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18:47, 25 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- शाम्भरायणी व्रत एक नक्षत्र व्रत है।
- शाम्भरायणीव्रत देवता अच्युत; सात वर्षों तक; 12 नक्षत्रों, यथा–कृत्तिका, मृगशिरा, पुष्य.....से वर्ष के 12 मासों के नाम, यथा कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष आदि करना चाहिए।
- कार्तिक में आरम्भ, नैवेद्य, प्रथम चार मासों के लिए खिचड़ी (कृशर), फाल्गुन से आगे के मासों में संयाव तथा आषाढ़ से आगे के चार मासों में पायस करना चाहिए।
- ब्राह्मणों को नैवेद्य का ही भोज कराना चाहिए।
- ब्राह्मण नारी शांभरायणी (जिससे बृहस्पति ने इन्द्र के पूर्व के विषय में पूछा था) की प्रतिमा का स्थापन करना चाहिए।
- कृष्ण ने इस श्रद्धेया नारी की गाथा सुनायी है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 659-665, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण)
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