"मेघपाली तृतीया": अवतरणों में अंतर

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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।  
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*[[आश्विन माह|आश्विन]] [[शुक्ल पक्ष]] की तृतीया को नर-नारियों को 'मेघपाली' नामक लता से पूजा करनी चाहिए।  
*[[आश्विन माह|आश्विन]] [[शुक्ल पक्ष]] की तृतीया को नर-नारियों को 'मेघपाली' नामक लता से पूजा करनी चाहिए।  
*यह लता वाटिकाओं, पहाड़ियों एवं मार्गों पर उगती है।  
*यह लता वाटिकाओं, पहाड़ियों एवं मार्गों पर उगती है।  

18:37, 25 फ़रवरी 2011 का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • आश्विन शुक्ल पक्ष की तृतीया को नर-नारियों को 'मेघपाली' नामक लता से पूजा करनी चाहिए।
  • यह लता वाटिकाओं, पहाड़ियों एवं मार्गों पर उगती है।
  • इसकी पूजा विभिन्न प्रकार के फलों एवं सात धान्यों के अंकुरों से की जाती है।
  • सभी पापों से विशेषतः त्रुटिपूर्ण तौल-बंटखरों एवं मापकों से व्यापार करने वालों के पापों से मुक्ति मिलती है।[1], [2]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 416-417
  2. भविष्योत्तर पुराण 17|1-14 से उद्धरण)

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