"सदस्य:DrMKVaish": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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अभी तक दर्जनों लोगों ने यति देखने के दावे किए हैं, लेकिन कोई भी पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाया है और विज्ञान ऐसे किसी सबूत के बिना यति के अस्तित्व पर मुहर नहीं लगा सकता है। दुनिया के अलग अलग इलाकों में देखे गए इस अदभुत जीव के अस्तित्व से जुड़े कई प्रमाण मिल रहे हैं। वैज्ञानिकों की टीम लगातार इस पर रिसर्च कर रही है। वैज्ञानिकों और विद्धानों में येति के अस्तित्व को लेकर मतभेद रहा है। कुछ कह रहे हैं कि प्रमाण इतने नहीं हैं कि यति का होना घोषित कर दिया जाए। कई लोग इसे एक विशालकाय जीव मानते हैं, लेकिन कुछ इन किस्सों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं करते। उनके मुताबिक येति से जुड़ी सभी कहानियां सिर्फ काल्पनिक है। फिर भी विज्ञान के जानकारों का एक वर्ग ऐसा है, जो कह रहा है कि कुछ तो है। अमेरिका के पोकाटेलो में इदाहो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर जेफ मेलड्रम का कहना है कि मैंने इस संबंध में मौजूदा सभी वैज्ञानिक प्रमाणों का अध्ययन किया है और इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि इस सृष्टि में कोई प्राणी ऐसा जरूर है, जिसकी पहचान होना बाकी है। जिन्होंने येति को देखने का दावा किया, उनके मुताबिक बर्फ पर पाए गए विशालकाय फुटप्रिन्ट्स येति के हैं। जबकि वैज्ञानिकों का तर्क है कि वो किसी जंगली जानवर के हो सकते है। जो बर्फ में पिघलकर फैल गए हैं। योति से जुड़े कई ऐसे सवाल है जिसका जवाब किसी के पास नहीं है। उनके पास भी नहीं जो इसे देखने का दावा कर चुके है। कहानियों और विज्ञान के बीच आज भी येति एक सवाल है। जब तक इसके वजूद से जुड़ी सच्चाई सामने नहीं आ जाती इसका रहस्य बरकरार रहेगा। बर्फीले पहाड़ों पर देखे और पहचाने गए विशालकाय वानर शरीर वाले हिममानव के अस्तित्व को लेकर जारी बहस के बीच वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी हकीकत का पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। जुटाए गए सबूतों की फोरेंसिक जाँच की जा रही है। | अभी तक दर्जनों लोगों ने यति देखने के दावे किए हैं, लेकिन कोई भी पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाया है और विज्ञान ऐसे किसी सबूत के बिना यति के अस्तित्व पर मुहर नहीं लगा सकता है। दुनिया के अलग अलग इलाकों में देखे गए इस अदभुत जीव के अस्तित्व से जुड़े कई प्रमाण मिल रहे हैं। वैज्ञानिकों की टीम लगातार इस पर रिसर्च कर रही है। वैज्ञानिकों और विद्धानों में येति के अस्तित्व को लेकर मतभेद रहा है। कुछ कह रहे हैं कि प्रमाण इतने नहीं हैं कि यति का होना घोषित कर दिया जाए। कई लोग इसे एक विशालकाय जीव मानते हैं, लेकिन कुछ इन किस्सों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं करते। उनके मुताबिक येति से जुड़ी सभी कहानियां सिर्फ काल्पनिक है। फिर भी विज्ञान के जानकारों का एक वर्ग ऐसा है, जो कह रहा है कि कुछ तो है। अमेरिका के पोकाटेलो में इदाहो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर जेफ मेलड्रम का कहना है कि मैंने इस संबंध में मौजूदा सभी वैज्ञानिक प्रमाणों का अध्ययन किया है और इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि इस सृष्टि में कोई प्राणी ऐसा जरूर है, जिसकी पहचान होना बाकी है। जिन्होंने येति को देखने का दावा किया, उनके मुताबिक बर्फ पर पाए गए विशालकाय फुटप्रिन्ट्स येति के हैं। जबकि वैज्ञानिकों का तर्क है कि वो किसी जंगली जानवर के हो सकते है। जो बर्फ में पिघलकर फैल गए हैं। योति से जुड़े कई ऐसे सवाल है जिसका जवाब किसी के पास नहीं है। उनके पास भी नहीं जो इसे देखने का दावा कर चुके है। कहानियों और विज्ञान के बीच आज भी येति एक सवाल है। जब तक इसके वजूद से जुड़ी सच्चाई सामने नहीं आ जाती इसका रहस्य बरकरार रहेगा। बर्फीले पहाड़ों पर देखे और पहचाने गए विशालकाय वानर शरीर वाले हिममानव के अस्तित्व को लेकर जारी बहस के बीच वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी हकीकत का पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। जुटाए गए सबूतों की फोरेंसिक जाँच की जा रही है। | ||
हिममानव | हिममानव से जुङी जाँचे | ||
बालों की जाँच- 19 मार्च 1954 को अंग्रेजी अखबार ‘डेली मेल’ में एक लेख प्रकाशित हुआ, जिसमें इस मसले पर वैज्ञानिक नजरिए से प्रकाश डाला गया था। असल में वहाँ के प्रोफेसर फ्रेडरिक वुड जोन्स ने यति के बालों के माइक्रोफोटोग्राफ का परीक्षण किया था। उनकी तुलना भालू और दूसरे पहाड़ी जानवरों के बालों से की गई, लेकिन इस निष्कर्ष पर नहीं पहुँचा जा सका कि आखिर ये बाल किसके हैं। | बालों की जाँच- 19 मार्च 1954 को अंग्रेजी अखबार ‘डेली मेल’ में एक लेख प्रकाशित हुआ, जिसमें इस मसले पर वैज्ञानिक नजरिए से प्रकाश डाला गया था। असल में वहाँ के प्रोफेसर फ्रेडरिक वुड जोन्स ने यति के बालों के माइक्रोफोटोग्राफ का परीक्षण किया था। उनकी तुलना भालू और दूसरे पहाड़ी जानवरों के बालों से की गई, लेकिन इस निष्कर्ष पर नहीं पहुँचा जा सका कि आखिर ये बाल किसके हैं। | ||
सन् 1957 में यति के मल की जाँच भी गई, लेकिन यह साफ नहीं हो सका कि अगर यह अवशिष्ट पदार्थ यति का नहीं है, तो किस जंतु का है? हाल ही में बीबीसी ने यति के बाल एकत्रित किए गए जाने और जाँच के लिए भेजे जाने की खबर प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में भी पता नहीं चल पाया है कि ये बाल किस पहाड़ी प्राणी के हैं। अब डीएनए विश्लषण किया जा रहा है। | सन् 1957 में यति के मल की जाँच भी गई, लेकिन यह साफ नहीं हो सका कि अगर यह अवशिष्ट पदार्थ यति का नहीं है, तो किस जंतु का है? हाल ही में बीबीसी ने यति के बाल एकत्रित किए गए जाने और जाँच के लिए भेजे जाने की खबर प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में भी पता नहीं चल पाया है कि ये बाल किस पहाड़ी प्राणी के हैं। अब डीएनए विश्लषण किया जा रहा है। | ||
खोपड़ी मिली | खोपड़ी मिली :- सन् 1960 में एवरेस्ट के विजेता सर एडमंड हिलेरी को कथित तौर पर हिमालय में यति की खोपड़ी मिली। उन्होंने इसे जाँच के लिए पश्चिमी देशों में भेजा। उस समय यह बताया गया था कि खोपड़ी बर्फीले पहाड़ों पर पाए जाने वाले बकरी जैसे किसी जानवर की है। वैसे बड़ी तादाद में लोगों ने इस रिपोर्ट पर विश्वास नहीं किया। | ||
हिममानव - संस्कृतियों में | |||
रामायण से जुड़ी कहानी - नेपाल में यति को राक्षस भी कहा जाता है। कुछ गंथों के मुताबिक कुछ नेपाली और हिमालय की तराई के इलाकों में राम और सीता के बारे में प्रचलित लोक कविताओं और गीतों में भी कई जगह यति का उल्लेख किया गया है। | रामायण से जुड़ी कहानी - नेपाल में यति को राक्षस भी कहा जाता है। कुछ गंथों के मुताबिक कुछ नेपाली और हिमालय की तराई के इलाकों में राम और सीता के बारे में प्रचलित लोक कविताओं और गीतों में भी कई जगह यति का उल्लेख किया गया है। | ||
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यति...आम बात है - इसी तरह यति या हिममानव और मानव की मुलाकातों के कई किस्से हिमालय पर्वतों के अनुभवी बूढ़े सुनाया करते हैं। भूटान में कुछ बुजुर्ग ऐसे हैं, जिनके लिए हिममानव कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उनके मुताबित, उनके जमाने में हिममानव दिखना सामान्य बात थी। 77 साल के सोनम दोरजी का कहना है कि यति का इतिहास सदियों पुराना है और वे आज भी मौजूद हैं। | यति...आम बात है - इसी तरह यति या हिममानव और मानव की मुलाकातों के कई किस्से हिमालय पर्वतों के अनुभवी बूढ़े सुनाया करते हैं। भूटान में कुछ बुजुर्ग ऐसे हैं, जिनके लिए हिममानव कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उनके मुताबित, उनके जमाने में हिममानव दिखना सामान्य बात थी। 77 साल के सोनम दोरजी का कहना है कि यति का इतिहास सदियों पुराना है और वे आज भी मौजूद हैं। | ||
सांस्कृतिक प्रतीक यतिः नेपाल और तिब्बत में हिममानव को यति कहा जाता है। यति आज सांस्कृतिक प्रतीक बन गया है। अबूझ पहेली बनी सृष्टि की इस रचना पर कई किताबें लिखी गई हैं, वीडियो तथा फिल्में बनाई जा चुकी हैं। | |||
इस बीच जाने-अनजाने यह अनजान ‘प्रजाति’ आज मशहूर हो गई है। इन्हें किताबों, फिल्मों, बच्चों की कामिक्स में तो स्थान मिल ही गया है, अनेक वीडियो गेम्स में मौजूद होकर वह स्थानीय क्षेत्रों में वह लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा बन चुका है। | |||
अब तक येति पर कई दिलचस्प फिल्में बन चुकी हैं, किताबें लिखी जा चुकी हैं और अनेक वीडियो गेम्स में मौजूद होकर वह स्थानीय क्षेत्रों में वह लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा बन चुका है। हिममानव को आमतौर पर एक घृणित शोमैन के रूप में दिखाया गया है। ‘द एबोमिनेबल शोमैन’, ‘डाक्टर हू’, ‘बग्स बनी कार्टून’, ‘देट्स शो घोस्ट’, ‘द माइटी बुश’, ‘काल आफ ए यति’ जैसे टीवी शो में यति को एक शैतान के रूप दिखाया गया है। बालीवुड फिल्म ‘अजूबा कुदरत का’ में भी यति को दिखाया गया है। यह ऐसी लड़की की कहानी है, जो यति को दिल दे बैठती है। विदेशों में भी कई फिल्में बन चुकी हैं। आज भी उसे देखने का दावा बहुत से लोग करते हैं लेकिन आज तक वह किसी के ठीक सामने नहीं आया। संभव है अगम्य हिमालयी क्षेत्रों में उसका अस्तित्व हो और किसी के सामने न आना चाहता हो। बहरहाल यह तो तय है कि आज तकनीक जितनी भी विकसित हो जाए पर प्रकृति के कुछ रहस्यों से पर्दा उठना अभी बाकी है। | |||
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16:20, 25 जनवरी 2011 का अवतरण
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मेरा संपादन क्षेञ
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शोध क्षेत्र |
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मेरा परिचय | |||||||||||||||
नाम --> डा॰ मनीष कुमार वैश्य जन्मदिन --> 8 जुलाई |
मुझे हिन्दुस्तानी, हिन्दू और हिंदी भाषी होने का गर्व है |
— डा॰ मनीष कुमार वैश्य |