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*आम्रदलों, दूर्वा, बिल्वदलों से दुर्गा की स्वर्ण पादुकाओं की पूजा एक मास तक की जाती है। | *आम्रदलों, दूर्वा, बिल्वदलों से दुर्गा की स्वर्ण पादुकाओं की पूजा एक मास तक की जाती है। | ||
*दुर्गाभक्त या कुमारियों को पादुकाओं का दान दिया जाता है। | *दुर्गाभक्त या कुमारियों को पादुकाओं का दान दिया जाता है। |
17:54, 25 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- आम्रदलों, दूर्वा, बिल्वदलों से दुर्गा की स्वर्ण पादुकाओं की पूजा एक मास तक की जाती है।
- दुर्गाभक्त या कुमारियों को पादुकाओं का दान दिया जाता है।
- इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कृत्यकल्पतरु (व्रत0, 429); हेमाद्रि (व्रत0 2, 885-886, पद्म पुराण से अलंकरण)।
अन्य संबंधित लिंक
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