"दत्ताजी शिन्दे": अवतरणों में अंतर
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दत्ताजी शिन्दे एक [[मराठा]] सेनापति था, जो 1759 ई. में [[पेशवा]] बालाजी राव की ओर से [[पंजाब]] का शासक था। यह सूबा [[अहमदशाह अब्दाली]] के पुत्र तैमूर से छीना गया था। जब अहमदशाह अब्दाली ने यह ख़बर सुनी तो वह आग-बबूला हो उठा। उसने वर्ष समाप्त होने के पहले ही एक बड़ी सेना लेकर पंजाब पर आक्रमण कर दिया। दत्ताजी ने अब्दाली का सामना थानेश्वर के युद्ध ([[दिसम्बर]] 1759 ई.) में किया, लेकिन हार कर भाग खड़ा हुआ। [[दिल्ली]] के 10 मील उत्तर बरारी घाटों में फिर से दोनों के बीच युद्ध हुआ, जिसमें दत्ताजी [[9 फरवरी]] 1760 को अब्दाली के हाथों से मारा गया। | *दत्ताजी शिन्दे एक [[मराठा]] सेनापति था, जो 1759 ई. में [[पेशवा]] बालाजी राव की ओर से [[पंजाब]] का शासक था। | ||
*यह सूबा [[अहमदशाह अब्दाली]] के पुत्र [[तैमूर]] से छीना गया था। | |||
*जब अहमदशाह अब्दाली ने यह ख़बर सुनी तो वह आग-बबूला हो उठा। | |||
*उसने वर्ष समाप्त होने के पहले ही एक बड़ी सेना लेकर पंजाब पर आक्रमण कर दिया। | |||
*दत्ताजी ने अब्दाली का सामना थानेश्वर के युद्ध ([[दिसम्बर]] 1759 ई.) में किया, लेकिन हार कर भाग खड़ा हुआ। | |||
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06:53, 14 मार्च 2011 का अवतरण
- दत्ताजी शिन्दे एक मराठा सेनापति था, जो 1759 ई. में पेशवा बालाजी राव की ओर से पंजाब का शासक था।
- यह सूबा अहमदशाह अब्दाली के पुत्र तैमूर से छीना गया था।
- जब अहमदशाह अब्दाली ने यह ख़बर सुनी तो वह आग-बबूला हो उठा।
- उसने वर्ष समाप्त होने के पहले ही एक बड़ी सेना लेकर पंजाब पर आक्रमण कर दिया।
- दत्ताजी ने अब्दाली का सामना थानेश्वर के युद्ध (दिसम्बर 1759 ई.) में किया, लेकिन हार कर भाग खड़ा हुआ।
- दिल्ली के 10 मील उत्तर बरारी घाटों में फिर से दोनों के बीच युद्ध हुआ, जिसमें दत्ताजी 9 फरवरी 1760 को अब्दाली के हाथों से मारा गया।
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