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मेसेंजर के पहले फ्लाइबाइ द्वारा जनवरी में भेजी गई तस्वीरों से बुध की सतह पर पहले हुए लावा के भारी बहाव का पता चला था। | |||
जॉन्स हॉपकिन्स युनिवर्सिटी के भौतिकी प्रयोगशाला के वैज्ञानिक राल्फ मैकनट ने बताया कि शुरूआती तस्वीरों से पता लगा है कि बुध की सतह पर चट्टानी मैदान हैं। | जॉन्स हॉपकिन्स युनिवर्सिटी के भौतिकी प्रयोगशाला के वैज्ञानिक राल्फ मैकनट ने बताया कि शुरूआती तस्वीरों से पता लगा है कि बुध की सतह पर चट्टानी मैदान, गहरे गड्ढे तथा लम्बी और ऊंचीं खडी चट्टाने हैं। इसका आकार पृथ्वी के एक तिहाई के बराबर तथा हमारे चांद से थोडा सा ही बड़ा है। | ||
श्री मैकनट ने कहा कि इस बार के आंकडे की तुलना जनवरी में भेजे आंकडे से करने के बाद ही बुध की भौगोलिक स्थिति का सही पता लग सकेगा। जनवरी के आंकडों से पता लगा था कि बुध के सतह के निर्माण में ज्वालामुखी सम्बन्धी गतिविधियों ने अहम भूमिका निभायी थी | श्री मैकनट ने कहा कि इस बार के आंकडे की तुलना जनवरी में भेजे आंकडे से करने के बाद ही बुध की भौगोलिक स्थिति का सही पता लग सकेगा। जनवरी के आंकडों से पता लगा था कि बुध के सतह के निर्माण में ज्वालामुखी सम्बन्धी गतिविधियों ने अहम भूमिका निभायी थी । | ||
खगोलविदों | खगोलविदों में बुध की सतह के चिकनी होने को लेकर दशकों से बहस जारी है और अब तक बुध को सूर्य के सर्वाधिक करीब की एक चट्टान और नीरस ग्रह कहते आए थे लेकिन एमआईटी की वैज्ञानिक मारिया जुबेर का कहना है कि बुध कहीं ज्यादा दिलचस्प है। पहले ऐसा माना जाता था कि बुध ग्रह की सतह का आकार बाहरी तत्व तय करते हैं, लेकिन इस ग्रह के नजदीक से गुजरे अंतरिक्ष यान से मिले ताजा आंकड़ों के आधार पर वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह आकार वहां मौजूद सक्रिय ज्वालामुखी तय करते हैं। वैज्ञानिकों ने बुध की सतह पर भी चंद्रमा और मंगल ग्रह की तरह की संरचनाएँ देखी हैं और उनका कहना है कि यह भारी मात्रा में निकले लावा के कारण हो सकता है। उनका कहना है कि इससे पता चलता है कि वहां तीन से चार अरब साल पहले ज्वालामुखी संबंधी गतिविधियों की भरमार रही होंगीं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रोब मैसेंजर से भेजी गई नई तस्वीरों में बुध की सतह पर ज्वालामुखियों के गड्ढे साफ दिखाई दे रहे हैं। | ||
बुध की सतह के चिकनी होने को लेकर दशकों से बहस जारी है और | |||
बुध ग्रह के सपाट मैदानों के उद्भव को लेकर विवाद 1972 के अपोलो 16 मिशन के साथ शुरू हो गया था। इस मिशन के बाद यह बात सामने आई थी कि कुछ मैदानी हिस्सा उस पदार्थ से बना जो ब्रह्मांडीय टक्करों के कारण छिटक गया था और फिर इससे सपाट तालाब बन गए। जब अंतरिक्ष यान मैरीनर 10 ने सौर मंडल के सबसे छोटे बुध ग्रह की 1975 में ऐसी ही आकृतियों की तस्वीरें ली तो कुछ वैज्ञानिकों का मानना था कि ग्रह पर कुछ प्रक्रियाएं जारी हैं। कुछ अन्य वैज्ञानिकों का अनुमान था कि बुध ग्रह का मैदानी पदार्थ ज्वालामुखी विस्फोट से निकला लावा है लेकिन उस मिशन के दौरान ली गई तस्वीरों में ज्वालामुखी के दहानों या ज्वालामुखी के कारण दिखाई पड़ने वाली अन्य परिघटनाओं के न होने के चलते इस विचार पर आम राय नहीं बन पाई। | |||
बुध ग्रह के सपाट मैदानों के उद्भव को लेकर विवाद 1972 के अपोलो 16 मिशन के साथ शुरू हो गया था। इस मिशन के बाद यह बात सामने आई थी कि कुछ मैदानी हिस्सा उस पदार्थ से बना जो ब्रह्मांडीय टक्करों के कारण छिटक गया था और फिर इससे सपाट तालाब बन गए। | |||
जब अंतरिक्ष यान मैरीनर 10 ने सौर मंडल के सबसे छोटे बुध ग्रह की 1975 में ऐसी ही आकृतियों की तस्वीरें ली तो कुछ वैज्ञानिकों का मानना था कि ग्रह पर कुछ प्रक्रियाएं जारी हैं। कुछ अन्य वैज्ञानिकों का अनुमान था कि बुध ग्रह का मैदानी पदार्थ ज्वालामुखी विस्फोट से निकला लावा है लेकिन उस मिशन के दौरान ली गई तस्वीरों में ज्वालामुखी के दहानों या ज्वालामुखी के कारण दिखाई पड़ने वाली अन्य परिघटनाओं के न होने के चलते इस विचार पर आम राय नहीं बन पाई। | |||
लेकिन अब अनुसंधानकर्ताओं ने ग्रह के कोलारिस बेसिन नामक स्थान के किनारे - किनारे ज्वालामुखी गतिविधियों का पता लगाया है। उन्होंने यह भी पाया कि कोलारिस का भौगोलिक इतिहास वैज्ञानिकों की पूर्व अवधारणा से कहीं अधिक जटिल है। ग्रह पर ऊंचाई जानने के लिए पहली बार की गई गणनाओं से पता लगा कि यहां पाए गए गड्ढे पृथ्वी के चंद्रमा पर पाए जाने वाले गड्ढों से कुछ ही उथले हैं। इन गणनाओं में बुध ग्रह के जटिल भौगोलिक इतिहास का भी पता लगा है। | लेकिन अब अनुसंधानकर्ताओं ने ग्रह के कोलारिस बेसिन नामक स्थान के किनारे - किनारे ज्वालामुखी गतिविधियों का पता लगाया है। उन्होंने यह भी पाया कि कोलारिस का भौगोलिक इतिहास वैज्ञानिकों की पूर्व अवधारणा से कहीं अधिक जटिल है। ग्रह पर ऊंचाई जानने के लिए पहली बार की गई गणनाओं से पता लगा कि यहां पाए गए गड्ढे पृथ्वी के चंद्रमा पर पाए जाने वाले गड्ढों से कुछ ही उथले हैं। इन गणनाओं में बुध ग्रह के जटिल भौगोलिक इतिहास का भी पता लगा है। | ||
बुध ग्रह के नजदीक से गुजरे अंतरिक्ष यान मैसेंजर ने जानकारी दी है कि इस ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र पिघली हुई सतह से बनता है और ग्रह की चुंबकीय शक्ति इसके भीतरी भाग और सतह में बेहद गतिशील और जटिल प्रतिक्रिया करती है। | बुध ग्रह के नजदीक से गुजरे अंतरिक्ष यान मैसेंजर ने जानकारी दी है कि इस ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र पिघली हुई सतह से बनता है और ग्रह की चुंबकीय शक्ति इसके भीतरी भाग और सतह में बेहद गतिशील और जटिल प्रतिक्रिया करती है। |