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*कालविवेक<ref>कालविवेक (पृष्ठ 333-345)</ref> ने एक लम्बी सूची दी है, किन्तु अन्त में कहा है<ref>कालविवेक (पृष्ठ 345)</ref> कि [[वेद|वेदज्ञों]], [[स्मृतियाँ|स्मृतिओं]] एवं [[पुराण|पुराणज्ञों]] ने कितनी ही बार और कतिपय अवसरों पर जो निषेध बताए हैं, वे इतने अधिक है कि मैं अकेला नहीं बता सकता, उन्हें बताने के लिए मुझे एक सहस्र वर्ष जीना पड़ेगा।  


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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09:45, 21 मार्च 2011 का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • कुछ मासों, तिथियों, सप्ताहों, संक्रान्तियों एवं व्रतों में निषिद्ध बातों एवं कर्मों की तालिका बहुत लम्बी है।
  • कालविवेक[1] ने एक लम्बी सूची दी है, किन्तु अन्त में कहा है[2] कि वेदज्ञों, स्मृतिओं एवं पुराणज्ञों ने कितनी ही बार और कतिपय अवसरों पर जो निषेध बताए हैं, वे इतने अधिक है कि मैं अकेला नहीं बता सकता, उन्हें बताने के लिए मुझे एक सहस्र वर्ष जीना पड़ेगा।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कालविवेक (पृष्ठ 333-345)
  2. कालविवेक (पृष्ठ 345)

अन्य संबंधित लिंक

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