्रही | ;परग्रही | ||
इसका रहस्य तब और भी अधिक गहरा हो जाता है जब कुछ लोग इन दुर्घटनाओं को परग्रही शक्तितियों और `उड़नतश्तरियों´ से जोड़ कर देखते हैं । इस त्रिकोण के पास सबसे ज्यादा यूएफओ दिखने की बात सामने आई है। लोगों का कहना है कि इन उड़नतश्तरियों में सवार दूसरे ग्रह के प्राणी ही इन दुर्घटनाओं के जिम्मेदार हैं क्योंकि वे नहीं चाहते कि उनके इस क्षेत्र में कोई पृथ्वीवासी आवागमन करके उनके रहस्य को जान जाए या उनके कार्य में बाधा ड़ाले और इसलिए हो सकता है कि बरमूडा त्रिकोण दूसरे ग्रह के प्राणियों का रिसर्च स्टेशन हो। इसलिए परग्रही शक्तियां जहाजों और विमानों को गायब करते हों और फिर उस पर रिसर्च करते हों। दुनिया भर में यूएफओ देखने की बात सामने आती ही रहती है। ऐसे में बरमूडा त्रिकोण से गायब होने वाले विमान और जहाज में परग्रही शक्तियों का हाथ होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन बरमूडा त्रिकोण के रहस्य में परग्रही शक्तियों का ही हाथ है, इस पर बस अंदाजा ही लगाया जा सकता है। क्योंकि इसका ठोस कोई प्रमाण नहीं है, इस लिए बरमूडा त्रिकोण आज भी है रहस्यमयी। | इसका रहस्य तब और भी अधिक गहरा हो जाता है जब कुछ लोग इन दुर्घटनाओं को परग्रही शक्तितियों और `उड़नतश्तरियों´ से जोड़ कर देखते हैं । इस त्रिकोण के पास सबसे ज्यादा यूएफओ दिखने की बात सामने आई है। लोगों का कहना है कि इन उड़नतश्तरियों में सवार दूसरे ग्रह के प्राणी ही इन दुर्घटनाओं के जिम्मेदार हैं क्योंकि वे नहीं चाहते कि उनके इस क्षेत्र में कोई पृथ्वीवासी आवागमन करके उनके रहस्य को जान जाए या उनके कार्य में बाधा ड़ाले और इसलिए हो सकता है कि बरमूडा त्रिकोण दूसरे ग्रह के प्राणियों का रिसर्च स्टेशन हो। इसलिए परग्रही शक्तियां जहाजों और विमानों को गायब करते हों और फिर उस पर रिसर्च करते हों। दुनिया भर में यूएफओ देखने की बात सामने आती ही रहती है। ऐसे में बरमूडा त्रिकोण से गायब होने वाले विमान और जहाज में परग्रही शक्तियों का हाथ होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन बरमूडा त्रिकोण के रहस्य में परग्रही शक्तियों का ही हाथ है, इस पर बस अंदाजा ही लगाया जा सकता है। क्योंकि इसका ठोस कोई प्रमाण नहीं है, इस लिए बरमूडा त्रिकोण आज भी है रहस्यमयी। | ||
;भौगोलिक स्थिति | |||
भौगोलिक स्थिति | |||
बरमूडा ट्राएंगल में विमानों व जहाजों के गायब होने के पीछे सबसे प्रमुख कारण इसकी भौगोलिक स्थिति को माना जाता है। उत्तर पश्चिम अटलांटिक महासागर में स्थित इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां दाखिल होते ही विमानों के कंपास सही दिशा दिखाना बंद कर देते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र में भौतिकी के नियम लागू नहीं होते जिसके कारण हादसे होते हैं। इसके साथ ही चांद की स्थिति को भी इसके लिए जिम्मेदार माना जाता है। | बरमूडा ट्राएंगल में विमानों व जहाजों के गायब होने के पीछे सबसे प्रमुख कारण इसकी भौगोलिक स्थिति को माना जाता है। उत्तर पश्चिम अटलांटिक महासागर में स्थित इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां दाखिल होते ही विमानों के कंपास सही दिशा दिखाना बंद कर देते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र में भौतिकी के नियम लागू नहीं होते जिसके कारण हादसे होते हैं। इसके साथ ही चांद की स्थिति को भी इसके लिए जिम्मेदार माना जाता है। | ||
;शक्तिशाली समुद्री तूफान | |||
शक्तिशाली समुद्री तूफान | |||
अटलांटिक महासागर के इस क्षेत्र में शक्तिशाली तूफान आते रहते हैं। इन तूफानों में फंसकर वायुयान व समुद्री जहाज डूब जाते हैं। | अटलांटिक महासागर के इस क्षेत्र में शक्तिशाली तूफान आते रहते हैं। इन तूफानों में फंसकर वायुयान व समुद्री जहाज डूब जाते हैं। | ||
;विशाल तूफानी धाराएं | |||
गल्फ स्ट्रीम | कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि यहां वायु की अति '''विशाल तूफानी धाराएं''' ऊपर से नीचे की ओर बहती हैं तथा जहाज व वायुयान इन्हीं तीव्र वायु धाराओं की चपेट में आकर सागर में डूब जाते हैं, जिन्हें बाद में समुद्र की शक्तिशाली लहरें कहीं और बहा कर ले जाती हैं। लेकिन अगर इस तर्क को सही माने, तो प्रश्न उठता है कि फिर रेडियों, वायरलेस, राडार और कम्पास जैसे उपकरणों में खराबी क्यों पैदा होती है ? | ||
;गल्फ स्ट्रीम | |||
इस क्षेत्र में शक्तिशाली गल्फ स्ट्रीम चलती हैं। ये गल्फ स्ट्रीम मैक्सिको की खाड़ी से निकलकर फ्लोरिडा के जलडमरू से उत्तरी अटलांटिक तक जाती हैं। यह गल्फ स्ट्रीम असल में समुद्र के अंदर नदी की तरह होती हैं। इसके तेज बहाव में जहाजों के डूबने की संभावना रहती है। | इस क्षेत्र में शक्तिशाली गल्फ स्ट्रीम चलती हैं। ये गल्फ स्ट्रीम मैक्सिको की खाड़ी से निकलकर फ्लोरिडा के जलडमरू से उत्तरी अटलांटिक तक जाती हैं। यह गल्फ स्ट्रीम असल में समुद्र के अंदर नदी की तरह होती हैं। इसके तेज बहाव में जहाजों के डूबने की संभावना रहती है। | ||
;मानवीय त्रुटि | |||
इस क्षेत्र में वायुयानों और जहाजों के खो जाने की घटनाओं के पीछे मानवीय गलतियों को भी जिम्मेदार माना जाता है। जैसे इस इलाके में गायब हुए टैंकर वी. ए. के बारे में कहा जाता है कि इसके कर्मचारियों के प्रशिक्षण में कमी थी, जिसके कारण बेंजीन अवशिष्ट की सफाई में गलती हुई और जहाज डूब गया। | |||
;और कई दूसरे कारण | |||
कुछ लोग इन घटनाओं को '''संयोग''' मानते हैं, परन्तु इतने सारे जहाजों और वायुयानों का केवल इस विशेष त्रिभुजाकार क्षेत्र में ही गायब होना मात्र संयोग नहीं हो सकता। | |||
जबकि कुछ वैज्ञानिक इन दुघर्टनाओं का कारण '''गुरूत्वाकर्षण की शक्ति''' बताते हैं। कुछ लोग इन घटनाओं को प्राकृति बताते हुए समुद्र के इस भाग के नीचे स्थित '''स्फटिक पदार्थों''', '''जलचक्रों (भंवरों)''', समुद्री तल से उत्पन्न '''समुद्री भूचालों''' को इनका दोषी मानते हैं तथा बहुत से ऐसे व्यक्ति हैं जिनका मानना है कि ये दुर्घटनाएं '''मशीनी खराबी''' मात्र ही हैं। | |||
बरमूदा त्रिभुज पर डॉक्युमेंट्री फिल्म बनाने वाले रिचर्ड विनर का कहना है कि इस क्षेत्र के एक विशेषज्ञ ने तो अपने साक्षात्कार में यहां तक कहा था कि वहां गायब होने वाले जहाज और वायुयान एक '''भिन्न आयाम या दृश्यता''' में अभी भी वहीं हैं और इस भिन्न आयाम का कारण संभवत; `यूएफओ´ अर्थात् उड़नतश्तरी द्वारा स्थापित किया गया चुम्बकीय वातावरण ही है। | |||
इस तरह की तमाम घटनाऍं उस क्षेत्र में होने का दावा समय समय पर किया जाता रहा है। इन रहस्यमयी घटनाओं के पीछे क्या कारण है ? यह जानने के लिए कई दशकों से वैज्ञानिक, अनुसंधानकर्ता, खोजकर्ता एवं शोधकर्ता लगे हुए हैं और वे लोग दावा भी करते हैं कि उन्होंने इन घटनाओं का हल ढूंढ निकाला है, किन्तु अभी भी बहुत से प्रश्न ऐसे हैं जिनका कोई सही व सटीक उत्तर नहीं मिल सका है। इसीलिए आज तक बरमूदा का यह रहस्यमयी त्रिभुजाकार क्षेत्र अपने आप में एक अनसुलझा रहस्य ही बना हुआ है। इस रहस्य से कभी पूरी तरह से पर्दा हटेगा, यह कहना मुश्किल है। | |||
इस क्षेत्र में | |||
कितने विमान और जहाज हुए हैं लापता | कितने विमान और जहाज हुए हैं लापता | ||
पंक्ति 139: | पंक्ति 138: | ||
बरमूडा उत्तर अटलांटिक महासागर में स्थित ब्रिटेन का प्रवासी क्षेत्र है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तट पर मियामी (फ्लोरिडा) से सिर्फ 1770 किलोमीटर और हैलिफैक्स, नोवा स्कोटिया (कनाडा) के दक्षिण में 1350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह सबसे पुराना और सबसे अधिक जनसंख्या वाला ब्रिटेन का प्रवासी क्षेत्र है। | बरमूडा उत्तर अटलांटिक महासागर में स्थित ब्रिटेन का प्रवासी क्षेत्र है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तट पर मियामी (फ्लोरिडा) से सिर्फ 1770 किलोमीटर और हैलिफैक्स, नोवा स्कोटिया (कनाडा) के दक्षिण में 1350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह सबसे पुराना और सबसे अधिक जनसंख्या वाला ब्रिटेन का प्रवासी क्षेत्र है। | ||
बारमूडा ट्रायएंगल हादसा | बारमूडा ट्रायएंगल हादसा | ||
बरमूडा ट्रायएंगल अब तक कई जहाजों और विमानों को अपने आगोश में ले चुका है, जिसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया। सबसे पहले 1872 में जहाज द मैरी बरमूडा त्रिकोण में लापता हुआ, जिसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया। लेकिन बारमूडा ट्रायएंगल का रहस्य दुनिया के सामने पहली बार तब सामने आया, जब 16 सितंबर 1950 को पहली बार इस बारे में अखबार में लेख भी छपा था। दो साल बाद फैट पत्रिका ने ‘सी मिस्ट्री एट अवर बैक डोर’ शीर्षक से जार्ज एक्स. सेंड का एक संक्षिप्त लेख भी प्रकाशित किया था। इस लेख में कई हवाई तथा समुद्री जहाजों समेत अमेरिकी जलसेना के पाँच टीबीएम बमवर्षक विमानों ‘फ्लाइट 19’ के लापता होने का जिक्र किया गया था। फ्लाइट 19 के गायब होने की घटना को काफी गंभीरता से लिया गया। इसी सिलसिले में अप्रैल 1962 में एक पत्रिका में प्रकाशित किया गया था कि बरमूडा त्रिकोण में गायब हो रहे विमान चालकों को यह कहते सुना गया था कि हमें नहीं पता हम कहां हैं, पानी हरा है और कुछ भी सही होता नजर नहीं आ रहा है । जलसेना के अधिकारियों के हवाले ये भी कहा गया था कि विमान किसी दूसरे ग्रह पर चले गए। यह पहला आर्टिकल था, जिसमें विमानों के गायब होने के पीछे किसी परलौकिक शक्ति यानी दूसरे ग्रह के प्राणियों का हाथ बताया गया। 1964 में आरगोसी नामक पत्रिका में बरमूडा त्रिकोण पर लेख प्रकाशित हुआ। इस लेख को विसेंट एच गोडिस ने लिखा था। इसके बाद से लगातार सम्पूर्ण विश्व में इस पर इतना कुछ लिखा गया कि 1973 में एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका में भी इसे जगह मिल गयी। वहीं बारमूडा त्रिकोण में विमान और जहाज के लापता होने का सिलसिला जारी रहा । | बरमूडा ट्रायएंगल अब तक कई जहाजों और विमानों को अपने आगोश में ले चुका है, जिसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया। सबसे पहले 1872 में जहाज द मैरी बरमूडा त्रिकोण में लापता हुआ, जिसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया। लेकिन बारमूडा ट्रायएंगल का रहस्य दुनिया के सामने पहली बार तब सामने आया, जब 16 सितंबर 1950 को पहली बार इस बारे में अखबार में लेख भी छपा था। दो साल बाद फैट पत्रिका ने ‘सी मिस्ट्री एट अवर बैक डोर’ शीर्षक से जार्ज एक्स. सेंड का एक संक्षिप्त लेख भी प्रकाशित किया था। इस लेख में कई हवाई तथा समुद्री जहाजों समेत अमेरिकी जलसेना के पाँच टीबीएम बमवर्षक विमानों ‘फ्लाइट 19’ के लापता होने का जिक्र किया गया था। फ्लाइट 19 के गायब होने की घटना को काफी गंभीरता से लिया गया। इसी सिलसिले में अप्रैल 1962 में एक पत्रिका में प्रकाशित किया गया था कि बरमूडा त्रिकोण में गायब हो रहे विमान चालकों को यह कहते सुना गया था कि हमें नहीं पता हम कहां हैं, पानी हरा है और कुछ भी सही होता नजर नहीं आ रहा है । जलसेना के अधिकारियों के हवाले ये भी कहा गया था कि विमान किसी दूसरे ग्रह पर चले गए। यह पहला आर्टिकल था, जिसमें विमानों के गायब होने के पीछे किसी परलौकिक शक्ति यानी दूसरे ग्रह के प्राणियों का हाथ बताया गया। 1964 में आरगोसी नामक पत्रिका में बरमूडा त्रिकोण पर लेख प्रकाशित हुआ। इस लेख को विसेंट एच गोडिस ने लिखा था। इसके बाद से लगातार सम्पूर्ण विश्व में इस पर इतना कुछ लिखा गया कि 1973 में एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका में भी इसे जगह मिल गयी। वहीं बारमूडा त्रिकोण में विमान और जहाज के लापता होने का सिलसिला जारी रहा । | ||
बरमूड त्रिकोण व्यस्त समुद्री मार्ग | |||
रहस्यमयी बरमूडा ट्राएंगल के एरिया को लेकर रिसर्च किया गया। बारमूडा पर पर रिसर्च कर चुके कुछ वैज्ञानिको ने इसका एरिया फ्लोरिडा, बहमास और पूरा केरेबियन द्वीप के साथ महासागर के उत्तरी हिस्से के रूप में बताया। तो कुछ ने इसे मैक्सिको की खाड़ी तक बढ़ाया है। यानी रिसर्च के बाद बारमूडा के एरिया को लेकर अलग अलग राय दिए गए। समंदर में ये त्रिकोण भले ही खतरनाक रहे है, लेकिन ऐसा नहीं है कि बारमूडा त्रिकोण से होकर कोई जहाज नहीं गुजरता है। इस क्षेत्र में हवाई और समुद्री यातायात भी बहुतायत में रहता है, ये समुद्री इलाका दुनिया की व्यस्तम समुद्री यातायात वाले जलमार्ग के रूप में की जाती है। यहां से अमेरिका, यूरोप और केरेबियन द्वीपों के लिए रोजाना कई जहाज निकलते हैं, यही नहीं फ्लोरिडा, केरेबियन द्वीपों और दक्षिण अमेरिका की तरफ जाने वाले हवाई जहाज भी यहीं से गुजरते हैं। यही वजह है कि कुछ लोग यह मानने को तैयार नहीं हैं कि इतने यातायात के बावजूद कोई जहाज अचानक से गायब हो जाए या फिर ऐसे में कोई दुर्घटना जाए, तो किसी को कैसे पता नहीं चल पाएगा। लेकिन हकीकत तो यही है कि इस क्षेत्र से गायब हुए जहाज और विमान का अब कुछ पता नहीं चल पाया है | |||
बरमूडा त्रिभुज रहस्य | |||
इस क्षेत्र में हवाई और समुद्री यातायात भी बहुतायत में रहता है। क्षेत्र की गणना दुनिया की व्यस्ततम समुद्री यातायात वाले जलमार्ग के रूप में की जाती है। यहाँ से अमेरिका, यूरोप और केरेबियन द्वीपों के लिए रोजाना कई जहाज निकलते हैं। यही नहीं, फ्लोरिडा, केरेबियन द्वीपों और दक्षिण अमेरिका की तरफ जाने वाले हवाई जहाज भी यहीं से गुजरते हैं। यही कारण है कि कुछ लोग यह मानने को तैयार नहीं हैं कि इतने यातायात के बावजूद कोई जहाज अचानक से गायब हो जाए। ऐसे में कोई दुर्घटना होती है तो किसी को पता चल ही जाता है। | |||
05:52, 18 जनवरी 2011 का अवतरण
मेरा संपादन क्षेञ
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शोध क्षेत्र |
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मुझे हिन्दुस्तानी, हिन्दू और हिंदी भाषी होने का गर्व है |
— डा॰ मनीष कुमार वैश्य |