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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
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*यह व्रत [[मार्गशीर्ष]] की [[पूर्णिमा]] पर जब [[मृगशिरा नक्षत्र]] होता है, तब करना चाहिए।
*यह व्रत [[मार्गशीर्ष]] की [[पूर्णिमा]] पर जब [[मृगशिरा नक्षत्र]] होता है, तब करना चाहिए।
*चन्द्रोदय काल पर स्वर्णिम केन्द्र वाले एक पात्र में एक प्रस्थ भूमि से निकाले हुए लवण का किसी ब्राह्मण को दान करना चाहिए।
*चन्द्रोदय काल पर स्वर्णिम केन्द्र वाले एक पात्र में एक प्रस्थ भूमि से निकाले हुए लवण का किसी ब्राह्मण को दान करना चाहिए।

18:25, 25 फ़रवरी 2011 का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • यह व्रत मार्गशीर्ष की पूर्णिमा पर जब मृगशिरा नक्षत्र होता है, तब करना चाहिए।
  • चन्द्रोदय काल पर स्वर्णिम केन्द्र वाले एक पात्र में एक प्रस्थ भूमि से निकाले हुए लवण का किसी ब्राह्मण को दान करना चाहिए।
  • इससे रूप एवं सौभाग्य की प्राप्ति होती है।[1]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विष्णु धर्मसूत्र (90|1-2); स्मृतिकौस्तुभ (430), पुरुषचिन्तामणि (306)।

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