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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | ||
*सीता का अर्थ है 'कर्षत भूमि'। | *सीता का अर्थ है 'कर्षत भूमि'। | ||
*कृत्यरत्नाकर<ref>कृत्यरत्नाकर (518, [[ब्रह्मापुराण]] से उद्धरण)</ref> में आया है कि [[नारद]] के कहने पर [[दक्ष]] के पुत्रों द्वारा [[फाल्गुन]] [[कृष्ण पक्ष]] की [[अष्टमी]] को [[पृथ्वी देवि|पृथ्वी]] मापी गयी थी। | *कृत्यरत्नाकर<ref>कृत्यरत्नाकर (518, [[ब्रह्मापुराण]] से उद्धरण)</ref> में आया है कि [[नारद]] के कहने पर [[दक्ष]] के पुत्रों द्वारा [[फाल्गुन]] [[कृष्ण पक्ष]] की [[अष्टमी]] को [[पृथ्वी देवि|पृथ्वी]] मापी गयी थी। |
18:52, 25 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- सीता का अर्थ है 'कर्षत भूमि'।
- कृत्यरत्नाकर[1] में आया है कि नारद के कहने पर दक्ष के पुत्रों द्वारा फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पृथ्वी मापी गयी थी।
- अत: देव एवं पितर लोग उस दिन अपूपों (पूओं) के साथ श्राद्ध की अभिलाषा करते हैं।
- राम की पत्नी सीता की पूजा करनी चाहिए।
- जो फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अष्टमी को उत्पन्न हुई थीं।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कृत्यरत्नाकर (518, ब्रह्मापुराण से उद्धरण)
- ↑ कृत्यरत्नाकर (526-529 एवं 518), 'फाल्गुनकृत्य' के अंतर्गत।
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