"संत ज्ञानेश्वर": अवतरणों में अंतर
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प्राचीन [[भागवत सम्प्रदाय]] का अवशेष आज भी [[भारत]] के दक्षिण प्रवेश में विद्यमान है। [[महाराष्ट्र]] में इस सम्प्रदाय के पूर्वाचार्य संत ज्ञानेश्वर नाथसम्प्रदाय के अंतर्गत योगमार्ग के पुरस्कर्ता माने जाते हैं, उसी प्रकार [[भक्तिमार्ग]] में वे विष्णुस्वामी संप्रदाय के पुरस्कर्ता माने जाते हैं। फिर भी योगी ज्ञानेश्वर ने | * संत ज्ञानेश्वर [[महाराष्ट्र]] के एक महान संत थे, जिन्होंने [[ज्ञानेश्वरी]] की रचना की। संत ज्ञानेश्वर की गणना [[भारत]] के महान संतों एवं मराठी कवियों में होती है। | ||
ज्ञानेश्वर ने भगवदगीता के ऊपर मराठी भाषा में एक ' | *संत ज्ञानेश्वर का जन्म 1271 ईसवी में गोदावरी नदी के पास छोटे से गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम विट्ठल पंत था; जिनकी चार संतानों में सबसे बड़े निवृत्तिनाथ, उसके बाद ज्ञानेश्वर, सोपानदेव और पुत्री मुक्ताबाई थे।<ref>{{cite web |url=http://www.iloveindia.com/spirituality/gurus/gyaneshwar.html |title=Gyaneshwar |accessmonthday=[[2 मई]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=iloveindia.com |language=[[अंग्रेज़ी]] }}</ref> | ||
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*ज्ञानेश्वर ने भगवदगीता के ऊपर मराठी भाषा में एक 'ज्ञानेश्वरी' नामक 10,000 पद्यों का ग्रंथ लिखा है। यह भी अद्वैत- वादी रचना है किंतु यह योग पर भी बल देती है। 28 अभंगों (छंदों) की इन्होंने 'हरिपाठ' नामक एक पुस्तिका लिखी है जिस पर भागवतमत का प्रभाव है। | |||
* भक्ति का उदगार इससे अत्यधिक है। मराठी संतों में ये प्रमुख समझे जाते हैं। इनकी कविता दार्शनिक तथ्यों से पूर्ण है तथा शिक्षित जनता पर अपना गहरा प्रभाव डालती है। | |||
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13:26, 2 मई 2011 का अवतरण
- संत ज्ञानेश्वर महाराष्ट्र के एक महान संत थे, जिन्होंने ज्ञानेश्वरी की रचना की। संत ज्ञानेश्वर की गणना भारत के महान संतों एवं मराठी कवियों में होती है।
- संत ज्ञानेश्वर का जन्म 1271 ईसवी में गोदावरी नदी के पास छोटे से गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम विट्ठल पंत था; जिनकी चार संतानों में सबसे बड़े निवृत्तिनाथ, उसके बाद ज्ञानेश्वर, सोपानदेव और पुत्री मुक्ताबाई थे।[1]
- प्राचीन भागवत सम्प्रदाय का अवशेष आज भी भारत के दक्षिण प्रवेश में विद्यमान है। महाराष्ट्र में इस सम्प्रदाय के पूर्वाचार्य संत ज्ञानेश्वर नाथसम्प्रदाय के अंतर्गत योगमार्ग के पुरस्कर्ता माने जाते हैं, उसी प्रकार भक्तिमार्ग में वे विष्णुस्वामी संप्रदाय के पुरस्कर्ता माने जाते हैं। फिर भी योगी ज्ञानेश्वर ने मराठों में 'अमृतानुभव' लिखा जो अद्वैतवादी शैव परम्परा में आता है। निदान, ज्ञानेश्वर सच्चे भागवत थे, क्योंकि भागवत धर्म की यही विशेषता है कि वह शिव और विष्णु में अभेद बुद्धि रखता है।
- ज्ञानेश्वर ने भगवदगीता के ऊपर मराठी भाषा में एक 'ज्ञानेश्वरी' नामक 10,000 पद्यों का ग्रंथ लिखा है। यह भी अद्वैत- वादी रचना है किंतु यह योग पर भी बल देती है। 28 अभंगों (छंदों) की इन्होंने 'हरिपाठ' नामक एक पुस्तिका लिखी है जिस पर भागवतमत का प्रभाव है।
- भक्ति का उदगार इससे अत्यधिक है। मराठी संतों में ये प्रमुख समझे जाते हैं। इनकी कविता दार्शनिक तथ्यों से पूर्ण है तथा शिक्षित जनता पर अपना गहरा प्रभाव डालती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ Gyaneshwar (अंग्रेज़ी) (एच.टी.एम.एल) iloveindia.com। अभिगमन तिथि: 2 मई, 2011।